पटनाः बिहार में नक्सली हिंसा (Naxalite Attack) में पिछले साल की तुलना में काफी गिरावट आई है. जिस वजह से नक्सलियों के कमजोर पड़ने के कारण इनके द्वारा ली जाने वाली लेवी वसूली में भी काफी कमी आई है. बिहार पुलिस (Bihar Police) मुख्यालय द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार साल 2016 में 43 लाख 56 हजार रुपए की वसूली नक्सलियों द्वारा की गई थी. जो कि साल 2020 में घटकर 17 लाख 58 हजार और साल 2021 में 19 हजार 820 रुपए हो गई है. लगभग 14 गुना कमी दर्ज की गई है.
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जानकारी दें कि पुलिस मुख्यालय के अनुसार नक्सल हिंसा में पिछले 2 वर्षों के दौरान किसी भी जवान की मौत नहीं हुई है. जबकि साल 2016 में 13 जवान नक्सली हमले में शहीद हुए थे. वहीं साल 2021 में अब तक एक भी जवान नक्सली हमले में शहीद नहीं हुआ है.
पुलिस और सुरक्षा बलों की ओर से चलाए जा रहे अभियान की वजह से बिहार में नक्सली गतिविधियों में लगातार कमी आई है. इसी के साथ नक्सलियों का इलाका भी घटा है. बिहार में 6 जिले को नक्सल प्रभावित से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा विगत कुछ दिन पहले ही नक्सल मुक्त घोषित कर दिया है. हालांकि अभी भी 10 जिले नक्सली प्रभावित हैं. जहां पर नक्सलियों का खौफ कायम है.
जिन 6 जिलों को नक्सल मुक्त घोषित किया गया है, उनमें से मुजफ्फरपुर, नालंदा, जहानाबाद, अरवल, पूर्वी चंपारण, वैशाली है. वहीं बिहार के 10 जिले औरंगाबाद, गया, मुंगेर, जमुई, कैमूर, नवादा, लखीसराय, बांका, रोहतास और पश्चिम चंपारण में अभी भी नक्सलियों का प्रभाव है.
आपको बता दें कि पुलिस के साथ नक्सलियों की सीधी मुठभेड़ में भी काफी कमी हुई है. साल 2016 में 13 मुठभेड़ हुई थी, जबकि साल 2017 में 10 मुठभेड़ हुई. 2018 में 13, 2019 में 12 मुठभेड़ हुई थी. जबकि साल 2021 में अब तक सिर्फ दो मुठभेड़ हुए हैं. नक्सली आंदोलन के अनियंत्रित होने का मुख्य कारण बड़े नक्सली नेताओं का महाराजा नायक गिरफ्तार होना माना जा रहा है.
जानकारी दें कि साल 2016 में 468 नक्सली गिरफ्तार हुए थे. 13 ने सरेंडर किया था. साल 2017 में 383 गिरफ्तारी और 6 नक्सलियों ने सरेंडर किया था. साल 2019 में 381 गिरफ्तारी और 13 सरेंडर हुए थे. साल 2020 में 265 गिरफ्तारी और 14 सरेंडर हुए थे. साल 2021 में 153 गिरफ्तारी और 3 नक्सलियों ने अब तक सरेंडर किया है.
हिंसा की राह छोड़कर आम जीवन अपनाने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता के साथ-साथ राज्य सरकार रोजगार परक ट्रेनिंग देने जा रही है. ताकि बिहार में नक्सलियों का वर्चस्व खत्म हो सके. बिहार में नक्सली हिंसा में कहीं ना कहीं पिछले 5 सालों में 14 गुना कमी आई है.
'साल 2016 में 100 नक्सली वारदात हुए थे, जबकि साल 2021 में नक्सली वारदातों की संख्या घटकर महज 7 रह गई है. पुलिस मुख्यालय के रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सिर्फ 4 जिले में अब इनकी थोड़ी बहुत नक्सली गतिविधियां देखी जा रही है. इनमें से गया, औरंगाबाद, जमुई और लखीसराय शामिल है. दरअसल इन जिलों की सीमा भी सीधे तौर पर झारखंड से जुड़ी है. जिस कारण से इन इलाकों के पहाड़ी और जंगली इलाकों में उन्हें छिपने या भागने में आसानी होती है. बिहार पुलिस और बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस और बिहार पुलिस की इकाई एसटीएफ और अर्धसैनिक बल द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान के तहत नक्सलियों का प्रभाव दिन प्रतिदिन कम हो रहा है. नक्सलियों के खिलाफ कांबिंग और सर्च ऑपरेशन की वजह से बड़ी संख्या में गिरफ्तारी हुई है. इनमें से बड़ी मात्रा में विस्फोटक और हथियार की बरामदगी भी हुई है. मुख्यालय के अनुसार साल 2016 में 161 हथियार बरामद किए गए थे, तो वहीं साल 2021 में अब तक के 1351 किलो विस्फोटक और 666 जे2 नेट बरामद किए गए हैं.' -जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी पुलिस मुख्यालय
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