पटनाः सरकार की जल जीवन हरियाली योजना के मद्देनजर मूर्तीकारों ने इस बार सरस्वती पूजा पर मूर्ती को अंतिम रूप देने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया है. इससे पूजा के बाद विसर्जन के समय गंगा का पानी प्रदूषित नहीं होगा.
प्रदूषण को लेकर सरकार सख्त
मूर्तिकार सोम नाथ चटर्जी ने बताया कि दो महीनें से कई परिवार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए है. उन्होंने बताया कि सरस्वती पूजा की धूम खास कर शिक्षण स्थानों में ज्यादा होती है. इसबार प्राकृतिक रंगो वाली मूर्ती की काफीmj डिमांड है. लोग पर्यावरण को लेकर सजग हो गए हैं. गंगा में प्रदूषण को लेकर सरकार भी काफी सख्त है. इसिलिए उनलोंगो ने भी इस बार प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक रंगो को इस्तेमाल किया है.
कृत्रिम रंगों से तैयार की जाती थी मूर्ति
बता दें कि हर साल प्लास्टर ऑफ पेरिस और कृत्रिम रंगों से मूर्ति तैयार की जाती थी. इससे विसर्जन के बाद गंगा का पानी बिल्कुल प्रदूषित हो जाता था. वहीं इस बार मूर्ती में प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से विसर्जन के बाद रंग पूरी तरह मिट्टी से खत्म हो जाएगा और गंगा के पानी पर इसका कोई असर भी नहीं पड़ेगा.