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पटनाः प्राकृतिक रंगों से तैयार की गई मां सरस्वती की प्रतिमा - कृत्रिम रंगों से तैयार की जाती थी मूर्ति

मूर्तिकार सोमनाथ चटर्जी ने बताया कि दो महीनें से कई परिवार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि सरस्वती पूजा की धूम खासकर शिक्षण संस्थानों में ज्यादा होती है.

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Published : Jan 30, 2020, 8:42 AM IST

पटनाः सरकार की जल जीवन हरियाली योजना के मद्देनजर मूर्तीकारों ने इस बार सरस्वती पूजा पर मूर्ती को अंतिम रूप देने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया है. इससे पूजा के बाद विसर्जन के समय गंगा का पानी प्रदूषित नहीं होगा.

प्रदूषण को लेकर सरकार सख्त
मूर्तिकार सोम नाथ चटर्जी ने बताया कि दो महीनें से कई परिवार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए है. उन्होंने बताया कि सरस्वती पूजा की धूम खास कर शिक्षण स्थानों में ज्यादा होती है. इसबार प्राकृतिक रंगो वाली मूर्ती की काफीmj डिमांड है. लोग पर्यावरण को लेकर सजग हो गए हैं. गंगा में प्रदूषण को लेकर सरकार भी काफी सख्त है. इसिलिए उनलोंगो ने भी इस बार प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक रंगो को इस्तेमाल किया है.

प्राकृतिक रंगों से तैयार की गई मां सरस्वती की प्रतिमा

कृत्रिम रंगों से तैयार की जाती थी मूर्ति
बता दें कि हर साल प्लास्टर ऑफ पेरिस और कृत्रिम रंगों से मूर्ति तैयार की जाती थी. इससे विसर्जन के बाद गंगा का पानी बिल्कुल प्रदूषित हो जाता था. वहीं इस बार मूर्ती में प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से विसर्जन के बाद रंग पूरी तरह मिट्टी से खत्म हो जाएगा और गंगा के पानी पर इसका कोई असर भी नहीं पड़ेगा.

पटनाः सरकार की जल जीवन हरियाली योजना के मद्देनजर मूर्तीकारों ने इस बार सरस्वती पूजा पर मूर्ती को अंतिम रूप देने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया है. इससे पूजा के बाद विसर्जन के समय गंगा का पानी प्रदूषित नहीं होगा.

प्रदूषण को लेकर सरकार सख्त
मूर्तिकार सोम नाथ चटर्जी ने बताया कि दो महीनें से कई परिवार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए है. उन्होंने बताया कि सरस्वती पूजा की धूम खास कर शिक्षण स्थानों में ज्यादा होती है. इसबार प्राकृतिक रंगो वाली मूर्ती की काफीmj डिमांड है. लोग पर्यावरण को लेकर सजग हो गए हैं. गंगा में प्रदूषण को लेकर सरकार भी काफी सख्त है. इसिलिए उनलोंगो ने भी इस बार प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक रंगो को इस्तेमाल किया है.

प्राकृतिक रंगों से तैयार की गई मां सरस्वती की प्रतिमा

कृत्रिम रंगों से तैयार की जाती थी मूर्ति
बता दें कि हर साल प्लास्टर ऑफ पेरिस और कृत्रिम रंगों से मूर्ति तैयार की जाती थी. इससे विसर्जन के बाद गंगा का पानी बिल्कुल प्रदूषित हो जाता था. वहीं इस बार मूर्ती में प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से विसर्जन के बाद रंग पूरी तरह मिट्टी से खत्म हो जाएगा और गंगा के पानी पर इसका कोई असर भी नहीं पड़ेगा.

Intro:प्लास्टर ऑफ पेरिस एवम कृत्रिम रंगों से तैयार मूर्ति जब गंगा में विसर्जीत होती थी तो गंगा का पानी बिल्कुल प्रदूषित हो जाता था इसलिय सरकार ने प्रसाशन की सहयोग से गंगा में मूर्ति न विसर्जन करने की मुहिम चलाई,वही इसवार कुंभकारों ने भी सरकार और प्रसाशन को साथ देते हुए माँ सरस्वती की प्रतिमा को बिल्कुल प्रकृति रंगों से सराबोर कर अनुपम रूप दिया ताकि माँ सरस्वती की पूजा खत्म होने के बाद मूर्ति गंगा में विसर्जन हो तो पूरी तरह से रंग मिट्टी से खत्म हो जायेगा और गंगा के पानी पर कोई असर नही पड़ेगा।इसवार माँ सरस्वती की प्रतिमा प्रकृति रंगों से रंगा गया है जिसकी काफी धूम मची है बहुत डिमांड के साथ माँ सरस्वती की प्रतिमा को पटनासिटी से ले जा रहे है।Body:स्टोरी:-प्रकृति रंगों से तैयार माँ की मूर्ति।
रिपोर्ट:-पटनासिटी से अरुण कुमार।
दिनाँक:-29-01-2020.
एंकर :- स्वच्छता एवम जल जीवन हरियाली सरकार की इस मुहीम का हिस्सा कुम्हार भी बन गए है। बही इसबार की सरस्वती पूजा में माँ सरस्वती की प्रतिमा बनाने के लिए मूर्तिकार प्राकृतिक रंग का उपयोग कर रहे है ! ऐसा ही नजारा देखने को मिला पटना सिटी के मूर्तिकारों के यहाँ ! जहाँ पिछले दो माह से पूरा परिवार माँ सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे है और अब प्रतिमाओ को रंग रोगन कर अंतिम रूप देने में जुटे है ! मूर्तिकारों का कहना है की विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा खास कर शिक्षण स्थानो में होता है।स्कूल और कोचिंग संस्थानों में इस पूजा का बड़ा महत्व है ।छात्र विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा कर विद्या में निपुण्य होने की कामना करते है ! मूर्तिकार भी विद्या की देवी माँ सरस्वती से सिख लेकर प्रतिज्ञा लिया है की प्रतिमा का रंग रोगन करने में केमिकल रंग का उपयोग न कर प्राकृतिक रंग का उपयोग करेंगे ! ताकि मूर्ति विसर्जन में पोखर तलाव या फिर गंगा का जल प्रदुसित न हो !
बाईट:-सोम नाथ चटर्जी ( मूर्तिकार )Conclusion:गंगा की पानी प्रदूषित न हो इसको लेकर सरकार सख्त है और इसवार मूर्ति विसर्जन गंगा में न हो इसको लेकर सरकार और प्रसाशन दोनो सजग रहेंगे।वही इसवार कुंभकारों ने भी गंगा को स्वच्छता बरकरार रखने के लिये माँ सरस्वती की प्रतिमा में प्रकृति रंगों का उपयोग कर माता का मनोरम प्रतिमा तैयार किया है ताकि मूर्ति गंगा में विसर्जन हो भी तो गंगा का पानी प्रदुसित न हो। जल जीवन हरियाली और गंगा की निर्मलता और अविरलता सरकार की इस मुहीम है वही मुहिम को आज के कलाकारों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा प्रकृति रंगों से दिया है।
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