पटना: दिल्ली में ऑपरेशन लोजपा की सफलता के बाद पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) गुट के नेताओं का पटना वापस लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है. LJP MP वीणा देवी और LJP MP चौधरी महबूब अली कैसर मंगलवार शाम को पटना पहुंचे थे.
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लोजपा के संसदीय दल के नेता पशुपति पारस बुधवार शाम को पटना पहुंचे. लोजपा में टूट (Split in LJP) के बाद लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर घमासान जारी है. पशुपति पारस ने 17 जून को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. बैठक में तय हो सकता है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का हकदार कौन होगा.
चिराग गुट का दावा 78 में 50 सदस्य हैं हमारे साथ
लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का दावा दोनों तरफ से किया जा रहा है. पशुपति ने दावा किया है कि पार्टी का बहुमत उनके साथ है. वहीं, चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने मंगलवार को वर्चुअल मीटिंग बुलाई थी. इसके बाद उनके गुट के लोगों ने दावा किया कि 78 में से 50 कार्यकारिणी सदस्य हमारे साथ हैं. वर्चुअल मीटिंग के दौरान 42 लोग जुड़े थे. 8 लोगों ने फोन पर चिराग से बात की और अपना समर्थन दिया.
दिल्ली में बैठकर पार्टी बचाने में जुटे हैं चिराग
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस ने कार्यकारिणी की बैठक 17 जून को बुलाई है. हालांकि अब तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. पटना पहुंचने के बाद यह तय होगा कि गुरुवार को कार्यकारिणी की बैठक होगी या नहीं. वहीं, दिल्ली में बैठकर चिराग पासवान वरिष्ठ नेताओं और अधिवक्ताओं से पार्टी को बचाने को लेकर विचार- विमर्श में जुटे हैं.
सूरजभान कराएंगे चुनाव
राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार ने कहा, "कार्यकारिणी की बैठक के दौरान सदस्य तय करेंगे कि अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा. जिसके पक्ष में बहुमत होगी वही राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है. चिराग पासवान के गुट के लोग भी दावा कर रहे हैं कि उनके साथ कार्यकारिणी के 78 में से 50 सदस्य हैं. पार्टी के उपाध्यक्ष सूरजभान सिंह को एक्टिंग प्रेसिडेंट बनाया गया है. उन्हें चुनाव प्रभारी भी बनाया गया है."
कार्यकारिणी के सदस्य करेंगे फैसला
"जब तक कार्यकारिणी के सदस्य यह तय नहीं करेंगे कि उनका अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा तब तक चिराग पासवान ही राष्ट्रीय अध्यक्ष माने जाएंगे. यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अगले 8 दिनों के अंदर होना तय है. दोनों गुट के लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर दावेदारी कर रहे हैं. बैठक के बाद ही यह तय हो पाएगा कि कार्यकारिणी के सदस्य चिराग पासवान के साथ हैं या पशुपति पारस के साथ."
चिराग को मिल सकती है सहानुभूति
"जहां तक लोजपा के वोट बैंक की बात है देश में सहानुभूति की लहर हमेशा काम करती है. चिराग रामविलास पासवान के बेटे हैं. इस नाते उन्हें सहानुभूति मिल सकती है. पार्टी में टूट के बाद कई जगहों से चिराग के समर्थक सामने आए. लोगों की यह सहानुभूति बहुत दिनों तक बनी रहेगी या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता. सहानुभूति क्षणिक होती है. अभी बिहार में कोई चुनाव नहीं है. जब चुनाव आएगा तब इसका बेहतर आकलन हो पाएगा कि लोगों की सहानुभूति किनके साथ रही."- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विशेषज्ञ
पशुपति ने पीठ में घोंपा छुरा
लोजपा के प्रवक्ता और चिराग गुट के नेता चंदन सिंह ने कहा, "चाचा पशुपति पारस ने पीठ में छुरा घोंपा है. उनके साथ बिहार आ रहे पांचों सांसदों ने बिहार की धरती को कलंकित किया है. वे लोग चाहे जितनी बैठक कर लें कुछ होने वाला नहीं है. बिहार और देश की की जनता चिराग पासवान के साथ खड़ी है. पशुपति ने जो काम किया है उससे उनके बड़े भाई स्वर्गीय रामविलास पासवान की आत्मा भी कराह रही होगी."
पशुपति ने तोड़ दी पार्टी
"पशुपति पारस ने रामविलास पासवान की चिता की आग बुझने का भी इंतजार नहीं किया. उनकी मौत के एक साल भी नहीं हुए और पशुपति ने पार्टी तोड़ दी. रामविलास पासवान जब जीवित थे तब हमेशा उनका दरवाजा खुला रहता था. चिराग पशुपति के दरवाजे पर आधा घंटा खड़ा रहे, लेकिन उन्होंने दरवाजा तक नहीं खोला. पशुपति ने नीतीश कुमार के बहकावे में आकर अपने घर में आग लगा दी."- चंदन सिंह, प्रवक्ता, लोजपा
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