पटना: देशभर में इन दिनों कर्नाटक हिजाब मामला (Karnataka Hijab Case) को लेकर एक बहस छिड़ गई है. एक तरफ जहां राजनीतिक नेता अपना बयान दे रहे हैं. वहीं, मुस्लिम महिलाएं भी खुलकर इसका विरोध कर रह हैं. पटना में मुस्लिम महिलाओं ने विरोध जताया है. मसौढ़ी में अल फलाह सोसाइटी (Al Falah Society in Masaurhi) के तहत मुस्लिम महिलाओं ने इसका कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह धर्म संप्रदाय से लड़ाने की बात हो रही है.
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मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि दो धर्मों के लोगों को लड़ा रहे हैं, इससे बचना चाहिए. महिलाओं को बेपर्दा करने से बचना चाहिए. महिलाओं की इज्जत आबरू उस पर्दे से ढकी जाती है, ऐसे में औरतों को बेआबरू नहीं होना चाहिए. कोई भी संविधान यह नहीं कहता है कि किसी भी जाति धर्म में औरतों को बेपर्दा रखा जाए. ऐसे में हिजाब प्रकरण मामले को ज्यादा तूल देने की आवश्यकता नहीं है.
मसौढ़ी के मालिकाना मोहल्ले में अलफलाह सोसाइटी के तहत मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब प्रकरण मामले में कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह गलत हो रहा है. पूरे देशभर में धार्मिक संप्रदाय माहौल को खराब करने की कोशिश हो रही है. सद्भावना से छेड़छाड़ हो रही है. ऐसे में किसी भी संविधान में कोई भी जाति धर्म के लोगों के लिए पर्दा बेहद जरूरी होता है. मसौढ़ी के मालिकाना स्थित अल फलाह सोसाइटी के तहत विरोध जता रही महिलाओं में शमा परवीन, समा आफताब, सुर्खाब परवीन, फरीदा आफरीन, सबा कौशर, जीनत अमान, सबीना खातून, रोशन खातून, नसीमा खातून, नाजनीन परवीन निकहत परवीन समेत सैकड़ों महिलाओं ने कड़ा विरोध जताया.
बता दें कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 लागू कर दी है. इस वजह से सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी. जबकि नीजी स्कूल अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं. इस फैसले को लेकर विवाद पिछले महीने जनवरी में तब शुरू हुआ था, जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री ली थी.
जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए. कर्नाटक के उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने के विवाद ने राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इसे एक 'राजनीतिक' कदम करार दिया और पूछा कि क्या शिक्षण संस्थान धार्मिक केंद्रों में बदल गए हैं. कुल मिलाकर मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है.
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