पटना: राजधानी पटना (Patna News) से सटे विक्रम प्रखंड क्षेत्र के मुख्यालय में पिछले 20 सालों से बनकर तैयार हाईवे ट्रॉमा सेंटर (Trauma Center) अब तक चालू नहीं हो पाया है. इसे चालू कराने को लेकर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्थानीय सांसद से लेकर विधायक, मंत्री तक गुहार लगायी. लेकिन इसे चालू नहीं किया गया. स्थानीय सांसद और विधायक के जरिए आश्वासन जरूर मिला. वर्षों बाद भी सेंटर अब तक चालू नहीं हो पाया. जिसके बाद अब स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे चालू कराने को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है. जिसका आज चौथा दिन है.
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आमरण अनशन के चौथे दिन अनशन पर बैठे दीपक कुमार की तबीयत अचानक बिगड़ गई. लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई भी अधिकारी या मंत्री भी उनसे मिलने नहीं पहुंचे. तबीयत बिगड़ने के बाद उन्होंने अस्पताल ना जाकर अनशन स्थल पर ही रहना सही समझा. डॉक्टर द्वारा उन्हें पानी चढ़ाया गया. ट्रॉमा सेंटर को चालू करवाने को लेकर अनशन का आज चौथा दिन है.
चौथे दिन भी आंदोलनकारियों ने सरकार के प्रतिनिधि के ना आने के कारण जमकर नारेबाजी की. कहा कि सरकार बिल्कुल सो चुकी है. पिछले 4 दिनों से आमरण अनशन शुरू है, लेकिन सरकार के लोगों तक यह बात नहीं पहुंची है. यहां तक कि स्थानीय विधायक सिद्धार्थ सिंह एवं भाजपा सांसद रामकृपाल यादव भी अब तक अनशन स्थल पर नहीं पहुंचे और ना ही लोगों से मुलाकात की है.
आपको बता दें कि 2001 में तात्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर द्वारा विक्रम में हाईवे ट्रॉमा सेंटर बनाने को लेकर शिलान्यास किया गया था. एक साल बाद करोड़ों रुपए के लागत से बने ट्रॉमा सेंटर का अब तक उद्घाटन नहीं हो पाया है.
ट्रॉमा सेंटर में मशीनें भी आ चुकी हैं. इसे चालू नहीं करने के कारण मशीनें भी अब बर्बाद होना शुरू हो चुकी हैं. सरकार बदलती गईं और ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन भी फाइलों में दबता चला गया. कई बार तो स्थानीय भाजपा सांसद रामकृपाल यादव भी ट्रॉमा सेंटर पहुंचे, लेकिन वह भी इन सभी से बचते दिखते हैं. इस ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर और मेडिकल टीम की नियुक्ति नहीं होने के कारण अब ट्रॉमा सेंटर का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. कहीं कहीं से तो भवन टूटने के कगार पर पहुंच चुका है.
'पिछले 20 सालों विक्रम में बना हाईवे ट्रॉमा सेंटर तैयार है. लेकिन अब तक इसे राज्य सरकार की तरफ से उद्घाटन नहीं किया गया. ना ही कोई व्यवस्था दी गई है. अगर यह ट्रॉमा सेंटर चालू हो जाता तो विक्रम और यहां तक आसपास जिलों को भी काफी सुविधा मिलती. काफी लोगों की जान बच सकती है. लेकिन इसके बंद रहने से आए दिन सड़क हादसे में कई लोगों की मौत स्वास्थ्य व्यवस्था के अभाव में या पटना ले जाने के क्रम में हो जाती है.' -दीपक कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता
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