पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बीते कुछ दिनों की अपेक्षा कम जरूर हुई है, लेकिन इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था लगभग जस की तस बनी हुई है. सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमण के कारण मरने वालों का आंकड़ा चिंताजनक है. हालांकि ज्यादातर लोग कोरोना को मात देकर अपने घर लौट रहे हैं.
एक फीसदी से भी कम लोगों की मौत
बिहार में कुल संक्रमण के मामलों की संख्या का एक फीसदी से भी कम लोगों की मौत हो रही है. ज्यादातर मौतें सरकारी अस्पतालों में ही हो रही हैं. इसकी वजह कुछ लोग बीते दिनों अस्पतालों में हुए ऑक्सीजन की भारी कमी बता रहे हैं, तो कुछ कोरोना के कारण संक्रमितों में भय व्याप्त होना बताते है.
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सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर मौतें
आंकड़ों की बात करें तो मई के पहले सप्ताह में एनएमसीएच में कोरोना के कारण 93 लोगों की मौत हुई. सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में 48 लोगों की मौत हुई. वहीं पटना एम्स में 225 मरीजों में से 72 की मौत हो गई. आईजीआईएमएस की बात करें तो यहां भर्ती हुए 248 मरीजों में से 105 की मौत हो गई. भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती हुए 126 मरीजों में से 34 मरीजों को नहीं बचाया सका. मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच में 223 लोग भर्ती हुए. इस अस्पताल में 86 लोगों की मौत हो गई.
जबकि, जननायक कर्पूरी ठाकुर चिकित्सा महाविद्यालय (मधेपुरा) में 24 मरीजों की मौत हो गई. बात गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया की करें तो यहां भी भर्ती हुए 210 मरीजों में से 96 को को कोरोना ने निगल लिया. डीएमसीएच की भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही. इस दौरान 74 मरीजों की मौत हो गई.
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संसाधन को दुरुस्त करने की जरुरत
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा कि सरकार कोरोना से निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. उन्होंने सरकार से जरूरी संसाधनों में इजाफा करने की सरकार से मांग की है.
"कोरोना मरीजों का ज्यादातर इलाज सरकारी अस्पतालों में ही हो रहा है. इस लिहाज से मौतों का आंकड़ा भी ज्यादा है. बीते दिनों हुई ऑक्सीजन की किल्लत भी इसका एक प्रमुख कारण है. वहीं कोरोना का लोगों के अंदर समाया हुआ डर से भी इंकार नहीं किया जा सकता है."- केशव कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
वहीं, जदयू नेता और डॉक्टर सुनील ने इस मामले पर बोलते हुए बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण अधिक पैर पसार रखा है. अस्पताल पहुंचने तक मरीजों की स्थिति गंभीर हो जा रही है. लोगों को संभलकर रहने की जरूरत है.