पटना: बिहार विधानमंडल में विपक्ष ने शराबबंदी कानून (Prohibition Law In Bihar) के नियमों में संशोधन के मुद्दे को उठाया. इसको लेकर जदयू के विधान पार्षद नीरज कुमार (MLC Neeraj Kumar Attacked Tejashwi Yadav) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से विपक्ष को पेट मे दर्द हो रहा है. विपक्ष अभी भी शराब तस्करों के पक्ष में पूरी तरह दिख रहा है. शराबबंदी को लेकर जो भी कानून बना है और जो भी संशोधन हो रहा है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. शराबबंदी है, वह लागू रहेगी. उसे कड़ाई से लागू करने के लिए प्रयास किया जा रहा है.
नीरज कुमार का बयान: वहीं बेरोजगारी के मुद्दे पर तेजस्वी के बयान (Tejashwi Yadav Over Employment Issue) पर भी नीरज कुमार ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी को रोजगार पर बोलने का हक नहीं है. जिस तरह से उनके पिताजी ने रोजगार देकर लोगों से जमीन लिखवा ली थी, वो दुनिया जानती है. आज वो लोग रोजगार की बात करते हैं. सरकार का जो रोजगार देने का वादा है, उस पर काम हो रहा है.
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"रोजगार के सवाल पर अपने पैतृक गांव को मापदंड मान लीजिए. हमलोग किसी की जमीन अपने नाम नहीं लिखवाए हैं. तेजस्वी यादव, जब आप रोजगार की बात करते हैं तो ये भी जान लीजिए आपके माता-पिता ने गरीब मासूम लोगों से एक कट्ठा, दो कट्ठा जमीन लिखवा लिया था. उसका दस्तावेजी प्रमाण मेरे पास है. आज फुलवरिया जो उनका पैतृक गांव है, वहां जाकर पता करें रोजगार कौन दे रहा है. विकास कौन कर रहा है. आज उनको रोजगार की याद आ रही है. जो बात राजद के लोग करते हैं, वो अनर्गल बयानबाजी है. जनता भी देख रही है."- नीरज कुमार, जदयू एमएलसी
बता दें कि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav Raised Questions On MGNREGA) ने आज पहला सवाल पूछा. बेरोजगारी के सवाल पर सरकार को घेरने की कोशिश की और कहा कि मनरेगा के तहत बिहार में लोगों को जो काम मिलना चाहिए, वह मिल नहीं रहा है. सरकार जो जवाब दे रही है, उसके आंकड़े में भी गड़बड़ी है. इस पर जवाब देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा यदि अधिकारियों ने गलत आंकड़े दिए हैं तो 1 सप्ताह में हम जांच कर कार्रवाई करेंगे. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष से नेता प्रतिपक्ष (Tejashwi Yadav first question in Bihar Assembly) ने कहा कि इस प्रश्न को स्थगित कर दिया जाए.
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तेजस्वी यादव का सवाल: असल में तेजस्वी यादव ने ग्रामीण विकास विभाग से सवाल पूछा था कि राज्य के बेरोजगार जीवन यापन के लिए दूसरे प्रदेशों में नौकरी की तलाश में जाते हैं. सरकार द्वारा राज्य से पलायन रोकने और उनके ही पंचायत में वर्ष में न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा की स्थापना की गई है. केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के बजट में 40% तक कटौती की गई है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार काम मांगने के बावजूद काम नहीं देने में बिहार प्रथम स्थान पर है. इसी सवाल के जवाब पर हंगामा हुआ और तेजस्वी यादव ने सरकार पर गलत जवाब देने का आरोप लगाया.
सदन की कार्यवाही: बता दें कि, वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट 28 फरवरी को (bihar budget will come on monday) पेश किया गया. बजट पेश होने के बाद राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर वाद विवाद हुआ. 2 मार्च को तीसरी बैठक के दिन विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद विवाद के बाद सरकार ने अपना उत्तर दिया. वहीं 3 मार्च को वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय-व्यय पर सामान्य विमर्श किया गया.
4 मार्च को वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय व्यय पर सरकार का उत्तर हुआ. 7 मार्च को तृतीय अनुपूरक बजट पर सरकार का उत्तर आया. 8 से 25 मार्च तक वित्तीय वर्ष 2022-23 के अनुदानों की मांग पर वाद विवाद और मतदान होगा. 28 मार्च को राजकीय विधेयक, 29 को गैर सरकारी संकल्प जबकि 30 मार्च को राजकीय विधेयक और 31 मार्च को अंतिम दिन गैर सरकारी सदस्यों के कार्य पूरे होंगे.
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