पटना: बिहार में कुढ़नी उपचुनाव को (By Election in Kurhni) लेकर सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. इसके साथ ही राजनीति दलों के सामने चुनौतियों भी खड़ी होने लगी है. सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय जनता दल के सामने आ खड़ी हुई है. बीजेपी की अल्पसंख्यक वोट बैंक (minority vote bank ) पर नजर, एआईएमआईएम की सेंधमारी की संभावना, आरजेडी में कमजोर होता अल्पसंख्यक नेतृत्व और विगत चुनाव परिणामों से मिले रुझान ने आरजेडी की परेशानी बढ़ा दी है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक कुढ़नी उपचुनाव को आरजेडी के लिए चुनौती मान रहे हैं.
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अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंधमारी के आसारः आजतक आरजेडी एमवाई समीकरण की बुनियाद पर चल रही थी. लालू प्रसाद यादवमुस्लिम-यादव के गठजोड़ के बदौलत लंबे समय तक सत्ता में बने रहने में कामयाब हुए, लेकिन तेजस्वी यादव ए टू जेड की सियासत कर रहे हैं. साथ ही पिछले कुछ चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी एआईएमआईएम की ओर से आरजेडी को लगातार चुनौती मिल रही है. गोपालगंज सीट आरजेडी को एआईएमआईएम की वजह से गंवानी पड़ी. एआईएमआईएम के उम्मीदवार को 12 हजार से अधिक वोट गोपालगंज में हासिल हुए. अब कुढ़नी विधानसभा सीट पर भी एआईएमआईएम की ओर से प्रत्याशी खड़े किए गए हैं.
एआईएमआईएम फैक्टर का दिख रहा असरः गौरतलब हो कि, 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. पार्टी के पांच विधायक सदन में पहुंचे. ओवैसी की वजह से आरजेडी को 9 सीटों पर शिकस्त मिली थी. बदली हुई परिस्थितियों में बीजेपी की नजर भी अल्पसंख्यक वोटों पर है. पसमांदा वोट बैंक साधने के लिए बीजेपी लगातार जोर आजमाइश कर रही है. पार्टी की ओर से पसमांदा के हितों की अनदेखी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है.
" बिहार में अल्पसंख्यकों के हितों की सरकार अनदेखी कर रही है. अगड़ी जाति के मुस्लमानों को पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया गया. ऐसे में पिछड़े और अति पिछड़े मुसलमानों के हितों की अनदेखी हो रही है" - डाॅ संजय जायसवाल, प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी
अल्पसंख्यक वोट बैंक को रिझाने में जुटी पार्टियांः बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार में अल्पसंख्यकों के हितों की सरकार अनदेखी कर रही है. अगड़ी जाति के मुस्लमानों को पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया गया. ऐसे में पिछड़े और अति पिछड़े मुसलमानों के हितों की अनदेखी हो रही है. बीजेपी इसके खिलाफ संघर्ष करेगी और पसमांदा मुसलमानों को उनका वाजिब हक दिलाएगी. वहीं आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि अल्पसंख्यक राष्ट्रीय जनता दल के साथ नीतियों के साथ जुड़े हैं.आरजेडी ने भी उनके हितों की चिंता की है, लेकिन बीजेपी ने अल्पसंख्यकों के विरोध में राजनीति की है और वह अपनी रणनीति में सफल होने वाले नहीं हैं. ओवैसी जैसे लोगों को भी बिहार की जनता स्वीकार नहीं करेंगी.
"आरजेडी के अंदर मुस्लमानों की नाराजगी का असर दिख रहा है. असदुद्दीन ओवैसी फैक्टर दिख रही है. आरजेडी में तस्लीमुद्दीन, शहाबुद्दीन और अली अशरफ फातमी ने अपने-अपने इलाके में कमान संभाल रखी थी, लेकिन अब अल्पसंख्यक नेतृत्व के अभाव से पार्टी के सामने चुनौती खड़ी है. ऐसे में पार्टी किसी अल्पसंख्यक चेहरे को आगे कर वोट बैंक को इंटैक्ट रखना चाहेगी" - डाॅ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
बढ़ सकती है आरजेडी की परेशानीः राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि आरजेडी में तस्लीमुद्दीन, शहाबुद्दीन और अली अशरफ फातमी ने अपने-अपने इलाके में कमान संभाल रखी थी, लेकिन अब अल्पसंख्यक नेतृत्व के अभाव से पार्टी के सामने चुनौती खड़ी है. ओवैसी और बीजेपी ने भी आरजेडी की परेशानी बढ़ा दी है. ऐसे में पार्टी किसी अल्पसंख्यक चेहरे को आगे कर वोट बैंक को इंटैक्ट रखना चाहेगी. अब्दुल बारी सिद्दिकी पर भी पार्टी की नजर है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह दो महीने से ज्यादा वक्त से प्रदेश कार्यालय नहीं आ रहे हैं. अध्यक्ष को लेकर अंतिम फैसला लालू प्रसाद यादव को करना है. सिंगापुर से लौटने के बाद लालू अध्यक्ष को लेकर कोई फैसला लेंगे. अगर जगदानंद सिंह वापसी के लिए नहीं तैयार होते हैं तो वैसी स्थिति में किसी अल्पसंख्यक पर भी पाटी दाव लगा सकती है.
"अल्पसंख्यक राष्ट्रीय जनता दल की नीतियों के साथ जुड़े हैं.आरजेडी ने भी उनके हितों की चिंता की है, लेकिन बीजेपी ने अल्पसंख्यकों के विरोध में राजनीति की है और वह अपनी रणनीति में सफल होने वाले नहीं हैं. ओवैसी जैसे लोगों को भी बिहार की जनता स्वीकार नहीं करेंगी" - एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी