पटना: बिहार (Bihar) में मानसून (Monsoon) ने अभी दस्तक ही है. लेकिन बीते कुछ दिनों की भारी बारिश (Heavy Rainfall) के बाद बाढ़ बिहार के कई जिलों के मुहाने पर खड़ी है. खतरे की घंटी बज चुकी है. कमला बलान, गंडक और बागमती ने उफान मारना शुरू कर दिया है. कोसी और गंगा का जल स्तर भी धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो चुका है. बाढ़ के खतरों से निपटने के लिए बिहार सरकार (Bihar Government) कितनी तैयार है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने जल संसाधन मंत्री संजय झा (Water Resources Minister) से खास बातचीत की.
गंडक नदी की स्थिति गंभीर
बातचीत के दौरान जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि फ्लैश फ्लड (Flash Flood) के कारण गंडक में गंभीर स्थिति बनी हुई है. तटबंध (Barrage) पर खतरा ना हो इसलिए सत्तरघाट के एप्रोच पथ को काटा गया है. मानसून के बाद सत्तर घाट पुल की लंबाई बढ़ाई जाएगी. उन्होंने कहा कि विभाग पूरी मुस्तैदी से लगा है. फ्लैश फ्लड की स्थिति में कहीं भी खतरा हो सकता है.
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72 घंटे पहले जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है
72 घंटे पहले लोगों को जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है. कंट्रोल रूम (Control Room) में 24 घंटे लोग किसी प्रकार की सूचना 1803456145 पर दे सकते हैं. संजय झा ने बिहार के लोगों को भरोसा भी दिलाया है कि बाढ़ से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग के अभियंता और अधिकारी दिन रात लगे हुए हैं.
गंडक में जून में फ्लैश फ्लड के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है. नेपाल के कैचमेंट और बिहार वाले हिस्से में भी रिकॉर्ड 200 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई है. जून में यह रिकॉर्ड बारिश है. गंडक में पहले जून में 50 हजार क्यूसेक पानी रहता था, लेकिन इस बार 4 लाख क्यूसेक पानी से अधिक पहुंच गया है. पिछले सालों की तुलना में यह 8 गुना ज्यादा पानी है.- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार सरकार
विशेषज्ञों से कराई थी तटबंध की जांच
वहीं, उन्होंने कहा कि पिछले साल आयी बाढ़ के बाद सरकार ने पटना एनआईटी (Patna NIT) के विशेषज्ञों से सत्तर घाट पुल का अध्ययन कराया था. जिसका उन्होंने रिपोर्ट सौंप दिया है. मानसून के बाद उसके अनुसार काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि तटबंध पर दबाव ना बने इसके लिए पहुंच पथ को तीन स्थानों से काट दिया गया है.
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इतनी बारिश होगी, इसका अनुमान नहीं था
मंत्री ने कहा कि विभाग के इंजीनियर व अधिकारी दिन रात लगे हुए हैं. वे पूरी तरह अलर्ट है. जून में इतनी बारिश होगी. इसका कोई अनुमान नहीं था. 15 जून तक तो फ्लड फाइटिंग (Flood Fighting) का काम समाप्त ही होता है, लेकिन इस बार अत्यधिक बारिश हो चुकी है. प्रकृति (Nature) का भी परिस्थिति बदल रही है. ऐसे में इसकी भी अध्ययन करने की जरूरत है.
कोरोना के कारण फ्लड फाइटिंग का काम पूरा
मंत्री झा ने कहा कि कोरोना (Corona) के बावजूद फ्लड फाइटिंग का काम समय पर पूरा किया गया है. हमारे कई इंजीनियर संक्रमित (Engineer Corona Positive) हो गए थे, कुछ की मौत भी हो गई. कई कांट्रेक्टर संक्रमित हो गए. संजय झा ने कहा कि टेक्नोलॉजी का भी हम लोग प्रयोग कर रहे हैं. निगरानी के लिए ड्रोन की भी मदद ले रहे हैं. 72 घंटे पहले चाहे बारिश की बात हो या फिर जलस्तर की उसकी सूचना भी दे रहे हैं.
फरक्का बिहार के लिए शोक
फरक्का (Farakka) बिहार के लिए शोक है. अगर वह डिमोलिश हो जाए तो सबसे अच्छा होगा, लेकिन हम लोग मांग करते रहे हैं. इसके गाद का सल्यूशन होना चाहिए. फरक्का बांध (Farakka Barrage) में सिल्ट जमा हो गया है. उसका असर यह हो रहा है कि गंगा के किनारे जो शहर हैं. उस पर खतरा है. हम लोग लंबे समय से इसके लिए मांग कर रहे हैं.
केंद्र को लेना होगा फैसला
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) को फरक्का को लेकर कॉल लेना पड़ेगा. फरक्का के डिमोलिशन की बात हम लोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन डिमोलिश हो जाए तो बिहार का कल्याण हो जाएगा. जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिल्ट पॉलिसी बनाने की बात रखी है. केंद्र सरकार ने भी कमेटी बनाई है.
नेपाल नहीं कर रहा सहयोग
नेपाल (Nepal) से आने वाले पानी को लेकर अब तक कोई उपाय नहीं किए जाने के सवाल पर जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा, 'केंद्र सरकार की तरफ से 2004 में ही डैम बनाने के लिये डीपीआर बनाने का फैसला हो चुका है. नेपाल की तरफ से सहयोग नहीं मिल रहा है. हम लोग भी अब अध्ययन करा रहे हैं. कोई ना कोई इसका रास्ता निकालना होगा'.
मंत्री के दावों की होगी अग्निपरीक्षा
बिहार में इस बार जून महीने से ही गंडक नदी कहर बरपा रही है. इसका बड़ा कारण नेपाल के हिस्से से आने वाला जल है. केचमेंट एरिया में बारिश का पिछला रिकॉर्ड भी टूटा है. ऐसे में दो से तीन महीना बिहार के बड़े हिस्से के लोगों के लिए चुनौतियों भरा होगा यह तय है. जल संसाधन मंत्री के दावे कितने पुख्ता हैं. यह आने वाले दिनों में तय होंगे.
संभावित बाढ़ से निपटने के लिए NDARF तैनात
बिहार में संभावित बाढ़ के खतरे से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीमें संवेदनशील जिलों में तैनात की जा रही हैं. पटना के बिहटा स्थित एनडीआरएफ, 9 वीं बटालियन की 10 टीमों को इस वर्ष मानसून के दौरान संभावित बाढ़ के खतरे के मद्देनजर बिहार राज्य के अलग-अलग जिलों में तैनात किया जा रहा है.
NDRF की 10 टीमें विभिन्न जिलों में तैनात
कमांडेंट विजय सिन्हा ने बताया कि बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की मांग पर तथा बल मुख्यालय एनडीआरएफ, नई दिल्ली की सहमति से 9 वी वाहिनीं एनडीआरएफ की कुल 10 टीमों को बिहार राज्य के अररिया, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफफरपुर, गोपालगंज, मोतिहारी, बेतिया तथा पटना जिलों में तैनात किया जा रहा है.
उन्होंने बताया, '' वर्तमान में बेतिया, अररिया, किशनगंज, दरभंगा, मोतिहारी, गोपालगंज तथा झारखंड के जमशेदपुर जिले में टीमों की तैनाती की जा चुकी हैं. शेष बाकी अन्य जिलों में जरूरत के हिसाब से जल्दी ही एनडीआरएफ टीमें तैनात कर दी जाएगी.''
उन्होंने कहा कि सभी टीमें अत्याधुनिक बाढ़ बचाव उपकरण, कटिंग टूल्स व उपकरण संचार उपकरण, मेडिकल फस्ट रेस्पांडर किट, डीप डाइविंग सेट इनफ्लैटेबल लाइटिंग टावर आदि से लैस है.
सिन्हा ने बताया कि बाढ़ से पहले एनडीआरएफ की सभी टीमें सम्बंधित तैनाती वाले जिलों में जन जागरूकता अभियान तथा आपदा विषय पर स्कूलों में प्रशिक्षण व मॉक ड्रील करेंगी.
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष बाढ़ आपदा के दौरान कोरोना वायरस महामारी को भी हमारे बचाव कर्मी गंभीरता से लेंगे. सभी कार्मिकों को कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए पीपीई, मास्क, फेस शील्ड, फैब्रीकेटेड फेस हुड कवर, सैनिटाइजर, हैंडवॉश दिया गया है.
उन्होंने कहा, '' बाढ़ बचाव ऑपरेशन के दौरान हमारे एनडीआरएफ के बचावकर्मी कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षात्मक दिशानिर्देश तथा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करेंगे तथा आम जनता को भी कोविड-19 सुरक्षात्मक उपायों का पालन करने के लिए जागरूक व प्रोत्साहित करेंगे.''