पटना: लोजपा (LJP) सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) और राजद (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) बिहार की राजनीति के युवा चेहरे हैं. दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी और अब इस मुलाकात पर सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी (BJP) ने दोनों नेताओं की मुलाकात को गैर राजनीतिक करार दिया है.
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तेजस्वी यादव और चिराग पासवान दोनों के बीच लंबे अरसे के बाद मुलाकात हुई है. इस मुलाकात पर सियासत भी शुरू हो गई है. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) पिछले दिनों यह कह चुके हैं कि चिराग और तेजस्वी को एक साथ आना चाहिए. तेजस्वी ने भी लालू यादव के बयान पर सहमति जताई है.
दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार (Minister Pramod Kumar) ने कहा कि चिराग पासवान और तेजस्वी यादव के बीच मुलाकात के कोई राजनीतिक मायने नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इससे पहले लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान भी एक फोरम पर आ चुके हैं और नतीजा सबको पता है.
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''राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)की सरकार जब बिहार में बनी थी, तब दोनों नेता साथ थे और आने वाले दिनों में भी अगर चिराग पासवान और तेजस्वी यादव साथ आएंगे तो उससे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.''- प्रमोद कुमार, मंत्री, बिहार सरकार
हालांकि, दोनों की मुलाकात की सियासी चर्चा पर तेजस्वी यादव और चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की बरखी के लिए चिराग पासवान न्योता देने आए हैं. चिराग पासवान ने कहा था कि वो लालू यादव से भी मिलेंगे और इसके बाद अगर सीएम से मिलने का समय मिला तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी न्योता देंगे.
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बता दें कि जून महीने में एलजेपी दो टुकड़ों में बंट गई थी. चिराग को छोड़कर पार्टी के सारे सांसद पशुपति पारस (Pashupati Paras) की ओर चले गए थे और उन्हें एलजेपी प्रमुख और लोकसभा में सदन का नेता चुन लिया गया. चिराग पासवान इस लड़ाई को कोर्ट और चुनाव आयोग तक लेकर जा चुके हैं. वहीं, जुलाई महीने में जब मोदी सरकार का कैबिनेट विस्तार हुआ, तब चिराग की बजाय पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री बनाया गया. मोदी सरकार में पारस को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली.
एलजेपी में टूट के बाद तेजस्वी यादव और चिराग पासवान एक-दूसरे के पक्ष में बयान दे चुके हैं. तेजस्वी ने चिराग को साथ आने का ऑफर देते हुए कहा था कि उनके साथ गलत हुआ. तेजस्वी ने याद दिलाया था कि साल 2010 में राम विलास पासवान को लालू यादव ने राज्यसभा भेजने में मदद की थी, जब एलजेपी के कोई विधायक नहीं थे.