पटना: राजनीति में अंधविश्वास का प्रचलन कोई नया नहीं है. बुधवार को बिहार में सत्तारूढ़ विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के सभी तीन विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो जाने के बाद अब वीआईपी के संस्थापक मुकेश सहनी (Minister Mukesh Sahani) के मंत्री बने रहने पर भी संशय है. ऐसे में अब इसे भी अंधविश्वास से जोड़कर देखा जाने लगा है. मुकेश सहनी के साथ जो हालात बने हैं वो बताने के लिए काफी है कि उनकी 'गृह'दशा में हलचल शुरू हो चुकी है.
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क्यों उल्टे हो रहे मुकेश के फैसले? मुकेश सहनी जो भी फैसले ले रहे हैं वो उनके लिए ही मुसीबत लेकर आ रहा है. यूपी में अपनी पार्टी को चुनाव पर उतारा और नतीजे मन मुताबिक नहीं मिले. बिहार में एनडीएस से अलग जाकर बोचहां विधानसभा उपचुनाव से उम्मीदवार खड़ा किया तो वो भी आरजेडी में शामिल हो गया. एमलएसी चुनाव पर अपनी पार्टी से उम्मीदवार उतारने जैसे फैसले लेकर मुकेश सहनी खुद को मुसीबतों से घेर चुके हैं.
मुकेश सहनी का छूटेगा बंगला? बिहार के पशुपालन मंत्री मुकेश साहनी इन दिनों चर्चा में हैं. उनकी पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी के नेता उनसे इस्तीफा की मांग कर रहे हैं. जुलाई में विधान परिषद का कार्यकाल भी मुकेश सहनी का समाप्त हो रहा है. ऐसे में उनका मंत्री पद और उनका बंगला नंबर 6 का जाना तय माना जा रहा है. पिछले 12 साल में यहां रहने वाले तीन मंत्रियों की कुर्सी जा चुकी है. इसलिए इसे मंत्रियों के लिए अपशकुन वाला बंगला बताया जा रहा है.
सहनी ने बंगले को खास तरीके से करवाया तैयार: पूर्व मंत्री अवधेश कुशवाहा, आलोक मेहता और मंजू वर्मा अपने 5 साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए. ठीक ऐसा ही संकट इस बार मुकेश सहनी पर साफ दिखाई दे रहा है. हालिया सियासी घटना क्रम पर नजर डालें तो स्थिति साफ हो जाती है. माना जा रहा है कि बीजेपी से बढ़ते विवाद के कारण मुकेश सहनी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे. इसलिए इनको भी बंगला खाली करना पड़ सकता है. इस अपशकुन से बचने के लिए मुकेश सहनी ने अपने 6 स्टैंड रोड बंगले को खास तरीके से तैयार भी करवाया. बंगले के अंदर फिनिशिंग से लेकर परिसर में भी साज सज्जा विशेष तौर पर करवाई. मछलियों के लिए पोखर तक बनवाया, लेकिन वास्तु विद के मुताबिक कुछ कमी रह गई.
'बंगले में वास्तु दोष': पटना के 'नक्षत्र ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केंद्र' के संस्थापक पंडित प्रेम सागर पांडे ने बताया कि वर्तमान में मंत्री मुकेश साहनी जिस बंगले में रह रहे हैं उसमें बहुत बड़ा वास्तु दोष है. मंत्री आवास का प्रवेश द्वार अग्निकोण से है. आवास परिसर में स्थित भवन का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है. ये दोनों दशाएं नकारात्मकता का प्रतीक हैं. इसके अलावा आवास परिसर का जो प्रवेश द्वार है उसके दाहिनी तरफ आवास का अत्यधिक हिस्सा है और बाईं तरफ काफी कम जगह है. वास्तु शास्त्र के अनुसार ये वास्तु दोष है. आवास परिसर में प्रवेश के बाद बाई तरफ अधिक जगह होनी चाहिए. हालांकि मंत्री के आवास का जो प्रवेश द्वार है उसे लाल रंग से रंगा गया है और मछली बनाया गया है. यही एक उस आवास की सकारात्मकता है, लेकिन वहीं मंत्री के भवन में प्रवेश द्वार पर जो जमीन से जुड़ा हुआ एक्वेरियम बनाया गया है वह गलत जगह पर है. मकान का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है और दक्षिण दिशा में ही एक्वेरियम है. जबकि एक्वेरियम का स्थान उत्तर पूरब, उत्तर और उत्तर पश्चिम दिशा में ही होनी चाहिए.
बंगले में शनि भारी : पंडित प्रेम सागर पांडे ने बताया कि मंत्री के आवास में जब हम प्रवेश करते हैं तो बाई तरफ उनका कार्यालय है. साथ ही लगा हुआ अतिथि कक्ष है. जनता के लिए जो जगह निर्धारित की गई है वो दक्षिण और नैऋत्य नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण के मध्य में है. ये स्थान शनि का है. जिस वजह से शनि का प्रभाव बढ़ जाता है. नकारात्मक विचारों और निर्णयों की सबलता बढ़ जाती है. सोच काल्पनिक हो जाता है और वास्तविकता से दूरी बढ़ने लगती है.
बंगले में कार्यालय दोष: जब नए-नए शत्रु बनते हैं तो शत्रु मजबूत होते जाते हैं. मित्रों से नकारात्मकता भी बढ़ती है. ऐसे में कार्यालय दोष को मिटाने के लिए वास्तु विद् को बुलाकर उसे ठीक से दिखाना चाहिए और कई ऐसे पेड़ पौधे और यंत्र हैं जिसे लगाने के बाद कार्यालय के स्थान का जो दोष है वह खत्म हो जाता है.
इससे उत्पन्न होती है विध्वंशक सोच: मंत्री मुकेश सहनी की आवास में एक और गलत चीज है, वह है भगवान शिव के विग्रह (प्रतिमा) का स्थान. बेशक मंत्री महोदय भगवान शिव की आराधना करते हैं, उन्हें पूजते हैं, लेकिन जो अब शिव के विग्रह का स्थान है वह गलत जगह पर है. विग्रह की दृष्टि भी गलत दिशा में है. भगवान शिव के विग्रह की दृष्टि वायब्य कोण (उत्तर-पश्चिम) की तरफ है जबकि भगवान शिव के विग्रह की दृष्टि उत्तर दिशा में मानी जाती है. भगवान शिव के विग्रह के ऊपर ना तो कोई छतरी है और विग्रह के पीछे व्यक्ति विशेष की बड़ी प्रतिमा है. यह सब गृहस्वामी के सोच को विध्वंस की दिशा में ले जाता है. गृहस्वामी के कार्य को विध्वंसक बना देता है और कार्य के परिणाम मनचाहे नहीं मिलते.
सबसे पहले अवधेश कुशवाहा की कुर्सी गई: जिस बंगले में फिलहाल मुकेश सहनी रह रहे हैं उसी बंगला नंबर 6 का आवंटन वर्ष 2010 जदयू नेता और उत्पाद विभाग के मंत्री अवधेश कुशवाहा को किया गया था. लेकिन कार्यकाल पूरा करने से पहले ही रिश्वतखोरी के एक मामले में वे फंस गए. कुशवाहा को कार्यकाल के पहले ही इस्तीफा देना पड़ गया, जिससे उनका सरकारी बंगला भी छिन गया. तभी से इस बंगले को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी.
आलोक मेहता को मंत्री पद गंवाना पड़ा : बिहार में वर्ष 2015 में राजद और जदयू की सरकार बनी तब यह सरकारी बंगला सहकारिता मंत्री बने आलोक मेहता के हिस्से आया. उन्हें इस बंगले में रहते हुए करीब डेढ़ साल ही गुजरे थे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और फिर भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया. नीतीश कुमार के इस निर्णय के कारण आलोक मेहता को मंत्री पद गंवाना पड़ा, जिससे वे बंगला में रहते अपने कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.
मंजू वर्मा को भी नहीं भाया 6 नंबर बंगला: इसके बाद मंत्री बनी मंजू वर्मा (Former minister Manju Verma) को यह आवास आवंटित किया गया, लेकिन वे भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं. उनका नाम मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह (Muzaffarpur shelter home sexual exploitation case) से जोड़े जाने के बाद उन्हें भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
'बंगला दोष' से 'पैदल' हुए मुकेश सहनी : इसके बाद विधानसभा चुनाव 2020 के बाद मंत्री बने मुकेश सहनी को यह बंगला आवंटित किया गया है. फिलहाल सहनी इसी आवास में रह रहे हैं, लेकिन उनके सभी तीन विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. इधर, गुरुवार को जब मंत्री पद से इस्तीफा देने के संबंध में सहनी से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है. वे जैसा कहेंगे हम करेंगे.
वास्तु विद ज्योतिषाचार्य पंडित प्रेम सागर पांडे ने बताया कि वह सरकार से अनुरोध करेंगे कि इस मंत्री आवास का जो प्रवेश द्वार है और आवास के अंदर मकान का जो प्रवेश द्वार है उसके कंस्ट्रक्शन में बदलाव किया जाएं. क्योंकि, यह आवास सरकार में शामिल उनकी पार्टी और उनके सहयोगी पार्टी के लोगों को ही दी जाती है. यदि इस मकान का वास्तु दोष दूर होता है तो मंत्री के कार्य का सकारात्मक असर सरकार पर भी होगा. अब देखना होगा कि सहनी इस सरकारी बंगला में रहते अपना कार्यकाल पूरा करते हैं या अन्य तीन मंत्रियों की तरह यह बंगला उनके लिए भी अशुभ ही साबित होता है. हालांकि, राजनीतिक क्षेत्र के जानकार इसे संयोग मात्र ही बता रहे हैं.
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