पटना: बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Minister Amarendra Pratap Singh) ने भारत बंद (Bharat Bandh) को लेकर विपक्षी दलों की नियत पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि कृषि कानून (Farm Law) काला है या सफेद ये हम नहीं जानते, लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि देश के किसानों ने इसको स्वीकार किया है और ये कानून किसान के व्यापक हित में है.
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''विपक्ष इसको लेकर राजनीति कर रहा है और ये भी कहती है कि ये आंदोलन 2024 तक चलेगा. जब केंद्र सरकार किसान नेताओं से बात करने की कोशिश करती है, तो सीधे कहते हैं कि कृषि कानून निरस्त करें, इसका क्या मतलब है. ये भी जनता जान गई है. किसान आंदोलन में कहीं भी किसान नहीं है. राजनीतिक दल इसे चला रहे हैं और अपने एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं.''- अमरेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार सरकार
बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि अगर यह आंदोलन किसान का होता तो जिस तरह विपक्षी दलों ने बंद बुलाया था, इसमें किसान भी होते. लेकिन, कहीं भी किसान नजर नहीं आया है. जहां देखिए राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं का हुजूम था और नारे भी अपनी-अपनी पार्टी के लगा रहे थे. कहीं से भी किसान की कोई मांग उनके नारे में भी नहीं दिखी, ना ही इस आंदोलन में कोई किसान हित की मांग है.
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कुल मिलाकर देखे तो यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है और विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, तो इसी को लेकर वह सरकार को घेर रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार किसानों के फायदे पर काम कर रहे हैं और देश का किसान वर्तमान सरकार की नीतियों से खुश है. ये आन्दोलन सिर्फ राजनीतिक है और इसमें भारत के किसान कभी भी शामिल नहीं हो सकते हैं.
बता दें कि बिहार में भारत बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला. विपक्षी दलों ने एकजुटता के साथ बंद का समर्थन किया और केंद्र से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. वहीं, बीजेपी ने भारत बंद को फ्लॉप बताया है. इस पूरे आंदोलन में सबसे ज्यादा वाम दलों की सक्रियता रही है.