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Millet Expo in Patna: 'बिहार में बाजरा, रागी के निर्यात की संभावनाएं'- उद्योग मंत्री - अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष

पुराने जमाने में मिलेट (मोटे अनाज) की खेती हुआ करती थी. किंतु बदलते परिवेश में मिलेट की खेती से आम किसान दूर हो गये. बड़ी बात यह है, कि मिलेट में वह सब पौष्टिक गुण मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर के अनुकूल हों. इसी को देखते हुए एक बार फिर से इसकी खेती करने के लिए किसानों को जागरूक (Millet Expo in Patna) किया जा रहा है. पढ़ें, विस्तार से.

मिलेट एक्सपो
मिलेट एक्सपो
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Published : Apr 29, 2023, 5:27 PM IST

पटना में मिलेट एक्सपो.

पटना: साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित (international millet year) किया गया है. केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों का उत्पादन करने वाले किसानों को विशेष रियायत देने की घोषणा की है. इसी कड़ी में आज शनिवार को पटना के उर्जा ऑडिटोरियम में मिलेट अनाज से होने वाले फायदे से लोगों को अवगत कराने के लिए मिलेट एक्सपो का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन उद्योग मंत्री समीर महासेठ के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया. लोक कलाकारों ने मिलेट के फायदे के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए नाट्य का आयोजन किया गया.

इसे भी पढ़ेंः Millet House In Gaya: गया में खुला बिहार का पहला मिलेट घर, यहां उपलब्ध हैं मोटे अनाज से बनी वेराइटी

"बिहार सरकार भी प्रयास कर रही है कि किसानों को मोटिवेट किया जाएगा कि मडुआ, बाजरा और ज्वार की खेती पर भी किसान ध्यान दें. बिहार में बाजरा, रागी और अन्य प्रकार के उत्पादन होता है. इसके निर्यात की काफी संभावनाएं हैं. मुझे यकीन है कि एग्री एंड फूड प्रोसेसिंग कॉन्क्लेव में लोगों को जागरूक किया जाएगा, जिसका सार्थक परिणाम मिलेगा"- समीर महासेठ, उद्योग मंत्री

शरीर मजबूत रहता है: उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने बताया कि किसानों को अवेयर करने की जरूरत है. कम लागत में इसकी खेती करें. इसके फायदे लोगों को बताए जाएंगे तो निश्चित तौर पर जो हमारे पूर्वज किया करते थे उसका फिर से लोगों के द्वारा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बाजार में मनुष्य के लिए सबसे पुराना खाद्य पदार्थ ज्वार बाजरा के साथ-साथ कई चीज है, जिससे लोगों को फायदा मिलता है. शरीर मजबूत रहता है साथ ही शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती है. शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण इसका महत्व कम हो गया है.

मोटे अनाज का प्रचलन घटाः उद्योग मंत्री ने कहा कि बाजरा हमारे आंतरिक परिस्थिति तंत्र में एक बायोटिक फीडिंग माइक्रो के रूप में कार्य करता है. कुछ साल पहले मरुआ, बाजरा खाने से लोग मजबूत रहते थे. स्वस्थ रहते थे, लेकिन लोगों ने इसकी खेती करना छोड़ दिया. अब सरकार की पहल के बाद मोटे अनाज बढ़ावा को लेकर प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहले जो हम लोग खाना खाते थे, उससे स्वस्थ रहते थे. अब बदलते परिवेश में लोगों के खान-पान में काफी बदलाव हो गया जिससे कि मोटे अनाज का प्रचलन गायब हो गया.

पटना में मिलेट एक्सपो.

पटना: साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित (international millet year) किया गया है. केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों का उत्पादन करने वाले किसानों को विशेष रियायत देने की घोषणा की है. इसी कड़ी में आज शनिवार को पटना के उर्जा ऑडिटोरियम में मिलेट अनाज से होने वाले फायदे से लोगों को अवगत कराने के लिए मिलेट एक्सपो का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन उद्योग मंत्री समीर महासेठ के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया. लोक कलाकारों ने मिलेट के फायदे के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए नाट्य का आयोजन किया गया.

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"बिहार सरकार भी प्रयास कर रही है कि किसानों को मोटिवेट किया जाएगा कि मडुआ, बाजरा और ज्वार की खेती पर भी किसान ध्यान दें. बिहार में बाजरा, रागी और अन्य प्रकार के उत्पादन होता है. इसके निर्यात की काफी संभावनाएं हैं. मुझे यकीन है कि एग्री एंड फूड प्रोसेसिंग कॉन्क्लेव में लोगों को जागरूक किया जाएगा, जिसका सार्थक परिणाम मिलेगा"- समीर महासेठ, उद्योग मंत्री

शरीर मजबूत रहता है: उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने बताया कि किसानों को अवेयर करने की जरूरत है. कम लागत में इसकी खेती करें. इसके फायदे लोगों को बताए जाएंगे तो निश्चित तौर पर जो हमारे पूर्वज किया करते थे उसका फिर से लोगों के द्वारा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बाजार में मनुष्य के लिए सबसे पुराना खाद्य पदार्थ ज्वार बाजरा के साथ-साथ कई चीज है, जिससे लोगों को फायदा मिलता है. शरीर मजबूत रहता है साथ ही शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती है. शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण इसका महत्व कम हो गया है.

मोटे अनाज का प्रचलन घटाः उद्योग मंत्री ने कहा कि बाजरा हमारे आंतरिक परिस्थिति तंत्र में एक बायोटिक फीडिंग माइक्रो के रूप में कार्य करता है. कुछ साल पहले मरुआ, बाजरा खाने से लोग मजबूत रहते थे. स्वस्थ रहते थे, लेकिन लोगों ने इसकी खेती करना छोड़ दिया. अब सरकार की पहल के बाद मोटे अनाज बढ़ावा को लेकर प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहले जो हम लोग खाना खाते थे, उससे स्वस्थ रहते थे. अब बदलते परिवेश में लोगों के खान-पान में काफी बदलाव हो गया जिससे कि मोटे अनाज का प्रचलन गायब हो गया.

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