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बोले महबूब आलम- विधायकों की पिटाई करने वाली पुलिस भी कहती है, 'सर.. कानून तो आप ही लोगों ने बनाया है'

सीपीआई (माले) विधायक महबूब आलम (Mehboob Alam) ने विधानसभा में विपक्षी सदस्यों के साथ हुई मारपीट के मामले में दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने चर्चा के दौरान कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों की पिटाई हुई, लेकिन ये सरकार सदन के अंदर इस घटना के लिए खेद तक व्यक्त नहीं करती.

Mehboob Alam
Mehboob Alam
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Published : Jul 28, 2021, 6:48 PM IST

पटना: बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र (Monsoon session of Bihar Legislature) के तीसरे दिन सीपीआई (माले) के विधायक महबूब आलम (Mehboob Alam) ने चर्चा के दौरान विपक्षी विधायकों के साथ हुई मारपीट के मामले को लेकर सरकार के प्रति नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि उस घटना को लेकर वे आज भी दुखी और आहत हैं. क्योंकि लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों के बूट की ठोकर से मारा गया. महिला विधायकों का अपमान किया गया.

ये भी पढ़ें- सदन में खूब गरजे तेजस्वी बोले- विधायकों पर नहीं मुझ पर हो कार्रवाई... अधिकारियों को कौन बचा रहा?

कटिहार जिले की बलरामपुर सीट से माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों की पिटाई हुई. सिर्फ पिटाई ही नहीं हुई, बल्कि विधायकों को बाहर निकालने के आदेश का पालन होने के बावजूद भी बूट के ठोकर से विधायकों का अपमान किया गया. इतना ही नहीं हमारी महिला विधायकों के चीरहरण तक की कोशिश की गई.

विधायक महबूब आलम

महबूब आलम ने ये भी कहा कि कि सत्ता पक्ष की एक धारा लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश के तहत फासिस्ट स्टेट निर्माण करने की प्रक्रिया में है. निश्चित तौर पर हम मानते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वह धारा नहीं है.

विधायक ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में हमने सुना है कि मंत्री विजेंद्र यादव ने तीन-तीन बार इस मामले पर खेद व्यक्त किया है. सरकार भी खेद जताती है, लेकिन हम तो यही चाहते हैं कि सरकार बंद कोठरी में खेद व्यक्त करती है. जिस सदन के अंदर विधायकों का अपमान हुआ है, वहां खेद व्यक्त करे अगर तो क्या दिक्कत आती है.

पिछले सत्र के दौरान विधायकों के साथ मारपीट की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हम कोई फर्जी विधायक बनकर नहीं आए हैं. सत्ता को यह समझ होनी चाहिए कि प्रतिपक्ष के लोग भी एक निर्णायक भूमिका में यहां हैं. उन्होंने कहा कि हम हर विधेयक का सांकेतिक विरोध करते हैं, लेकिन जिस तरह से बिहार सशस्त्र पुलिस बल के खतरनाक मंसूबों को हमने महसूस किया. ऐसे में हमारा धर्म बनता है कि जोरदार और निर्णायक ढंग से इसका विरोध करना, केवल सांकेतिक विरोध नहीं करना है.

माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि जब हम सड़कों पर जाते हैं, रेल में सफर करते हैं. जब कानून-व्यवस्था का सवाल आता है. हमारे शरीर की जब जांच करने की बात होती है तो हम अपने को इसलिए समर्पित करते हैं, क्योंकि पदाधिकारी कहते हैं कि कानून तो आप ही लोगों ने बनाया है. निश्चित रूप से उस वक्त हम इंकार नहीं करते है कि उस कानून को बनाने में हमारी भागीदारी नहीं थी.

"हमें इसका रिस्पॉन्स चाहिए कि पिछले सत्र में हमें न सिर्फ टांगकर उठाकर फेंका गया, बल्कि बूट के ठोकर से विधायकों को मारा गया. वो पदाधिकारी अभी भी चिह्नित नहीं है. उस पदाधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए. खेद हम क्या व्यक्त करें, हम तो दर्द से पीड़ित हैं और आहत हैं"- महबूब आलम, माले विधायक, बलरामपुर

ये भी पढ़ें- विपक्ष को सदन में जनता की आवाज उठानी चाहिए, हंगामा करना उचित नहीं- शालिनी मिश्रा

आपको बताएं कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने 23 मार्च 2021 के इस मामले में सिपाही शेषनाथ प्रसाद और सिपाही रंजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि बजट सत्र के दौरान विधायकों के साथ मारपीट हुई थी, उस मामले में दो पुलिसकर्मी जांच में दोषी में पाए गए हैं. आगे की कार्रवाई पूरी रिपोर्ट आने के बाद होगी. हालांकि विपक्ष इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. इनका कहना है कि सिर्फ सिपाही नहीं, पदाधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन होना चाहिए.

पटना: बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र (Monsoon session of Bihar Legislature) के तीसरे दिन सीपीआई (माले) के विधायक महबूब आलम (Mehboob Alam) ने चर्चा के दौरान विपक्षी विधायकों के साथ हुई मारपीट के मामले को लेकर सरकार के प्रति नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि उस घटना को लेकर वे आज भी दुखी और आहत हैं. क्योंकि लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों के बूट की ठोकर से मारा गया. महिला विधायकों का अपमान किया गया.

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कटिहार जिले की बलरामपुर सीट से माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों की पिटाई हुई. सिर्फ पिटाई ही नहीं हुई, बल्कि विधायकों को बाहर निकालने के आदेश का पालन होने के बावजूद भी बूट के ठोकर से विधायकों का अपमान किया गया. इतना ही नहीं हमारी महिला विधायकों के चीरहरण तक की कोशिश की गई.

विधायक महबूब आलम

महबूब आलम ने ये भी कहा कि कि सत्ता पक्ष की एक धारा लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश के तहत फासिस्ट स्टेट निर्माण करने की प्रक्रिया में है. निश्चित तौर पर हम मानते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वह धारा नहीं है.

विधायक ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में हमने सुना है कि मंत्री विजेंद्र यादव ने तीन-तीन बार इस मामले पर खेद व्यक्त किया है. सरकार भी खेद जताती है, लेकिन हम तो यही चाहते हैं कि सरकार बंद कोठरी में खेद व्यक्त करती है. जिस सदन के अंदर विधायकों का अपमान हुआ है, वहां खेद व्यक्त करे अगर तो क्या दिक्कत आती है.

पिछले सत्र के दौरान विधायकों के साथ मारपीट की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हम कोई फर्जी विधायक बनकर नहीं आए हैं. सत्ता को यह समझ होनी चाहिए कि प्रतिपक्ष के लोग भी एक निर्णायक भूमिका में यहां हैं. उन्होंने कहा कि हम हर विधेयक का सांकेतिक विरोध करते हैं, लेकिन जिस तरह से बिहार सशस्त्र पुलिस बल के खतरनाक मंसूबों को हमने महसूस किया. ऐसे में हमारा धर्म बनता है कि जोरदार और निर्णायक ढंग से इसका विरोध करना, केवल सांकेतिक विरोध नहीं करना है.

माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि जब हम सड़कों पर जाते हैं, रेल में सफर करते हैं. जब कानून-व्यवस्था का सवाल आता है. हमारे शरीर की जब जांच करने की बात होती है तो हम अपने को इसलिए समर्पित करते हैं, क्योंकि पदाधिकारी कहते हैं कि कानून तो आप ही लोगों ने बनाया है. निश्चित रूप से उस वक्त हम इंकार नहीं करते है कि उस कानून को बनाने में हमारी भागीदारी नहीं थी.

"हमें इसका रिस्पॉन्स चाहिए कि पिछले सत्र में हमें न सिर्फ टांगकर उठाकर फेंका गया, बल्कि बूट के ठोकर से विधायकों को मारा गया. वो पदाधिकारी अभी भी चिह्नित नहीं है. उस पदाधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए. खेद हम क्या व्यक्त करें, हम तो दर्द से पीड़ित हैं और आहत हैं"- महबूब आलम, माले विधायक, बलरामपुर

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आपको बताएं कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने 23 मार्च 2021 के इस मामले में सिपाही शेषनाथ प्रसाद और सिपाही रंजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि बजट सत्र के दौरान विधायकों के साथ मारपीट हुई थी, उस मामले में दो पुलिसकर्मी जांच में दोषी में पाए गए हैं. आगे की कार्रवाई पूरी रिपोर्ट आने के बाद होगी. हालांकि विपक्ष इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. इनका कहना है कि सिर्फ सिपाही नहीं, पदाधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन होना चाहिए.

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