पटना: लोकसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) बिल पेश किए जाने के विरोध में मंगलवार को राज्य के तमाम मेडिकल छात्रों ने प्रदर्शन किया. छात्रों ने एनएमसी बिल को जलाकर विरोध जताया. साथ ही उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.
आंदोलनकारी छात्रों की मानें तो यह बिल मेधावी छात्रों के लिए बेईमानी होगी. इस बिल से मेधावी छात्र अपने टैलेंट को आगे नहीं कर पाएंगे. इस बिल में कई खामियां हैं. सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए.
पटना के AIIMS और IGIMS में हंगामा
आईएमए के आह्वान पर बिहार में भी इसका विरोध देखा गया. मेडिकल कॉलेजों में जाकर एनएमसी बिल के खिलाफ विरोध जताया गया. पटना के एम्स और आईजीआईएमएस अस्पताल में भी एनएमसी बिल को लेकर घंटों प्रदर्शन और हंगामा हुआ.
क्या है मेडिकल छात्रों की मांग?
प्रदर्शन कर रहे मेडिकल छात्रों का कहना है कि पीजी में नामांकन फाइनल ईयर के अंक के आधार पर नहीं किया जाए. ऑब्जेक्टिव एग्जाम के अंक के आधार पर ही नामांकन किया जाए. नेशनल मेडिकल कमीशन स्वतंत्र और ऑटोनॉमस हो उस पर केंद्र सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. आयुष के डॉक्टर को एलोपैथिक इलाज की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. लेकिन, एनएमसी बिल के मुताबिक अनुमति दे दी गई है.
सीटों में भी होगा सरकार का हस्तक्षेप
वहीं, ब्रिज कोर्स के तहत सामान्य नागरिक को एलोपैथिक इलाज की अनुमति एनएमसी बिल में दिया गया है, जो कि बहुत ही अनुचित है. साथ ही एनएमसी बिल में प्राइवेट के 50% सीटों का केंद्र सरकार निर्धारित करेगी और 50% सीटों पर प्राइवेट कॉलेज द्वारा मनमाना फीस उगाही की जाएगी. इसलिए सभी 100% सीटों पर फीस का निर्धारण सरकार की ओर से किया जाना चाहिए.
उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
बहरहाल, 10 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य के तमाम मेडिकल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं ने जमकर एनएमसी बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हंगामा किया. मांग पूरी नहीं होने पर सरकार को उग्र प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है.