ETV Bharat / state

Bihar Diwas 2022 : बिहार की बोली, दिलों में बनाती है प्यार की रंगोली

भाषा या जुबान एक बहते पानी की तरह है. जो जहां से गुजरती है वहां भी दूसरी चीजों को अपने साथ समेट लेती है और यह पहचान किसी आम बिहारी में भी आसानी से मिल जाती है. भोजपुरी और मैथिली (Bhojpuri and Maithili) समेत बिहार की बोली देशभर में प्रसिद्ध है.

बिहार की बोली
बिहार की बोली
author img

By

Published : Mar 22, 2022, 6:15 AM IST

पटना: आज बिहार दिवस (Bihar Diwas 2022) है. 22 मार्च 1912 को बिहार अस्तित्व में आया था. जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो अलग-अलग भाषाओं में बातें करता बिहार नजर आता है. 'कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी' ये कहावत बिहार में भाषाओं के महत्व को समझाने के लिए काफी है. भाषा या जुबान एक बहते पानी की तरह है. जो जहां से गुजरती है वहां भी दूसरी चीजों को अपने साथ समेट लेती है और यह पहचान किसी आम बिहारी में भी आसानी से मिल जाती है.

ये भी पढ़ें: बिहार दिवस पर गांधी मैदान में उड़ेंगे 400 से 500 ड्रोन, शिक्षा मंत्री बोले- 'जल जीवन हरियाली के थीम पर होगा आयोजन'

कुछ यूं बोलते हैं हम: का हो का हाल बा...अबकी दिवाली में घर जैईबो की ना...अरे जी आप तो गर्दा उड़ा दिए...तनी कम जोड़ से बोलिए न जी अन्नस बढ़ रहा है. तो कैसा लगा आपको. दिमाग में एक सवाल कौंध ही गया होगा, आज हम ठेठ बिहारी में बात क्यों लिख रहे हैं. दरअसल, अपना बिहार शानदार इतिहास समेटे 107 साल का हो गया है.

हर भाषा में है खास मिठास : ​​​​​​​सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि बिहारी कोई भाषा नहीं है, लेकिन कहते हैं ना जहां बिहारी है वहां सबकुछ मुमकिन है. हमारा स्टाईल ही कुछ ऐसा है. जिसे सुनकर देश और दुनिया के लोग भी हमारे रंग में रंग उठते हैं और कहते हैं. का जी बिहार से हैं. भाषा की मिठास ऐसी कि हर कोई जुबान से हमें पहचान जाता है.

इन जगहों पर बोली जाती है ये भाषाएं: यूं तो बिहार की राजभाषा हिंदी है. और द्वितीय राजभाषा उर्दू है. पर बिहार में बोली जानेवाली बोलियों में अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली, वज्जिका प्रमुख है. अंगिका मुख्य रूप से मुंगेर, बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, इत्यादि जगहों पर बोली जाती है. बात भोजपुरी की करें तो ये भाषा रोहतास, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, सारण, सिवान, गोपालगंज और पश्चिम चंपारण में बोली जाती है. भोजपुरी भाषा यही तक सीमित नहीं है. लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचते हुए भोजपुरी ने दुनिया में अपनी पहचान बनाई है.

मैथिली की है एक अलग पहचान: वहीं, मैथिली बिहार की भाषाओं में सबसे उन्नत और विकसित है. मैथिली भाषा दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, सीतामढ़ी और पूर्णिया में बोली जाती है और मगही की बात करें तो ये भाषा राजधानी पटना, जहानाबाद, नवादा और मुंगेर के हिस्से में भी बोली जाती है.

बिहारी टोन का है अपना मजा: बिहार की बोली हमसब को गुदगुदाती हैं. जमीनी होने का एहसास दिलाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि टीपिकल बिहारी किसी दूसरे प्रदेश के लोगों से अपनी जुबान में हिंदी का कॉकटेल मिलाकर बात कर ले, तो उसके कपार का टेंशन बिल्कुल गायब हो जाता है. आइए इसका कुछ झलक दिखाते हैं...

  • हमलोग कपड़ा साफ नहीं करते हैं कपड़ा फिजते हैं.
  • कपड़ा सुखाते नहीं, कपड़ा पसारते हैं.
  • हमलोग कंफ्यूज नहीं होते नरभसा जाते हैं
  • हमलोग के लिए बढ़िया या ऑसम कुछ नहीं होता सब गर्दा होता है.

दुनिया भर में अलग पहचान: भाषाओं, बोलियों और जु़बानों में गजब की विविधता होने के बावजूद बिहार बिहार है और वहां का हर बाशिंदा बिहारी. अपनी इसी खूबी की वजह से दुनियां भर में बिहारियों और बिहारी ज़ुबानों का बोलबाला है. वैसे भी भारतेंदु हरिशचंद्र ने कहा है, 'निज भाषा उन्नती अहे सब उन्नती को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल.'

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: आज बिहार दिवस (Bihar Diwas 2022) है. 22 मार्च 1912 को बिहार अस्तित्व में आया था. जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो अलग-अलग भाषाओं में बातें करता बिहार नजर आता है. 'कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी' ये कहावत बिहार में भाषाओं के महत्व को समझाने के लिए काफी है. भाषा या जुबान एक बहते पानी की तरह है. जो जहां से गुजरती है वहां भी दूसरी चीजों को अपने साथ समेट लेती है और यह पहचान किसी आम बिहारी में भी आसानी से मिल जाती है.

ये भी पढ़ें: बिहार दिवस पर गांधी मैदान में उड़ेंगे 400 से 500 ड्रोन, शिक्षा मंत्री बोले- 'जल जीवन हरियाली के थीम पर होगा आयोजन'

कुछ यूं बोलते हैं हम: का हो का हाल बा...अबकी दिवाली में घर जैईबो की ना...अरे जी आप तो गर्दा उड़ा दिए...तनी कम जोड़ से बोलिए न जी अन्नस बढ़ रहा है. तो कैसा लगा आपको. दिमाग में एक सवाल कौंध ही गया होगा, आज हम ठेठ बिहारी में बात क्यों लिख रहे हैं. दरअसल, अपना बिहार शानदार इतिहास समेटे 107 साल का हो गया है.

हर भाषा में है खास मिठास : ​​​​​​​सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि बिहारी कोई भाषा नहीं है, लेकिन कहते हैं ना जहां बिहारी है वहां सबकुछ मुमकिन है. हमारा स्टाईल ही कुछ ऐसा है. जिसे सुनकर देश और दुनिया के लोग भी हमारे रंग में रंग उठते हैं और कहते हैं. का जी बिहार से हैं. भाषा की मिठास ऐसी कि हर कोई जुबान से हमें पहचान जाता है.

इन जगहों पर बोली जाती है ये भाषाएं: यूं तो बिहार की राजभाषा हिंदी है. और द्वितीय राजभाषा उर्दू है. पर बिहार में बोली जानेवाली बोलियों में अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली, वज्जिका प्रमुख है. अंगिका मुख्य रूप से मुंगेर, बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, इत्यादि जगहों पर बोली जाती है. बात भोजपुरी की करें तो ये भाषा रोहतास, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, सारण, सिवान, गोपालगंज और पश्चिम चंपारण में बोली जाती है. भोजपुरी भाषा यही तक सीमित नहीं है. लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचते हुए भोजपुरी ने दुनिया में अपनी पहचान बनाई है.

मैथिली की है एक अलग पहचान: वहीं, मैथिली बिहार की भाषाओं में सबसे उन्नत और विकसित है. मैथिली भाषा दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, सीतामढ़ी और पूर्णिया में बोली जाती है और मगही की बात करें तो ये भाषा राजधानी पटना, जहानाबाद, नवादा और मुंगेर के हिस्से में भी बोली जाती है.

बिहारी टोन का है अपना मजा: बिहार की बोली हमसब को गुदगुदाती हैं. जमीनी होने का एहसास दिलाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि टीपिकल बिहारी किसी दूसरे प्रदेश के लोगों से अपनी जुबान में हिंदी का कॉकटेल मिलाकर बात कर ले, तो उसके कपार का टेंशन बिल्कुल गायब हो जाता है. आइए इसका कुछ झलक दिखाते हैं...

  • हमलोग कपड़ा साफ नहीं करते हैं कपड़ा फिजते हैं.
  • कपड़ा सुखाते नहीं, कपड़ा पसारते हैं.
  • हमलोग कंफ्यूज नहीं होते नरभसा जाते हैं
  • हमलोग के लिए बढ़िया या ऑसम कुछ नहीं होता सब गर्दा होता है.

दुनिया भर में अलग पहचान: भाषाओं, बोलियों और जु़बानों में गजब की विविधता होने के बावजूद बिहार बिहार है और वहां का हर बाशिंदा बिहारी. अपनी इसी खूबी की वजह से दुनियां भर में बिहारियों और बिहारी ज़ुबानों का बोलबाला है. वैसे भी भारतेंदु हरिशचंद्र ने कहा है, 'निज भाषा उन्नती अहे सब उन्नती को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल.'

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.