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विपक्ष का नीतीश पर निशाना- 8 सालों में 1134 बच्चे हुए शिकार, सत्ता में तो थी आपकी सरकार

चमकी बुखार बिहार ही नहीं पूरे देश में चर्चा में है. वहीं, सवा सौ से भी ज्यादा बच्चों की मौत के पर और सराकर के उदासीन रवैये पर विपक्ष सवाल उठा रहा है.

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Published : Jun 17, 2019, 10:51 PM IST

पटना: बिहार में हो रही बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. चमकी बुखार से मासूमों की मौत सिस्टम के सामने किसी पहेली की तरह है. इस पहेली को ना तो डॉक्टर और ना ही सरकार सुलझा पा रही है. अबूझ पहेली के रूप में अख्तियार हो चुकी एईएस नाम की इस बीमारी पर सरकार काबू पाने के दावे तो हर साल करती हैं. लेकिन ये बातें इस बीमारी के आने पर पूरी तरह से बेमानी साबित हो जाती हैं.

आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला जिला मुजफ्फरपुर का सबसे बड़ा अस्पताल एसकेएमसीएच में एईएस बीमारी से सैकड़ों बच्चे दम तोड़ चुके हैं. वहीं, कई बच्चों की हालत गंभीर है. बच्चों की मौत पर उनकी मां की चित्कार दिल को झकझोर देने वाली है. एईएस से होने वाली मौत की बात करें, तो अकेले इस साल चमकी बुखार ने बिहार में अब तक सरकारी आंकड़े के अनुसार 85 बच्चों की मौत हो चुकी है.

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रोते बिलखते परिजन

एईएस का कहर

  • 8 साल में 1134 बच्चे हुए एईएस के शिकार- सरकारी रिकॉर्ड
  • इनमें से 344 बच्चों की मौत हो गई.
  • कई बच्चे विकलांगता के शिकार भी हुए.
  • यह बीमारी मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि बिहार के 12 जिलों को प्रभावित करती है.
  • मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और वैशाली जिले में सबसे अधिक इस मामले में बच्चे की मौत हुई है.
  • बीमारी की शुरुआत मई-जून के महीने में तापमान में बढ़ोतरी के साथ शुरू होती है.
  • बारिश के बाद यह बीमारी अपने आप समाप्त हो जाती है.
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    इलाज करते डॉक्टर

सरकार के पास दिलासा!
बच्चों की मौत पर सरकार सिर्फ दिलासा दे रही है और शोक व्यक्त कर रही है. इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. मुजफ्फरपुर के प्रभारी मंत्री श्याम रजक जायजा लेने एसकेएमसीएच पहुंचे. वहां डॉक्टरों से समीक्षा भी की. प्रभारी मंत्री श्याम रजक मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे. श्याम रजक ने कहा कि यहां हर साल बड़ी तादाद में बच्चों की मौत होती है. अगर जरूरत पड़ी तो मुजफ्फरपुर में एक बड़ा अस्पताल रिसर्च सेंटर भी बनेगा.

ये रही प्रतिक्रियाएं

विपक्ष का वार
हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि आप तत्काल मुजफ्फरपुर में जाकर बच्चों को हाल-चाल लीजिए. सरकार लू से मरने वालों की चार लाख रुपये देती है. एईएस से मरने वाले बच्चों के परिवार वालों को भी मुआवजा राशि मिलना चाहिए.

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कोई तो बचा लो

आरएलएसपी का बयान
वहीं, आरएलएसपी के प्रवक्ता संजीव पासवान ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र में और राज्य में भी इन लोगों की सरकार है. मुजफ्फरपुर में बीमारी से पीड़ित बच्चे लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. बिहार से ही स्वास्थ्य मंत्री हैं. लेकिन इसका रोकने का कोई उपाय ये लोग नहीं कर रहे हैं. बच्चों की मौत को लेकर सरकार वहां लीची को मौत की वजह बता रही है.

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गंभीर हालत में बच्चा

कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने नीतीश सरकार और केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि बच्चों की मौत पर सरकार संवेदनशील नहीं है. जब बड़ी घटना होती है तो सरकार सक्रिय होती है. बाकी समय सो जाती है. मुजफ्फरपुर में हर साल में जून महीने में बच्चों की मौत होती है. कभी ज्यादा, तो कभी कम. इसको लेकर सरकार कभी भी समर्थ नहीं हुई और ना ही कोई अस्थाई उपाय कर पाई. मुजफ्फरपुर दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ एक दिखावा कर रहे हैं और कुछ नहीं.

पटना: बिहार में हो रही बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. चमकी बुखार से मासूमों की मौत सिस्टम के सामने किसी पहेली की तरह है. इस पहेली को ना तो डॉक्टर और ना ही सरकार सुलझा पा रही है. अबूझ पहेली के रूप में अख्तियार हो चुकी एईएस नाम की इस बीमारी पर सरकार काबू पाने के दावे तो हर साल करती हैं. लेकिन ये बातें इस बीमारी के आने पर पूरी तरह से बेमानी साबित हो जाती हैं.

आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला जिला मुजफ्फरपुर का सबसे बड़ा अस्पताल एसकेएमसीएच में एईएस बीमारी से सैकड़ों बच्चे दम तोड़ चुके हैं. वहीं, कई बच्चों की हालत गंभीर है. बच्चों की मौत पर उनकी मां की चित्कार दिल को झकझोर देने वाली है. एईएस से होने वाली मौत की बात करें, तो अकेले इस साल चमकी बुखार ने बिहार में अब तक सरकारी आंकड़े के अनुसार 85 बच्चों की मौत हो चुकी है.

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रोते बिलखते परिजन

एईएस का कहर

  • 8 साल में 1134 बच्चे हुए एईएस के शिकार- सरकारी रिकॉर्ड
  • इनमें से 344 बच्चों की मौत हो गई.
  • कई बच्चे विकलांगता के शिकार भी हुए.
  • यह बीमारी मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि बिहार के 12 जिलों को प्रभावित करती है.
  • मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और वैशाली जिले में सबसे अधिक इस मामले में बच्चे की मौत हुई है.
  • बीमारी की शुरुआत मई-जून के महीने में तापमान में बढ़ोतरी के साथ शुरू होती है.
  • बारिश के बाद यह बीमारी अपने आप समाप्त हो जाती है.
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    इलाज करते डॉक्टर

सरकार के पास दिलासा!
बच्चों की मौत पर सरकार सिर्फ दिलासा दे रही है और शोक व्यक्त कर रही है. इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. मुजफ्फरपुर के प्रभारी मंत्री श्याम रजक जायजा लेने एसकेएमसीएच पहुंचे. वहां डॉक्टरों से समीक्षा भी की. प्रभारी मंत्री श्याम रजक मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे. श्याम रजक ने कहा कि यहां हर साल बड़ी तादाद में बच्चों की मौत होती है. अगर जरूरत पड़ी तो मुजफ्फरपुर में एक बड़ा अस्पताल रिसर्च सेंटर भी बनेगा.

ये रही प्रतिक्रियाएं

विपक्ष का वार
हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि आप तत्काल मुजफ्फरपुर में जाकर बच्चों को हाल-चाल लीजिए. सरकार लू से मरने वालों की चार लाख रुपये देती है. एईएस से मरने वाले बच्चों के परिवार वालों को भी मुआवजा राशि मिलना चाहिए.

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कोई तो बचा लो

आरएलएसपी का बयान
वहीं, आरएलएसपी के प्रवक्ता संजीव पासवान ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र में और राज्य में भी इन लोगों की सरकार है. मुजफ्फरपुर में बीमारी से पीड़ित बच्चे लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. बिहार से ही स्वास्थ्य मंत्री हैं. लेकिन इसका रोकने का कोई उपाय ये लोग नहीं कर रहे हैं. बच्चों की मौत को लेकर सरकार वहां लीची को मौत की वजह बता रही है.

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गंभीर हालत में बच्चा

कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने नीतीश सरकार और केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि बच्चों की मौत पर सरकार संवेदनशील नहीं है. जब बड़ी घटना होती है तो सरकार सक्रिय होती है. बाकी समय सो जाती है. मुजफ्फरपुर में हर साल में जून महीने में बच्चों की मौत होती है. कभी ज्यादा, तो कभी कम. इसको लेकर सरकार कभी भी समर्थ नहीं हुई और ना ही कोई अस्थाई उपाय कर पाई. मुजफ्फरपुर दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ एक दिखावा कर रहे हैं और कुछ नहीं.

Intro: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत को लेकर बिहार ही नहीं पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है सरकार की उदासीनता रवैया पर विपक्ष और सरकार पर उठा रहा है सवाल....


Body:पटना---- बिहार में हो रही बच्चों की मौत पर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है चमकी बुखार से मासूमों की मौत सिस्टम के सामने किसी पहेली की तरह है जिसे ना तो डॉक्टर और ना ही कोई सरकार सुलझा पा रही है अबूझ पहेली के रूप अख्तियार कर चुकी एईएस नाम की इस बीमारी पर काबू पाने के दावे तो हर साल किए जाते हैं लेकिन यह बातें इस बीमारी के आने पर पूरी तरह से बेमानी साबित हो जाती है

हम यह नजारा दिखा रहे हैं आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुजफ्फरपुर के सबसे बड़ा अस्पताल एसकेएमसीएच का जहां पर एईएस बीमारी से सैकड़ों बच्चे दम तोड़ चुके हैं और कुछ बच्चे मौत से जूझ रहे हैं बच्चों की मौत देख मां चित्कार मार रही है जिसे देख सबका दिल को झकझोर कर रख दे रहा है।

एईएस से होने वाली मौत की बात करें तो अकेले इस साल चमकी बुखार ने बिहार में अब तक सरकारी आंकड़े के अनुसार 85 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि कई अभी भी मौत के मुंह में हर मिनट अस्पताल में जूझ रहे हैं मां की चीखने या फिर रोने की आवाज सिर्फ सुनाई दे रही है बच्चों की मौत पर सरकार सिर्फ सभी को दिलासा दे रही है जिसको लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
मुजफ्फरपुर के प्रभारी मंत्री श्याम रजक जायजा लेने मुजफ्फरपुर पहुंचे और वहां डॉक्टरों से समीक्षा भी की प्रभारी मंत्री श्याम रजक मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे श्याम रजक ने कहा यहां हर साल बड़ी तादाद में बच्चों की मौत होती है अगर जरूरत पड़ी तो मुजफ्फरपुर में एक बड़ा अस्पताल रिसर्च सेंटर भी बनेगा इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फिर संवेदनशील रहते हैं।


हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग किया है कि आप तत्काल मुजफ्फरपुर में जाकर बच्चों को हाल-चाल लीजिए सरकार लू से मरने वालों की सरकार ₹4 लाख देती है तत्कालीन बच्चों परिवार वालों को भी मुआवजा राशि मिलना चाहिए। वहीं आरएसपी के प्रवक्ता संजीव पासवान ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र में और राज्य में भी इन लोगों की सरकार है और मुजफ्फरपुर में बच्चे लगातार बढ़ते जा रहे हैं बिहार से ही स्वास्थ्य मंत्री हैं लेकिन इसका रोकने का कोई उपाय लोग नहीं कर रहे हैं बच्चों की मौत को लेकर सरकार वहां लीची से बच्चों की मौत को हवाला देते हुए बाहर निकल जाते हैं तो वहीं कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने नीतीश सरकार और केंद्र सरकार को घेरा है उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत पर सरकार संवेदनशील नहीं है सिर्फ जब बड़ी घटना होती है तो सरकार सक्रिय होती हैं बाकी समय सो जाती है मुजफ्फरपुर में हर साल में जून महीने में बच्चों की मौत होती है कभी ज्यादा तो कभी कम इसको लेकर सरकार कभी भी समर्थन से नहीं हुई और ना ही कोई अस्थाई उपाय कर पाई की ताकि वहां बच्चों की मौत को रोका जा सके मुजफ्फरपुर दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ एक दिखावा कर रहे हैं और कुछ नहीं कर रहे हो बुखार सिर्फ सीजन में ही आता है इसलिए सरकार भी सीजन में दिखावा कर रही है

बाइट-- श्याम रजक मंत्री जदयू
बाइट-- विजय यादव प्रवक्ता हम
बाइट--- संजीव पासवान प्रवक्ता आरएलएसपी
बाइट--- राजेश राठौर प्रवक्ता कांग्रेस




Conclusion:बहरहाल मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत पिछले सरकारी आंकड़े की मानें तो 8 सालों में 1134 बच्चे बीमारी का शिकार हुए जिनमें से 344 बच्चों की मौत हो गई है कई बच्चे विकलांगता के शिकार भी हुए हैं यह बीमारी मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि बिहार के 12 जिले इस रोग से प्रभावित रहते हैं मुजफ्फरपुर पूर्वी चंपारण सीतामढ़ी और वैशाली जिले में सबसे अधिक इस मामले में बच्चे की मौत होती है यह बीमारी क शुरुआत मई-जून के महीने में तापमान में बढ़ोतरी शिव होती है और इसकी संख्या बढ़ती जाती है बारिश के बाद यह बीमारी अपने आप समाप्त हो जाती है


मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर विशेष रिपोर्ट

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