पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के कारण अब तक हुई मौत के आंकड़ों में अचानक वृद्धि ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. लेकिन इससे पहले ही ईटीवी भारत के रिजनल न्यूज को-ऑर्डिनेटर सचिन शर्मा ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ( Health Minister Mangal Pandey ) से कोरोना से मौत के आंकड़े में हेरफेर संबंधी सुलगते हुए सवाल पूछे थे. तब उन्होंने मामले की लीपा-पोती कर दी थी.
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ईटीवी भारत का सवाल: जो सरकारी आंकड़े हैं, उसमें आपने बताया कि बिहार में सिर्फ 4 हजार कैजुअल्टी हुई है. पूरे देश में भी ये आंकड़ा बताया गया है कि लगभग पौने 3 लाख के आसपास अभी तक हम पहुंचे हैं. अभी जब बीच में 4 लाख केस निकल रहे थे, हालांकि वो 4 लाख केस 20 लाख की टेस्टिंग में निकल रहे थे. लेकिन उन 4 लाख केस में 4 हजार रोज की मृत्यु बताई जा रही थी. लेकिन जिस तरह से देश में श्मशान घाटों की जिस तरह की स्थिति थी, जिस तरह से मोर्चरी में स्थिति थी. जिस तरह से लोग पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाए जा रहे थे , उससे साफ नजर आ रहा था कि सरकारी आंकड़ों में हेर फेर है.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का जवाब: बिहार बहुत ही सेंसिटिव राज्य है, पॉलिटिकली बहुत ही सेंसिटिव है. बिहार के सुदूर किसी भी टोले में अगर कोई घटना घटेगी तो वो छिप नहीं सकती है. बिहार में कोरोना के मरीज जिनकी मृत्यु होती है, उनको 4 लाख का मुआवजा मुख्यमंत्री राहत कोष से हम लोग देते हैं. तो एक भी व्यक्ति की मृत्यु अगर कोरोना से हुई होगी, तो उसके समाचार को छिपाकर, दबाकर कोई रख ही नहीं सकता है.
पिछले दो महीनों में अचानक काफी केस हुए, लेकिन 20 मार्च तक लगभग 1600 हुए थे, उसमें 1450 लोगों को 4 लाख की राशि भुगतान की जा चुकी है और हमारे यहां एक एक मरीज की पहचान इस तरह से भी हो रही है कि वो मृत हो गए और उनका कोविड टेस्ट रिपोर्ट नहीं आया था, तब तक उनकी अंत्येष्टि नहीं हुई.
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आंकड़ों में 3951 मृतकों की वृद्धि
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार- 'जिला स्तर पर कमेटी गठित की गई थी और पंचायतों से भी रिपोर्ट मंगवाया गया था. सभी जगहों से जानकारी मिलने के बाद मौत के आंकड़ों में 3951 लोगों की वृद्धि हुई है. बिहार में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 10000 की मौत हो चुकी है. ब्लैक फंगस से भी बिहार में अब तक 55 की मौत दर्ज की जा चुकी है. कुल 98 संक्रमित स्वस्थ हो चुके हैं और फिलहाल अभी 368 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है.'
कोरोना से पटना में कुल 2303 मौतें
ताजा आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ राजधानी पटना में कुल 2303 मौतें हुईं हैं. वहीं, मुजफ्फरपुर जिला 609 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है. सत्यापन के बाद पटना में सबसे अधिक 1070 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं. इसके बाद बेगूसराय में 316, मुजफ्फरपुर में 314 और सीएम नीतीश कुमार के पैतृक जिला नालंदा में 222 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं.
आंकड़ों में हेरफेर का ईटीवी भारत को था अंदेशा
ईटीवी भारत ने कोरोना से मौत के आंकड़ों में हेरफेर का अंदेशा पहले ही लगा लिया था. कोविड-19 से हुई मौत के आंकड़ों को छिपाने को लेकर विपक्ष भी लगातार सरकार पर आरोप लगाता रहा, लेकिन उस समय प्रशासनिक महकमा एक ही राग अलापता रहा...कि सरकार इसके प्रति काफी संवेदनशील है. कहीं भी किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है. हर बीमार और हर मृतक सरकारी आंकड़ों में दर्ज है. लेकिन सरकार के दावों के पुलिंदों से झूठ का पर्दा तब हटा, जब स्वास्थ्य विभाग के ही प्रधान सचिव ने कुल मौत की संख्या वाला आंकड़ा पेश किया.
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अब भी तस्वीर साफ नहीं
लगातार उठ रहे सवालों के बीच स्वास्थ्य विभाग ने सत्यापन का हवाला देते हुए कोरोना के कारण कुल मृतकों की संख्या में वृद्धि तो जरुर कर दी है, लेकिन तस्वीरें अब भी साफ नहीं हो पाई है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से बुधवार तक मरने वालों की 5458 की संख्या के अलावा सत्यापन के बाद अतिरिक्त 3951 अन्य लोगों की मौत के आंकडे जोड़े गए हैं. विभाग द्वारा जारी आंकड़े में हालांकि यह नहीं बताया गया है कि ये अतिरिक्त मौतें कब हुईं लेकिन प्रदेश के सभी 38 जिलों का एक ब्रेकअप उल्लेखित किया गया है.
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