पटना : बिहार में भी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) की मांग उठने लगी है. बीजेपी के कई नेताओं का कहना है कि राज्य में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं. इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी बात कही है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी पर दावा किया कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी इस मुद्दे पर बात की है. नीतीश कुमार ने कहा है कि वो नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को स्वीकार नहीं करेंगे.
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West Bengal CM Mamata Banerjee in state Assembly: All pillars of democracy- media, judiciary- all being run by central advisories. Names of genuine Indians have been excluded from NRC list. I echo Dr. Manmohan Singh's words, concentrate more on economy than political vendetta. https://t.co/jTi6HFOmlu
— ANI (@ANI) September 6, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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ममता बनर्जी ने कहा कि, 'लोकतंत्र के सभी स्तंभ मीडिया और न्यायपालिका सभी केंद्रीय सलाहकारों द्वारा चलाए जा रहे हैं. मूल भारतीयों के नामों को एनआरसी सूची से बाहर रखा गया है. मैं मनमोहन सिंह के शब्दों को दोहराऊंगी कि राजनीतिक प्रतिशोध से ज्यादा अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान केंद्रित करें.'
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West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee in state Assembly: I spoke to Nitish Kumar (Bihar Chief Minister), he also said that he won't allow National Register of Citizens (NRC). (File pic) https://t.co/gBdOkQutIx pic.twitter.com/AqWMNwIWnw
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बता दें कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा था कि बिहार में एनआरसी की कोई जरुरत नहीं है. क्योंकि लिस्ट में कई लोगों के नाम नहीं है, इसलिए इस प्रक्रिया के लिए और वक्त दिया जाना चाहिए. केसी त्यागी ने कहा कि बिहार के सीमांचल से कोई भी इस तरह की खबर नहीं आ रही है. बिहार में ऐसी सरकार है, जो सभी लोगों के हित का ख्याल रखती है. सीमांचल में कोई भी गड़बड़ी नहीं हो रही है.
प्रदेश में NRC की जरूरत है: डॉ. प्रेम कुमार
कृषि मंत्री और बीजेपी नेता डॉ. प्रेम कुमार का कहना है कि प्रदेश में इसकी जरूरत है. प्रेम कुमार की माने तो उत्तर बिहार के सीमावर्ती इलाके में भारी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं. एनआरसी से इनकी पहचान हो सकेगी. उन्हें हटाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी एनआरसी को लेकर गंभीर है. उम्मीद है कि आने वाले समय में बिहार में केंद्र सरकार इसको लागू करेगी.
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बिहार के सीमांचल में बड़ी संख्या में घुसपैठिए: विनोद कुमार सिंह
बिहार सरकार के मंत्री विनोद कुमार सिंह का कहना है कि, बिहार के सीमांचल में बांग्लादेशी घुसपैठिए रह रहे हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा किशनगंज जिले में हैं. जिसे चिन्हित कर बाहर किया जाना चाहिए. मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार एनआरसी के मुद्दे पर प्रतिबद्ध है. मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि बिहार में भी नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजनशिप लागू किया जाए.
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बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं : शरद यादव
इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का कहना है कि बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है. शरद यादव का मानना है कि एनआरसी की जरूरत असम में भी नहीं थी. उनका कहना है कि एनआरसी लागू होने से सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हुए हैं. जिनके पास अपना घर नहीं है, झोपड़ी नहीं है, न कोई समान है. उस तरह के गरीब लोग अपना दस्तावेज कहां से दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि यह देश यूरोप नहीं है. यह देश खंड-खंड में बंटा हुआ है, जहां कई लोग भूखे सो जाते हैं. इस देश में एनआरसी की जरूरत नहीं है.
अंतिम सूची में 19 लाख लोग बाहर
31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई. एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों का नाम नहीं आया.
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एनआरसी क्या है ?
- नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है.
- इसका मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है.
- इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी.
- इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटिजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
- इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
- असम देश का अकेला राज्य है, जहां सिटीजन रजिस्टर लागू है.
- अब बिहार में भी इसकी मांग तेज हो गई है.