पटना: मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित होने वाले चूड़ा दही भोज का बिहार के सियासी हलकों में खास महत्व है. जब बात जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर होने वाले चूड़ा दही भोज की हो तो पिछले दो दशक से इसकी विशेष रूप से चर्चा रही है. वशिष्ठ नारायण के चूड़ा दही भोज में एनडीए के दिग्गज नेता तो शामिल होते ही थे कई अन्य दलों के नेता भी आकर हलचल बढ़ाते थे. इस साल मकर संक्रांति पर वह रौनक नहीं दिखेगी. कोरोना के चलते इस साल वशिष्ठ नारायण सिंह के घर पर होने वाले चूड़ा दही भोज पर ग्रहण लग गया है.
नहीं होगा भोज का आयोजन
पिछले दो दशक से वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर होने वाले चूड़ा दही भोज पर ऐसे नेताओं की नजर रहती थी जो पाला बदलना चाहते थे. पाला बदलने वालों को इस बार निराशा हाथ लगेगी. कोरोना के कारण चूड़ा दही के सियासी भोज पर असर पड़ रहा है. चूड़ा दही भोज की तैयारी एक माह पहले से शुरू हो जाती थी. भागलपुर से चूड़ा, गया से तिलकुट और बिहारशरीफ से सब्जियां मंगाई जाती थी. इस बार कोई तैयारी नहीं है.
"इस बार कोरोना के कारण भोज का आयोजन नहीं होगा. ऐसे सांकेतिक रूप में कुछ करेंगे, लेकिन उसपर भी फैसला नहीं हुआ है."- वशिष्ठ नारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
आम से खास तक होते थे भोज में शामिल
एनडीए के बिहार के सभी दिग्गज वशिष्ठ नारायण सिंह के चूड़ा दही भोज में मौजूद रहते थे. पिछले चूड़ा दही भोज की बात करें तो राजद के कुछ विधायकों ने पहुंचकर हलचल पैदा कर दी थी. बाद में वे जदयू में शामिल भी हो गए थे.
"वशिष्ठ नारायण सिंह के चूड़ा दही भोज में आम से खास तक शामिल होते हैं. मुख्यमंत्री और कई मंत्री भी शामिल होते हैं. एनडीए के दिग्गज भी आते हैं. पार्टी के नेताओं के साथ घटक दल के नेताओं को भी इसका इंतजार रहता है."- दुलाल चंद्र गोस्वामी, सांसद, जदयू