पटना: लॉकडाउन के कारण बिहार समेत पूरे देश में शिक्षण संस्थान बंद हैं. सभी स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई बाधित है. 3 मई तक लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसलिए शिक्षा विभाग 9वीं और 10वीं कक्षा के बच्चों को डीडी बिहार के माध्यम से पढ़ा रहा है. हालांकि, सरकारी स्कूल के बच्चों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए शिक्षा विभाग की इस पहल पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल, लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूल अपने बच्चों को यूट्यूब और ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ा रहे हैं. इसी क्रम में सरकारी स्कूल के बच्चों को पिछड़ता देख शिक्षा विभाग ने 20 अप्रैल से डीडी बिहार के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई शुरू की है. डीडी बिहार पर सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक माध्यमिक विद्यालयों के 9वीं और 10वीं कक्षाओं के पाठ्य पुस्तक पर आधारित कार्यक्रम का प्रसारण हो रहा है.
ऐप और टेलीविजन के माध्यम से स्मार्ट क्लास
शिक्षा विभाग डीडी बिहार के साथ स्मार्टफोन पर 'उन्नयन बिहार ऐप' पर भी ये सुविधा उपलब्ध करा रहा है. हालांकि, सरकार की इस योजना पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि सरकार की सोच कई सवाल खड़े करती है. जब सरकारी स्कूल में बच्चों को मिड डे मील, पोशाक, साइकिल और किताबें मुफ्त में दी जा रही हैं, तो ये सोचने वाली बात है कि ऐसी गरीब स्थिति के बच्चों के पास स्मार्टफोन और टीवी कहां से आएंगा.
'2-3 लाख बच्चों को मिल रहा है लाभ'
प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि सरकार की ये कोशिश जरूर रंग लाएगी. जिन बच्चों के पास टीवी सेट नहीं है, वो फोन के जरिए भी पढ़ाई कर सकते हैं. वहीं, दूरदर्शन बिहार के निदेशक राजकुमार नाहर ने कहा कि शिक्षा विभाग ने दूरदर्शन के साथ मिलकर एक बेहतरीन पहल की है. बच्चों को पढ़ाई का बेहतरीन जरिया और अवसर मिल रहा है. उन्होंने दावा किया कि दूरदर्शन की पहुंच देश के लगभग हर घर तक है, जिनके पास टीवी या मोबाइल नहीं है, वो पड़ोस के घरों में जाकर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि कुल अनुमानित बच्चे 2-3 लाख डीडी बिहार पर प्रसारित इस क्लास का फायदा उठा रहे हैं.
सरकारी स्कूलों में मिलने वाले लाभ
- छात्रवृति
- मिड डे मील
- नि:शुल्क पोशाक
- नि:शुल्क साइकिल
- नि:शुल्क किताबें