पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सरकारी भवनों के मेंटेनेंस के लिए नई पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है. उन्होंने इसके लिए प्रदेश के वरीय अधिकारियों को जल्द इस पर काम करने के आदेश दिये हैं.
बता दें कि इससे पहले ईटीवी भारत ने जधानी स्थित मुख्य सचिवालय भवन के गंभीर हालात को लेकर प्रमुखता से खबर चलाई थी. जिसके बाद सीएम नीतीश ने इस मामले पर अधिकारियों को जल्द पहल करने के आदेश दिये हैं. अब जल्द ही मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत राज्य के सभी सरकारी भवनों के रखरखाव पर काम शुरू किये जाएंगे.
ऐतिहासिक भवन घोषित किया जा चुका है सचिवालय भवन
सीएम नीतीश कुमार ने मुख्य सचिवालय भवन को ऐतिहासिक भवन घोषित किया है. वर्तमान समय में इस भवन की देखरेख की जिम्मेवारी भवन निर्माण विभाग की है. भवन के ऊपर हर साल मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च किये जाते हैं. लेकिन सचिवालय भवन की हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है.
बता दें की बरसात के दिनों सचिवालय भवन के पानी जमा रहता है. जिस वजह से भवन की बुनियाद और स्ट्रक्चर तक खतरे में पड़ गया है. भवन की यह हालात बीते कई सालों से बनी हुई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने बीते दिनों प्रमुखता से मुख्य सचिवालय भवन के जर्जर हालत को लेकर खबर चलाई थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश ने इस मामले पर अधिकारियों को भवन मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत कार्य करने के आदेश जारी किये हैं.
सचिवालय भवन की विस्तृत जानकारी:-
- 1913 में बनना शुरू हुआ था सचिवालय भवन
- कोलकाता के मार्टिन बर्न नामक संवेदन ने बनवाया था भवन
- भवन का आर्किटेक्ट सिडनी के जोसेफ पी.मोर्निंगस ने किया था
- 1917 में भवन निर्माण हुआ था पूरा
- सचिवालय भवन के बीचो-बीच बना है टावर
- टावर की ऊंचाई 184 फीट है
- पहले टावर की ऊंचाई 198 फीट थी, लेकिन 1934 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त होने के बाद टावर की ऊंचाई कम हो गई थी.
- वर्तमान समय भवन में 22 विभागों के कार्यालय चल रहा है.
- मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ कैबिनेट सभाकक्ष भी इसी भवन में है.
- भवन में बिहार से जुड़े कई विभूतियों का स्मारक चिन्ह और प्रतिमा और पोट्रेट लगाए गए हैं.
- कोरोना संक्रमण काल से पहले प्रत्येक शनिवार और रविवार को स्कूली बच्चे को इस ऐतिहासिक भवन का भ्रमण कराया जाता था.
गौरतलब है कि सीएम नीतीश ने भले ही नई मेंटेनेंस पॉलिसी लाने की बात कही हो, लेकिन भवन को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी ब्यूरोक्रेसी में बैठे अधिकारियों पर है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या सचिवालय के मुख्य भवन को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए अधिकारी कितनी संजीदगी दिखाते हैं.