पटना: बिहार पथ निर्माण विभाग की ओर से मंगलवार को एक बड़ी खबर सामने आई है. जहां राज्य की 13 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों की मरम्मती का कार्य कर रही एजेंसी की ओर से पथ निर्माण विभाग द्वारा तय मानकों की अनदेखी की बात सामने आई है. साथ ही मामले में स्थानीय इंजीनियरों के साथ एजेंसियों की मिलीभगत की बात भी निकलकर सामने आ रही है. जानकारी के मुताबिक पिछले 23 जून से पथ निर्माण विभाग ने 2 दिन के लिए 16 अधिकारियों को निरीक्षण कार्य में लगाया था. जिसमें अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की खामियों का जिक्र किया है.
नीतीश सरकार ने 2005 में सत्ता में आने के बाद सबसे अधिक काम सड़कों पर ही किया है. पहले लक्ष्य 6 घंटे में प्रदेश के सुदूर इलाकों से मुख्यालय पहुंचने का था. जिसमें सफलता मिलने के बाद नया लक्ष्य 5 घंटा किया गया है. मामले में पिछले साल सरकार ने एक मेंटेनेंस पॉलिसी भी बनाई. पथ निर्माण विभाग ने इसी मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत पिछले साल ही बिहार में निकाली गई निविदा ओपीआरएमसी के तहत 13 हजार 63 किलोमीटर सड़कों के रखरखाव का जिम्मा चयनित एजेंसियों को दिया. एजेंसियों को सभी सड़कों की मरम्मती अगले 7 साल 2026 तक करनी है. इसी क्रम में पथ निर्माण विभाग ने स्थानीय इंजीनियरों को सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी सौंपी.
नियमों की अनदेखी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पथ निर्माण विभाग ने स्थानीय इंजीनियरों के अलावा मुख्यालय स्तर पर भी सड़कों की मरम्मती का निरीक्षण करने की नीति बना रखी है. जिसमें इंजीनियरों की टीम को पूरे बिहार में मरम्मत हो रही सड़कों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया. विशेष सचिव और संयुक्त सचिव से लेकर इंजीनियरों की टीम ने 23 जून से दो दिनों तक सड़कों की मरम्मती का जायजा लिया. इसमें कई बात सामने आई, जो सड़कों की मरम्मती के मानदंडों पूरी नहीं करने की ओर संकेत दे रहा है. साथ ही मामले में सड़क दुर्घटना रोकने के लिए सड़क सुरक्षा नियमों में जो निर्देश दिए गए हैं. उसका भी अनुपालन नहीं किया गया है.
हो रही कार्रवाई- पथ निर्माण मंत्री
वहीं, मामले में पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि स्पेशल ड्राइव चलाकर इसकी जांच करवाई गई है. रिपोर्ट की समीक्षा करके उचित कार्रवाई भी की जा रही है. बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है. उसमें अभी 7 हजार 731.61 किलोमीटर उत्तर बिहार की सड़कें ठीक होगी. इसके लिए 3 हजार 623.27 करोड़ रुपये अनुमानित खर्च होंगे. वहीं, 5 हजार 331.5 किलोमीटर दक्षिण बिहार की सड़कें दुरुस्त होगी. जिसमें 3 हजार 31.49 करोड़ रुपये खर्च होंगे. उन्होंने बताया कि यह मेंटेनेंस पॉलिसी 2018-19 से 2025-26 तक काम करेगी. हालांकि, सरकार का मकसद सही स्थिति का पता लगाकर रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति तैयार करना है.
7 साल के लिए निर्धारित मेंटेनेंस पॉलिसी
गौरतलब है कि नीति में एजेंसी की ओर से तय मानक में काम नहीं करने की शिकायत अगर 2 महीने में दो बार मिलने और उसे तय समय में दुरुस्त नहीं करने पर पैसों की कटौती 2 बार करने का प्रावधान है. साथ ही गंभीर त्रुटिओं में एजेंसी से 40% तक पैसा काटने का प्रावधान है. स्थानीय इंजीनियरों की मिलीभगत से एजेंसी अपना काम कर रहे हैं. इस कारण मरम्मत में कई तरह की त्रुटियों के बावजूद एजेंसियां अब-तक बचती आ रही हैं. वहीं, स्पेशल ड्राइव निरीक्षण में चौंकाने वाला रिपोर्ट मिलने के बाद आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री स्तर पर भी इसकी समीक्षा होगी. जिसमें तय तौर पर यह मानना गलत नहीं होगा कि विभाग की तरफ से एजेंसियों पर और सख्ती की जाएगी.