पटनाः बिहार में आगामी 2024 और 2025 में चुनाव (Lok sabha Chunav 2024 and Assembly elections 2025) को लेकर अभी से माहौल गर्म है. दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि महागठबंधन की सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है. ऐसे में जदयू आगामी चुनाव के लिए क्या प्लान है, इसको लेकर संशय है? हलांकि यह बात सामने आई है कि जदयू अपनी पिछली गलती को सुधारने का प्रयास कर रही है. विधानसभा चुनाव 2015 और 2020 में जो गलती हुई थी उसे दोहराया न जाए. जिसको लेकर अभी से तैयारी शुरू हो गई है.
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2020 जदयू को खासा नुकसानः बिहार की राजनीति में महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि या अन्य समारोह में खास वर्ग के वोटरों को लुभाने की परंपरा पुरानी रही है. शायद आगामी चुनाव के लिए भी जदयू का भी यही प्लान है. क्योंकि पटना में महाराणा प्रताप स्मृति समारोह का आयोजन होने जा रहा है. इस मौके पर जदयू राजपूत वोटर को बटोरने का काम करेगी. क्योंकि 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू को बड़ा नुकसान हुआ था. पार्टी तीसरे नंबर चली गई थी. जदयू कोटे से खड़े दो ही राजपूत उम्मीदवार चुनाव में जीत पाए थे.
राजपूत वोटरों की नाराजगीः विधानसभा चुनाव 2015 में 6 राजपूत उम्मीदवार जीते थे. जदयू से कही अधिक बीजेपी और आरजेडी के राजपूत उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. जदयू को लगता है कि राजपूत वोटरों की नाराजगी के कारण भी यह नुकसान हुआ है. इसलिए इस बार जदयू की ओर से महाराणा प्रताप स्मृति समारोह का आयोजन बड़े स्तर पर किया जा रहा है. समारोह में सीएम नीतीश कुमार सहित जदयू के सभी वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे. राजपूत समाज में महाराणा के बहाने मैसेज देने की कोशिश करेंगे.
"हमारे समाज में कुछ नाराजगी दिखी थी. पिछली बार गलती हुई थी उसे सुधारने का हमलोग प्रयास कर रहे हैं. हमलोग लगातार प्रयास में है कि पार्टी को और ज्यादा जनादेश मिले. नाराजगी कहीं न कहीं थी. हम लोगों ने मुख्यमंत्री को कई सुझाव दिए हैं. पार्टी उसी हिसाब से तैयारी भी कर रही."- जय कुमार सिंह, पूर्व मंत्री, जदयू
गलती को दूर करने का प्रयासः विधानसभा चुनाव 2015 में 20 राजपूत उम्मीदवार जीते थे. वहीं 2020 में 28 राजपूत उम्मीदवारों को जीत मिली थी. बीजेपी के 15 राजपूत उम्मीदवार तो आरजेडी के 6 और जदयू के दो राजपूत उम्मीदवारों को जीत मिली थी. जबकि 2015 में बीजेपी के 9 आरजेडी के दो और जदयू के छह राजपूत उम्मीदवार जीते थे. 2015 के मुकाबले 2020 में जदयू का प्रदर्शन बहुत खराब रहा और इसका एक बड़ा कारण राजपूत वोटरों की नाराजगी रही. इसी गलती को जदयू अब उसे दूर करने की कोशिश में लगी है.
जदयू अपनाएगी महाराणा फॉर्मूलाः असल में जदयू को लगता है कि 2020 में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन नहीं होने का एक बड़ा कारण राजपूत वोटरों की नाराजगी भी रही है. इसलिए शाहाबाद सहित कई इलाकों में पार्टी का खाता तक नहीं खुला. जदयू के तरफ से 2020 में सात उम्मीदवार उतारे गए थे लेकिन दो ही राजपूत उम्मीदवार जीत पाए. जदयू से बेहतर प्रदर्शन बीजेपी और आरजेडी का रहा. बिहार में 30 से 35 विधानसभा क्षेत्रों में राजपूत वोटरों का प्रभाव है. इसलिए जदयू महाराणा फॉर्मूला अपनाकर राजपूत वोटर को अपनी ओर करना चाह रही है.
23 जनवरी को होगा कार्यक्रमः पिछले कुछ सालों से जदयू के तरफ से महाराणा प्रताप स्मृति समारोह का आयोजन होता रहा है. हालांकि कोरोना के कारण बड़े स्तर पर आयोजन नहीं हो पाया था. लेकिन जदयू की ओर से पटना के मिलर स्कूल मैदान में कार्यक्रम होने जा रहा है. मुख्य पंडाल को महाराणा प्रताप के चित्तौड़गढ़ किला का स्वरूप दिया गया है. इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने की तैयारी है. यह कार्यक्रम एमएलसी संजय सिंह के नेतृत्व में 23 जनवरी को होगा. इसके लिए पिछले 1 महीने से भी अधिक समय से जदयू के राजपूत नेताओं की ओर से पूरी ताकत लगाई गई है.
"19 को नीतीश कुमार ने भव्य मुर्ती का लोकार्पण किया. 23 जनवरी को पटना में सम्मेलन होना है, जिसमें महाराणा प्रताप की कृति को साझा किया जाएगा. इस कार्यक्रम में महाराण के चाहने वालो लोग उपस्थित होंगे." -सुमित कुमार सिंह, मंत्री
"महाराण प्रताप का नाम भारत के सौर्य और वीरता का प्रतिक रहा है. उनकी जो रणनीति थी उसको तो भारतीय सेना भी फॉलो करती है. हमलोग वोट की नजर से किसी भी वर्ग को नहीं देखते हैं. जदयू वोट बैंक की राजनीति नहीं करती है." - परिमल राज, प्रवक्ता जदयू