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'लुटेरी सरकार, परेशान बिहार' के नाम से महागठबंधन ने जनता की अदालत में पेश किया आरोप-पत्र - बिहार में बेरोजगारी

रविवार को राजधानी पटना के बापू सभागार में आयोजित महागठबंधन की तरफ से प्रतिनिधि सम्मेलन में राजद व अन्य सदस्य दलों ने एनडीए सरकार के ऊपर जबर्दस्त प्रहार किया. आरोप पत्र भी जनता की अदालत में दाखिल कर दिया. 'लुटेरी सरकार परेशान बिहार' नाम से जारी किए गए इस आरोप पत्र में बिहार के हर एक क्षेत्र पर विस्तार से आंकड़ों के साथ प्रस्तुति दी गई है.

'लुटेरी सरकार, परेशान बिहार' के नाम से महागठबंधन ने जनता की अदालत में पेश किया आरोप-पत्र
'लुटेरी सरकार, परेशान बिहार' के नाम से महागठबंधन ने जनता की अदालत में पेश किया आरोप-पत्र
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Published : Jun 5, 2022, 7:01 PM IST

पटना : बिहार में विपक्ष संपूर्ण क्रांति दिवस मना रहा है. इस अवसर पर महागठबंधन ने रविवार को बापू सभागार में 'लुटेरी सरकार, परेशान बिहार' (Looteri sarkar pareshan Bihar)के नाम से आरोप पत्र जनता की अदालत में पेश किया है. इस आरोप-पत्र में यह दावा किया गया है कि एनडीए सरकार के शासनकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था गर्त में चली गई है. वहीं, कानून व्यवस्था ध्वस्त है. जबकि बेरोजगारी चरम पर है. महंगाई को लेकर आरोप पत्र में कहा गया है, कि महंगाई का महाप्रकोप जारी है. शिक्षा का बंटाधार हो गया है.

ये भी पढ़ें- शराबबंदी पर बोले मांझी- 'मेरे माता-पिता शराब पीते थे, घर में दारू बेची जाती थी लेकिन मैने छुई तक नहीं'

महागठबंधन के आरोप पत्र में क्या है?- आरोप पत्र में कहा गया है कि बिहार की मौजूदा नीतीश कुमार की सरकार झूठे वादे और निष्क्रियता की ऐसी सरकार है, जिसने डेढ़ दशक से अधिक के शासनकाल में बिहार को सभी क्षेत्रों में इतना पीछे कर दिया है कि पिछड़ापन ही इसकी पहचान बन गई है. बिहार के पिछड़ेपन को नीति आयोग ने भी रेखांकित करते हुए इसे विकास के सबसे निचले पायदान पर रख दिया है. यह तमाम बिहार वासियों के लिए शर्मनाक है. आरोप पत्र में नीतीश कुमार के ऊपर यह भी आरोप लगाया गया है कि नीतीश कुमार लगातार सामाजिक और आर्थिक विकास की बातें करते रहे हैं पर विकास से बिहार कोसों दूर रहा है. इसके बावजूद भी नीतीश कुमार अपनी उपलब्धियों का बखान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते.

'पूरी शासन प्रणाली पटरी से उतर गई है. जिसका परिणाम है कि रोजगार में भारी कमी, संस्थागत भ्रष्टाचार , राजनीतिक हत्याएं, मॉब लिंचिंग, लूट, अपहरण, बच्चियों के साथ दुष्कर्म और बलात्कार की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी जा सकती है. बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था गर्त में है. कानून व्यवस्था ध्वस्त है, बेरोजगारी चरम पर है. महंगाई का प्रकोप जारी है. शिक्षा का बंटाधार हो गया है'- आरोप पत्र


इन बिन्दुओं को आरोप पत्र में किया गया रेखांकित: आरोप पत्र में कई सेक्शन बनाए गए हैं जिसमें प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक और लैंगिक असमानता सूचकांक, कृषि रोड मैप और नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च रिपोर्ट, बहुआयामी गरीबी और बिहार, बेरोजगारी और लेबर पार्टिसिपेशन रेट, बिहार का स्वास्थ्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग में भ्रष्टाचार और धांधली, अंधकार में शिक्षा, शराबबंदी का सच, सात निश्चय योजना, मुजफ्फरपुर कांड, जेल में मौत, सामाजिक न्याय का ढोंग , विशेष राज्य का दर्जा, डबल इंजन की सरकार नहीं जर्जर इंजन की बिहार सरकार, हाशिए पर बिहारी किसान, इथेनॉल नीति बिहार के लिए अभिशाप, बिहार में बेरोजगारी और मानव विकास, बिहार में बाढ़ व सुखाड़ मानव निर्मित त्रासदी, अपराध और भ्रष्टाचार, 15 वर्षों की एनडीए सरकार की कार्यशैली और विखंडित संस्थाएं जैसे सेगमेंट बनाए गए हैं. इन सभी में नीतीश सरकार की कार्यशैली का लेखा जोखा आंकड़ों के जरिए दर्शाया गया है.

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पटना : बिहार में विपक्ष संपूर्ण क्रांति दिवस मना रहा है. इस अवसर पर महागठबंधन ने रविवार को बापू सभागार में 'लुटेरी सरकार, परेशान बिहार' (Looteri sarkar pareshan Bihar)के नाम से आरोप पत्र जनता की अदालत में पेश किया है. इस आरोप-पत्र में यह दावा किया गया है कि एनडीए सरकार के शासनकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था गर्त में चली गई है. वहीं, कानून व्यवस्था ध्वस्त है. जबकि बेरोजगारी चरम पर है. महंगाई को लेकर आरोप पत्र में कहा गया है, कि महंगाई का महाप्रकोप जारी है. शिक्षा का बंटाधार हो गया है.

ये भी पढ़ें- शराबबंदी पर बोले मांझी- 'मेरे माता-पिता शराब पीते थे, घर में दारू बेची जाती थी लेकिन मैने छुई तक नहीं'

महागठबंधन के आरोप पत्र में क्या है?- आरोप पत्र में कहा गया है कि बिहार की मौजूदा नीतीश कुमार की सरकार झूठे वादे और निष्क्रियता की ऐसी सरकार है, जिसने डेढ़ दशक से अधिक के शासनकाल में बिहार को सभी क्षेत्रों में इतना पीछे कर दिया है कि पिछड़ापन ही इसकी पहचान बन गई है. बिहार के पिछड़ेपन को नीति आयोग ने भी रेखांकित करते हुए इसे विकास के सबसे निचले पायदान पर रख दिया है. यह तमाम बिहार वासियों के लिए शर्मनाक है. आरोप पत्र में नीतीश कुमार के ऊपर यह भी आरोप लगाया गया है कि नीतीश कुमार लगातार सामाजिक और आर्थिक विकास की बातें करते रहे हैं पर विकास से बिहार कोसों दूर रहा है. इसके बावजूद भी नीतीश कुमार अपनी उपलब्धियों का बखान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते.

'पूरी शासन प्रणाली पटरी से उतर गई है. जिसका परिणाम है कि रोजगार में भारी कमी, संस्थागत भ्रष्टाचार , राजनीतिक हत्याएं, मॉब लिंचिंग, लूट, अपहरण, बच्चियों के साथ दुष्कर्म और बलात्कार की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी जा सकती है. बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था गर्त में है. कानून व्यवस्था ध्वस्त है, बेरोजगारी चरम पर है. महंगाई का प्रकोप जारी है. शिक्षा का बंटाधार हो गया है'- आरोप पत्र


इन बिन्दुओं को आरोप पत्र में किया गया रेखांकित: आरोप पत्र में कई सेक्शन बनाए गए हैं जिसमें प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक और लैंगिक असमानता सूचकांक, कृषि रोड मैप और नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च रिपोर्ट, बहुआयामी गरीबी और बिहार, बेरोजगारी और लेबर पार्टिसिपेशन रेट, बिहार का स्वास्थ्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग में भ्रष्टाचार और धांधली, अंधकार में शिक्षा, शराबबंदी का सच, सात निश्चय योजना, मुजफ्फरपुर कांड, जेल में मौत, सामाजिक न्याय का ढोंग , विशेष राज्य का दर्जा, डबल इंजन की सरकार नहीं जर्जर इंजन की बिहार सरकार, हाशिए पर बिहारी किसान, इथेनॉल नीति बिहार के लिए अभिशाप, बिहार में बेरोजगारी और मानव विकास, बिहार में बाढ़ व सुखाड़ मानव निर्मित त्रासदी, अपराध और भ्रष्टाचार, 15 वर्षों की एनडीए सरकार की कार्यशैली और विखंडित संस्थाएं जैसे सेगमेंट बनाए गए हैं. इन सभी में नीतीश सरकार की कार्यशैली का लेखा जोखा आंकड़ों के जरिए दर्शाया गया है.

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