पटनाः राज्य में मैट्रिक की परीक्षा चल रही है और नियोजित शिक्षक हड़ताल पर डटे हुए हैं. हालांकि शिक्षा विभाग का दावा है कि उन्होंने शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है. परीक्षार्थियों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो रही है. लेकिन इस मामले को लेकर बिहार में सियासत सिर चढ़कर बोल रही है.
'शिक्षकों को काम पर वापस आने की चेतावनी'
नियोजित शिक्षकों की हड़ताल पर एक ओर जहां सरकार और शिक्षा विभाग सख्त तेवर अख्तियार किए हुए है. वहीं, विपक्ष सरकार पर हठधर्मिता और तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगा रहा है. शिक्षा मंत्री ने हड़ताली शिक्षकों को जल्द से जल्द काम पर वापस आने की चेतावनी भी दी है.
शिक्षकों पर कार्रवाई सरासर गलत
इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कहना है कि सरकार को उनकी मांगों को सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि हड़ताली शिक्षकों पर जिस तरह की दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है वह सरासर गलत है. लोकतंत्र में हर किसी को अपने हक और अधिकार के लिए आवाज उठाने और आंदोलन करने की पूरी आजादी है.
समान काम, समान वेतन पर अड़े शिक्षक
बता दें कि नियोजित शिक्षकों के 28 संगठन हड़ताल पर हैं. राज्य में 15 लाख 20 हजार छात्र-छात्राएं मैट्रिक की परीक्षा दे रहे हैं. तकरीबन 1300 से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. नियोजित शिक्षकों की प्रमुख मांग समान काम के लिए समान वेतन है.
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हड़ताली शिक्षकों को किया जा रहा चिन्हित
उधर, शिक्षा विभाग नियोजित शिक्षक पर कार्रवाई करने के लिए हड़ताली शिक्षकों को चिन्हित कर रहा है. इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को टास्क सौंपा गया है. शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला योजना अधिकारी को ड्यूटी से गायब शिक्षकों की सूचि बनाने का जिम्मा सौंपा है.