ETV Bharat / state

कभी साइकिल चलाकर 30-40 किलोमीटर दूर अचार बेचने जाती थीं 'किसान चाची', आज उनके स्टॉल पर खरीदारों की भीड़

'किसान चाची' के नाम से मशहूर 'पद्मश्री' राजकुमारी देवी के स्टॉल पर लोगों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है. लोग उनके हाथों से बनाए अचार (Pickle) को खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं. राजकुमारी देवी (Raj Kumari Devi) बताती हैं कि कभी जब वो 30-40 किलोमीटर साइकिल चलाकर अचार बेचने जाती थी तो लोग मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब सम्मान के भाव से देखते हैं.

किसान चाची
किसान चाची
author img

By

Published : Sep 27, 2021, 5:58 PM IST

पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) के ज्ञान भवन में हर साल महिला उद्यमी संघ की ओर से दशहरा मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश भर से उद्योग से जुड़े लोग शिरकत करते हैं. इसी कड़ी में 'किसान चाची' के नाम से मशहूर मुजफ्फरपुर की रहने वाली 'पद्मश्री' राजकुमारी देवी (Raj Kumari Devi) ने भी अपना स्टॉल लगाया है. वह कई तरह का अचार (Pickle) बनाती हैं, जोकि देश-विदेश में भी काफी पसंद किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर की 'किसान चाची' को मिला पद्मश्री पुरस्कार, जिले को समर्पित किया सम्मान

मुजफ्फरपुर के छोटे से गांव सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी ने अपने बुलंद इरादे के दम पर न सिर्फ सामाजिक बंधनों को तोड़ दिया, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर कई महिलाओं की जिंदगी भी बदल दी है. सरैया ब्लॉक से अपने सफर की शुरुआत करने वाली किसान चाची के नाम से मशहूर राजकुमारी देवी को उनके कामों के लिए सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया है.

देखें रिपोर्ट

इस सफर को तय करने के लिए 'किसान चाची' को काफी पारिवारिक और सामाजिक बाधाओं का भी सामना करना पड़ा. इस दौरान कई अपने दूर हो गए तो कई ने साथ छोड़ दिया, लेकिन वो हार नहीं मानीं. उस दौर में भी किसान चाची साइकल से अपना अचार लेकर गांव-गांव घूमकर बेचा करती थीं. कई तरह के ताने भी सुने और आखिरकार अपने दम पर अपनी पहचान बनाई.

1990 से किसान चाची ने परंपरागत तरीके से खेती करते हुए बाद में वैज्ञनिक तरीके को अपनाकर अपने खेती-बाड़ी को उन्नत किया. इसके बाद वो कई तरह के अचार बनाने की शुरुआत की. साल 2000 से उन्होंने घर से ही अचार बनाना शुरू किया, जो आज किसान चाची का अचार के नाम से पूरे देश विदेशों में प्रसिद्ध हैं.

शुरुआती दौर में किसान चाची ने आस-पास की महिलाओं के साथ जुड़कर खेती उपज से कई तरह के अचार जैसे मिर्च, बेल, निम्बू, आम और आंवला के आचार को बाजार में बेचना शुरू किया. इसके बाद धीरे-धीरे समहू में महिलाओं की संख्या बढ़ी और उनका क्षेत्र बढ़ता चला गया. धीरे-धीरे किसान चाची का नाम देश में प्रसिद्ध होता गया.

ये भी पढ़ें: महिला दिवस स्पेशल: नारी तू कभी ना हारी...

11 मार्च 2019 को किसान चाची को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. किसान चाची ने बताया कि जब उस शुरुआती दौर में वह अपना अचार बनाकर साइकिल से अपने घर से 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर अचार बेचने जाया करती थी तो समाज के लोग मुझे हीन भावना से भी देखा करते थे, लेकिन आज वही समाज के लोग मुझे काफी इज्जत देते हैं.

आपको बताएं कि 1990 से राजकुमारी देवी खेती करती आ रही हैं. सबसे पहले 2003 में किसान चाची को कृषि मेला के दौरान लालू प्रसाद यादव ने पुरस्कृत किया था. 2007 में किसान श्री का सामान मिला. किसान चाची के अचार की महानायक अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ कर चुके हैं. किसान चाची को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं.

पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) के ज्ञान भवन में हर साल महिला उद्यमी संघ की ओर से दशहरा मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश भर से उद्योग से जुड़े लोग शिरकत करते हैं. इसी कड़ी में 'किसान चाची' के नाम से मशहूर मुजफ्फरपुर की रहने वाली 'पद्मश्री' राजकुमारी देवी (Raj Kumari Devi) ने भी अपना स्टॉल लगाया है. वह कई तरह का अचार (Pickle) बनाती हैं, जोकि देश-विदेश में भी काफी पसंद किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर की 'किसान चाची' को मिला पद्मश्री पुरस्कार, जिले को समर्पित किया सम्मान

मुजफ्फरपुर के छोटे से गांव सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी ने अपने बुलंद इरादे के दम पर न सिर्फ सामाजिक बंधनों को तोड़ दिया, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर कई महिलाओं की जिंदगी भी बदल दी है. सरैया ब्लॉक से अपने सफर की शुरुआत करने वाली किसान चाची के नाम से मशहूर राजकुमारी देवी को उनके कामों के लिए सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया है.

देखें रिपोर्ट

इस सफर को तय करने के लिए 'किसान चाची' को काफी पारिवारिक और सामाजिक बाधाओं का भी सामना करना पड़ा. इस दौरान कई अपने दूर हो गए तो कई ने साथ छोड़ दिया, लेकिन वो हार नहीं मानीं. उस दौर में भी किसान चाची साइकल से अपना अचार लेकर गांव-गांव घूमकर बेचा करती थीं. कई तरह के ताने भी सुने और आखिरकार अपने दम पर अपनी पहचान बनाई.

1990 से किसान चाची ने परंपरागत तरीके से खेती करते हुए बाद में वैज्ञनिक तरीके को अपनाकर अपने खेती-बाड़ी को उन्नत किया. इसके बाद वो कई तरह के अचार बनाने की शुरुआत की. साल 2000 से उन्होंने घर से ही अचार बनाना शुरू किया, जो आज किसान चाची का अचार के नाम से पूरे देश विदेशों में प्रसिद्ध हैं.

शुरुआती दौर में किसान चाची ने आस-पास की महिलाओं के साथ जुड़कर खेती उपज से कई तरह के अचार जैसे मिर्च, बेल, निम्बू, आम और आंवला के आचार को बाजार में बेचना शुरू किया. इसके बाद धीरे-धीरे समहू में महिलाओं की संख्या बढ़ी और उनका क्षेत्र बढ़ता चला गया. धीरे-धीरे किसान चाची का नाम देश में प्रसिद्ध होता गया.

ये भी पढ़ें: महिला दिवस स्पेशल: नारी तू कभी ना हारी...

11 मार्च 2019 को किसान चाची को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. किसान चाची ने बताया कि जब उस शुरुआती दौर में वह अपना अचार बनाकर साइकिल से अपने घर से 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर अचार बेचने जाया करती थी तो समाज के लोग मुझे हीन भावना से भी देखा करते थे, लेकिन आज वही समाज के लोग मुझे काफी इज्जत देते हैं.

आपको बताएं कि 1990 से राजकुमारी देवी खेती करती आ रही हैं. सबसे पहले 2003 में किसान चाची को कृषि मेला के दौरान लालू प्रसाद यादव ने पुरस्कृत किया था. 2007 में किसान श्री का सामान मिला. किसान चाची के अचार की महानायक अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ कर चुके हैं. किसान चाची को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.