पटना : भारतीय जनता पार्टी के लिए मिशन 2024 बड़ी चुनौती है. इससे निपटने के लिए भाजपा का एक्शन प्लान भी तैयार है. भाजपा महागठबंधन पर मानसिक बढ़त बनाना चाहती है. पार्टी की मंशा यह है कि एनडीए का कुनबा महागठबंधन से बड़ा हो और कुनबे को बड़ा करने की तैयारी को मूर्त रूप दिया जा रहा है. छोटे दलों को भाजपा करीब ला रहे हैं. महागठबंधन के कुनबे में 7 घटक दल हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से पूर्व भाजपा ने भी कुनबे को मजबूत करना शुरू कर दिया.
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बिहार में होगा 7 Vs 7 : भाजपा भी 7 दलों व नेताओं को साथ लाने की तैयारी कर रही है. 2024 में 7 बनाम 7 की लड़ाई होनी है. कई नेताओं की सुरक्षा बढ़ाकर भाजपा ने संकेत भी दे दिए हैं. बिहार के अंदर भारतीय जनता पार्टी के बारे में यह कहा जा रहा था कि भाजपा अलग-थलग पड़ गई है. लोकसभा चुनाव में भाजपा का धराशाई होना तय है. भाजपा ने बाउंस बैक करने में देरी नहीं की. नीतीश कुमार के अलग होते ही पार्टी ने नीतियों में बदलाव किया और तमाम छोटे दलों पर डोरे डालना शुरू कर दिया.
तेजी से बदल रहा बिहार का समीकरण: चिराग पासवान पहले से ही बीजेपी के फोल्डर में माने जा रहे हैं. हालांकि चिराग पासवान की ओर से औपचारिक तौर पर ऐलान नहीं किया गया है. चिराग पासवान तीन उपचुनाव में खुले तौर पर भाजपा का साथ दे चुके हैं. उसका फल भी बीजेपी को मिला है. चिराग पासवान को बीजेपी की ओर से उपकृत किया गया. चिराग पासवान की सुरक्षा में इजाफा किया गया और जेड सुरक्षा दिया गया. मिल रही जानकारी के मुताबिक चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल किया जा सकता है.
बीजेपी की छोटे दलों पर नजर: भाजपा की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर भी थी. अति पिछड़ा वोट डालने के लिए मुकेश साहनी को पार्टी करीब ला रही है. मुकेश साहनी को भी वाई प्लस सुरक्षा दी गई है. माना यह जा रहा है कि मुकेश साहनी ने भाजपा के कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर ली है. बातचीत भी पक्की हो चुकी है. मुकेश साहनी के तेवर भी भाजपा को लेकर नाराज हैं और पार्टी ने भाजपा के खिलाफ बयानबाजी से बच रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी महागठबंधन में असहज महसूस कर रहे हैं. जीतन राम मांझी ने भी अपने पुत्र संतोष सुमन को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया है. मांझी लगातार नीतीश कुमार के शराबबंदी मॉडल को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. मांझी के असंतोष का फायदा भाजपा उठाने की कोशिश में है.
2024 में बीजेपी का होगा पावर गेम: उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह जदयू को झटका दे चुके हैं. दोनों नेता 2024 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की बात भी कह चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने तो अपनी पार्टी बना ली है. भविष्य में वह भाजपा के साथ गठबंधन में आएंगे. मिल रही जानकारी के मुताबिक आरसीपी सिंह भी पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे हैं. फिलहाल वह संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं. भारतीय जनता पार्टी एक-एक कर छोटे दलों को करीब लाने में जुटी है. बहुत हद तक सफलता भी मिलती दिख रही है 2024 चुनाव तक पार्टी कुछ और छोटे दलों को साथ लाना चाहती है.
कुनबा बढ़ाकर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश: इस रणनीति के तहत महागठबंधन एनडीए के समक्ष बौना दिखाई पड़ेगा. भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि- ''नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर कई दल हमारे साथ आ रहे हैं. कई दाल आना भी चाहते हैं, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान, मुकेश साहनी, जीतन राम मांझी सरीखे नेता एनडीए में रह चुके हैं. अगर वह हमारे कुनबे में आ जाएं तो आश्चर्य की बात नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और आरसीपी सिंह ने तो खुले तौर पर बीजेपी के पक्ष में वकालत भी की है.''
बीजेपी की सुरक्षा वाली सियासत: लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा है कि- ''हमने उपचुनाव में भाजपा की मदद की है. भाजपा के नेताओं के अनुरोध पर चिराग पासवान ने प्रचार में भी हिस्सा लिया. भाजपा से हमारे नजदीकी संबंध हैं. लेकिन गठबंधन को लेकर अंतिम फैसला हमारे नेता चिराग पासवान को करना है.'' वहीं वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा है कि- ''हमारे नेता मुकेश साहनी जी की सुरक्षा बढ़ाई गई है. वह नक्सल प्रभावित इलाके में घूम रहे थे. इस वजह से उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई है. हमारे नेता मुकेश साहनी तमाम कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे. उसके बाद फैसला लेंगे कि वह किस गठबंधन में रहेंगे.''
HAM किस करवट बैठेंगे..? : हम पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि ''जीतन राम मांझी ने सही कहा है कि उनके पुत्र संतोष सुमन मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. गरीबों के नेता संतोष सुमन के पक्ष में लगातार आवाजें उठ रहे हैं. जहां तक गठबंधन का सवाल है तो अभी फिलहाल हम महागठबंधन में हैं, लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है भविष्य में कुछ भी हो सकता है.'' वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि ''भाजपा राजनीति में माइंडगेम भी खेलती है और उस माइंड गेम का हिस्सा है कि अपने कुनबे को भाजपा महागठबंधन से बड़ा बनाना चाहती है. क्योंकि महागठबंधन में अभी 7 घटक दल हैं और इस जादुई आंकड़े को भाजपा छूना चाहती है. ऐसा करके वह महागठबंधन से मानसिक बढ़त बनाने के फिराक में है.''