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महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार! आसान नहीं होगा कांग्रेस और वाम दलों को मनाना

lok sabha election 2024 विधानसभा चुनाव के कारण लंबे अर्से के बाद 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक होने जा रही है. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर चर्चा होनी है. बिहार में 40 सीटों पर महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा होना है. ऐसे में सभी की नजर 19 दिसंबर की बैठक पर है लेकिन, राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि यह बंटवारा इतना आसान नहीं होगा. पढ़ें, विस्तार से अंदरखाने में क्या पक रही खिचड़ी.

महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार.
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार.
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 17, 2023, 9:42 PM IST

Updated : Dec 17, 2023, 10:21 PM IST

महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार.

पटना: 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बिसात बिछाई जा रही है. बीजेपी के खिलाफ इंडिया गठबंधन बना, लेकिन इंडिया गठबंधन में अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर मामला फंसा हुआ है. 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा होगी. बिहार में भी 40 लोकसभा सीटों का बंटवारा महागठबंधन के बीच होना है. पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को सीट बंटवारा के फार्मूले का आधार बनाया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं इस फार्मूले पर महागठबंधन के अंदर सहमति बनाना आसान नहीं है. कांग्रेस और वाम दल पहले से ही अधिक सीट की मांग कर रहे हैं.


क्या है समीकरण: राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि "जो जानकारी मिल रही है उसके हिसाब से राजद और कांग्रेस के बीच 16-16 लोकसभा सीटों का बंटवारा होगा. वहीं कांग्रेस को पांच सीट देने की तैयारी है. वाम दलों को दो सीट दिया जाएगा. एक सीट वीआईपी के मुकेश सहनी के लिए फिलहाल रखा गया है. लेकिन इस फार्मूले पर महागठबंधन के अंदर सहमति बनना आसान नहीं है." कांग्रेस ने पहले ही 10 सीट की मांग की है. वाम दलों की तरफ से भी 5 से अधिक सीटों की मांग की जा रही है.

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समझौता होने की उम्मीदः जदयू और राजद नेताओं का कहना है कि बिहार में सीट शेयरिंग कोई मुद्दा नहीं है. बीजेपी के खिलाफ एक के मुकाबले एक सीट पर उम्मीदवार देने के लिए समझौता हो जाएगा. बिहार में राजद के पास एक भी लोकसभा सीट नहीं है. 2019 में नीतीश कुमार जब एनडीए में थे तो जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को किशनगंज सीट पर जीत मिली थी. वहीं विधान सभा में अभी आरजेडी 79 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि जदयू को 44, कांग्रेस को 19 और वाम दलों के पास 16 सीटें हैं.
राजद की दावेदारी मजबूतः पिछले लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को देखें तो आरजेडी लोकसभा चुनाव में जरूर जदयू से कम वोट प्रतिशत मिला और एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पायी लेकिन विधानसभा चुनाव में 2015 और 2020 में जदयू से अधिक वोट प्रतिशत मिला. जदयू से अधिक सीटों पर जीत भी मिली. इसलिए राजद की तरफ से मजबूत दावेदारी की जा रही है. 2019 में जेडीयू ने जिन 16 सीटों पर जीत हासिल की थी उसमें 8 सीटों पर राजद को हराया था. जहानाबाद में तो केवल 1751 वोट से जदयू के उम्मीदवार ने राजद उम्मीदवार को हराया था.


किसको कितना मिला मतः 2019 लोकसभा चुनाव में जदयू को 21.8 1% वोट मिला था तो वहीं राजद को 15.36 प्रतिशत और कांग्रेस को 7.70% वोट मिला था. विधानसभा की बात करें तो 2015 में आरजेडी को 18.4 फीसदी वोट मिला था और 80 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 2020 में 23.11% वोट मिला और 75 सीट पर जीत मिली थी. वहीं जदयू को 2015 में 16.8 फीसदी वोट मिला था और 71 सीट पर जीत मिली थी जबकि 2020 में 15.36 प्रतिशत वोट मिला था और केवल 43 सीट पर जीत मिली थी. जहां तक कांग्रेस की बात है तो 2015 में कांग्रेस को 6.7 पर्सेंट वोट मिला था और 27 सीटों पर जीत मिली थी वहीं 2020 में 9.48% वोट मिला और 19 सीटों पर जीत मिली थी.

19 दिसंबर की बैठक पर सबकी नजर: बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में जदयू के पास जो सीटिंग सीट है, उस पर भी राजद की नजर है. इनमें जहानाबाद, कटिहार, मधेपुरा जैसे सीट प्रमुख है. भले ही राजद के पास अभी एक भी सांसद नहीं है लेकिन राजद के पास विधानसभा में जदयू से लगभग दोगुनी सीट है. इसलिए महागठबंधन में भी सीट बंटवारा आसान नहीं है. अब सब की नजर 19 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक पर है कि बैठक में क्या कुछ फैसला होता है. क्योंकि, केवल बिहार का ही नहीं उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी राजनीतिक समीकरण उलझा हुआ है.

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महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार.

पटना: 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बिसात बिछाई जा रही है. बीजेपी के खिलाफ इंडिया गठबंधन बना, लेकिन इंडिया गठबंधन में अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर मामला फंसा हुआ है. 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा होगी. बिहार में भी 40 लोकसभा सीटों का बंटवारा महागठबंधन के बीच होना है. पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को सीट बंटवारा के फार्मूले का आधार बनाया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं इस फार्मूले पर महागठबंधन के अंदर सहमति बनाना आसान नहीं है. कांग्रेस और वाम दल पहले से ही अधिक सीट की मांग कर रहे हैं.


क्या है समीकरण: राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि "जो जानकारी मिल रही है उसके हिसाब से राजद और कांग्रेस के बीच 16-16 लोकसभा सीटों का बंटवारा होगा. वहीं कांग्रेस को पांच सीट देने की तैयारी है. वाम दलों को दो सीट दिया जाएगा. एक सीट वीआईपी के मुकेश सहनी के लिए फिलहाल रखा गया है. लेकिन इस फार्मूले पर महागठबंधन के अंदर सहमति बनना आसान नहीं है." कांग्रेस ने पहले ही 10 सीट की मांग की है. वाम दलों की तरफ से भी 5 से अधिक सीटों की मांग की जा रही है.

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समझौता होने की उम्मीदः जदयू और राजद नेताओं का कहना है कि बिहार में सीट शेयरिंग कोई मुद्दा नहीं है. बीजेपी के खिलाफ एक के मुकाबले एक सीट पर उम्मीदवार देने के लिए समझौता हो जाएगा. बिहार में राजद के पास एक भी लोकसभा सीट नहीं है. 2019 में नीतीश कुमार जब एनडीए में थे तो जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को किशनगंज सीट पर जीत मिली थी. वहीं विधान सभा में अभी आरजेडी 79 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि जदयू को 44, कांग्रेस को 19 और वाम दलों के पास 16 सीटें हैं.
राजद की दावेदारी मजबूतः पिछले लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को देखें तो आरजेडी लोकसभा चुनाव में जरूर जदयू से कम वोट प्रतिशत मिला और एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पायी लेकिन विधानसभा चुनाव में 2015 और 2020 में जदयू से अधिक वोट प्रतिशत मिला. जदयू से अधिक सीटों पर जीत भी मिली. इसलिए राजद की तरफ से मजबूत दावेदारी की जा रही है. 2019 में जेडीयू ने जिन 16 सीटों पर जीत हासिल की थी उसमें 8 सीटों पर राजद को हराया था. जहानाबाद में तो केवल 1751 वोट से जदयू के उम्मीदवार ने राजद उम्मीदवार को हराया था.


किसको कितना मिला मतः 2019 लोकसभा चुनाव में जदयू को 21.8 1% वोट मिला था तो वहीं राजद को 15.36 प्रतिशत और कांग्रेस को 7.70% वोट मिला था. विधानसभा की बात करें तो 2015 में आरजेडी को 18.4 फीसदी वोट मिला था और 80 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 2020 में 23.11% वोट मिला और 75 सीट पर जीत मिली थी. वहीं जदयू को 2015 में 16.8 फीसदी वोट मिला था और 71 सीट पर जीत मिली थी जबकि 2020 में 15.36 प्रतिशत वोट मिला था और केवल 43 सीट पर जीत मिली थी. जहां तक कांग्रेस की बात है तो 2015 में कांग्रेस को 6.7 पर्सेंट वोट मिला था और 27 सीटों पर जीत मिली थी वहीं 2020 में 9.48% वोट मिला और 19 सीटों पर जीत मिली थी.

19 दिसंबर की बैठक पर सबकी नजर: बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में जदयू के पास जो सीटिंग सीट है, उस पर भी राजद की नजर है. इनमें जहानाबाद, कटिहार, मधेपुरा जैसे सीट प्रमुख है. भले ही राजद के पास अभी एक भी सांसद नहीं है लेकिन राजद के पास विधानसभा में जदयू से लगभग दोगुनी सीट है. इसलिए महागठबंधन में भी सीट बंटवारा आसान नहीं है. अब सब की नजर 19 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक पर है कि बैठक में क्या कुछ फैसला होता है. क्योंकि, केवल बिहार का ही नहीं उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी राजनीतिक समीकरण उलझा हुआ है.

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Last Updated : Dec 17, 2023, 10:21 PM IST
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