पटनाः पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी समान वेतन, नियमितीकरण, पीपीएफ खाते समेत 15 सूत्री मांगों को लेकर जहां अनिश्चितकालीन हड़ताल (Indefinite Strike) पर हैं, वहीं अब बिहार के स्थानीय निकायों के सफाई कर्मियों ने भी 31 अगस्त से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है.
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दरअसल, बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 31 अगस्त से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में भारत सेवक समाज के सभागार में एक दिवसीय राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन में आंदोलन का निर्णय लिया गया है.
मुख्य रूप से दैनिक मजदूरों का नियमितीकरण और नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक समान काम समान वेतन या 18000 एवं 21000 प्रतिमाह वेतन के रूप में भुगतान करने की मांग की गई है. इसके साथ ही स्थाई कर्मियों का पूरे बिहार में एक समान वेतनमान, सेवा शर्तें एवं पेंशन आदि निर्धारित कराने की मांग की गई है.
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बता दें कि पटना नगर निगम के सफाई कर्मचारी लगातार चौथे दिन आज हड़ताल पर हैं. सफाई कर्मियों के हड़ताल से राजधानी की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है. पटना के कई मोहल्ले में कूड़े का अंबार लग गया है. राजधानी के सभी 75 वार्डों में कचरे का उठाव नहीं होने के कारण दुर्गंध फैल रही है.
हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि नगर निगम उनकी मांगों को पूरा करने के बजाय अलग-अलग तरह से दवाब बना रहा है. मेयर की कार्यशैली पर भी उन्होंने सवालिया निशान खड़ा किया है. मेयर द्वारा दिए गए बयान पर कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें आकर देखना चाहिए कि हड़ताल कर रहे लोग आखिर कौन हैं? और उनकी क्या समस्या है.
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"पटना नगर निगम के मेयर ने 7,000 मजदूरों का अपमान किया है. मजदूरों को बाहरी बताना गलत है. इसलिए उन्हें माफी मांगना चाहिए. जब तक हमारी पूरी नहीं होंगी, तब तक हम हड़ताल पर रहेंगे. " - नंद किशोर दास, सचिव, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ, पटना नगर निगम
बता दें कि पटना नगर निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के हड़ताल (Patna Municipal Corporation employees strike) पर चले जाने के कारण मोहल्लों में कूड़ा उठाव करने वाली गाड़ियां नहीं आ रही है. जिसके घर के आसपास और कूड़ा प्वाइंट पर कूड़े का अंबार लग गया है. सफाई कर्मियों ने कहा है कि शहर में फैला कूड़े-कचरे का जिम्मेदार पटना नगर निगम है. वहीं, जब तक उनकी मांगों को पूरी नहीं की जाती है, तब तक वे लोग हड़ताल पर ही रहेंगे.