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RJD और LJP पर पारिवार की पार्टी होने का टैग! विपक्ष बनाता रहा है मुद्दा

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. वहीं बिहार की लोजपा और राजद दो ऐसी पार्टियां है जो परिवार से बाहर नहीं निकल पाई है.

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Published : Aug 30, 2020, 2:31 PM IST

पटनाः बिहार में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. बिहार के राजनीतिक पार्टियों में राजद और लोजपा दो ऐसी पार्टी है, जो परिवार के बाहर निकल ही नहीं पाई है. यह दोनों पार्टियां परिवार के इर्द-गिर्द ही रह गई हैं.

वैसे तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी इससे अछूती अभी नहीं दिख रही है. राजद और लोजपा पार्टी में परिवार के ही सदस्य महत्वपूर्ण पद पर स्थापित हैं. लालू यादव जहां राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, तो तेजस्वी यादव जो कि लालू यादव के छोटे पुत्र नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित हैं.

विधानसभा चुनाव की तैयारियां
वहीं लालू यादव ने पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के होने के बावजूद भी अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को ही राज्यसभा भेजने का काम किया. जेडीयू और बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि राजद परिवार की पार्टी बनकर रह गई है, जब भी पद पाने या सुविधा पाने का मौका मिलता है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के परिवार ही उस मौके को लपक लेता है. राजद 2015 में जब सत्ता में पहुंची तब उसे मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, तो लालू के बेटे तेजस्वी यादव सामने आ गए और आज वहीं विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी हैं. जिसका कारण है कि राजद के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से पद छोड़ने का निर्णय ले लिया है. उनमें से एक रघुवंश प्रसाद भी और शिवानंद तिवारी भी है.

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राजू तिवारी लोजपा विधायक

पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के अध्यक्ष है. जीतन राम मांझी की पार्टी भी इससे अछूता नहीं है. जीतन राम मांझी खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पार्टी में बड़े नेता होने के बावजूद भी अपने ही बेटे को राजद कोटे से एमएलसी बनाने का काम किया था. जिसका विरोध होने पर कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया था.

लोजपा परिवार की पार्टी
लोजपा पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव युवा अध्यक्ष और लोजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है. इससे पहले चिराग पासवान के पिता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस सांसद है और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. कुल मिलाकर बात करें तो लोजपा परिवार की पार्टी बनकर रह गई है. लोजपा विधायक राजू तिवारी की माने तो लोजपा पार्टी परिवार की तरह है. चिराग पासवान जैसा बिहार में इस वक्त को युवा नेता नहीं है, जो जनता के सुख-दुख की चिंता रखता होगा.

पेश है खास रिपोर्ट

चिराग पासवान के नेतृत्व में झारखंड में लड़ा था चुनाव
चिराग पासवान ने बिहारी फर्स्ट बिहार फर्स्ट का स्लोगन दिया है. चिराग पासवान का मानना है कि बिहारी अगर कहीं जाए तो आदरपूर्वक उस का नाम लिया जाए. बिहार की विकास लॉयन ऑर्डर शिक्षा स्वास्थ्य के साथ अनेकों ऐसे मुद्दे हैं, जिसके साथ लोजपा विधानसभा चुनाव में जाने का काम करेगी. लोजपा इस वक्त बूथ स्तर की समस्याओं से अवगत हो रही है. हालांकि झारखंड विधानसभा चुनाव चिराग पासवान के नेतृत्व में लड़ी गई थी और उनके नेतृत्व को करारी हार भी मिली थी. उनका खाता भी झारखंड में नहीं खुल पाया था.

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भाई वीरेंद्र राजद प्रवक्ता

सीएम वंशवादी राजनीति के खिलाफ
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही वंशवादी राजनीति के खिलाफ मुखर लड़ाई लड़ी हो. लेकिन इन दिनों उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड में सदस्यों को शामिल करवाने में इसे नजरअंदाज करते नजर आ रहे हैं. 2009 में जब 18 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए, तब नीतीश ने तमाम दबाव के बावजूद जदयू नेताओं और सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट देने से इंकार कर दिया था.

राजद और लोजपा परिवार की पार्टी
नीतीश कुमार ने 2017 में जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव जिन्होंने राजद के साथ नाता तोड़ने का कड़ा विरोध किया था. उन पर भी तंज कसते हुए कहा था कि वह वंशवादी राजनीति को बढ़ावा देने वाले बन गए हैं. जदयू विगत दिनों राजद के 3 विधायकों का औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल किया है यह सभी राजनीतिक परिवार से आते हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय भी शामिल हैं. हालांकि राजद और लोजपा के नेता यह मानने को बिल्कुल तैयार नहीं है कि राजद और लोजपा परिवार की पार्टी है. राजद विधायक और मुख्य प्रवक्ता भाई बिरेंद्र की माने तो डॉक्टर के बेटा का डॉक्टर बन सकता है, तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता है.

पटनाः बिहार में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. बिहार के राजनीतिक पार्टियों में राजद और लोजपा दो ऐसी पार्टी है, जो परिवार के बाहर निकल ही नहीं पाई है. यह दोनों पार्टियां परिवार के इर्द-गिर्द ही रह गई हैं.

वैसे तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी इससे अछूती अभी नहीं दिख रही है. राजद और लोजपा पार्टी में परिवार के ही सदस्य महत्वपूर्ण पद पर स्थापित हैं. लालू यादव जहां राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, तो तेजस्वी यादव जो कि लालू यादव के छोटे पुत्र नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित हैं.

विधानसभा चुनाव की तैयारियां
वहीं लालू यादव ने पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के होने के बावजूद भी अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को ही राज्यसभा भेजने का काम किया. जेडीयू और बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि राजद परिवार की पार्टी बनकर रह गई है, जब भी पद पाने या सुविधा पाने का मौका मिलता है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के परिवार ही उस मौके को लपक लेता है. राजद 2015 में जब सत्ता में पहुंची तब उसे मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, तो लालू के बेटे तेजस्वी यादव सामने आ गए और आज वहीं विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी हैं. जिसका कारण है कि राजद के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से पद छोड़ने का निर्णय ले लिया है. उनमें से एक रघुवंश प्रसाद भी और शिवानंद तिवारी भी है.

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राजू तिवारी लोजपा विधायक

पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के अध्यक्ष है. जीतन राम मांझी की पार्टी भी इससे अछूता नहीं है. जीतन राम मांझी खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पार्टी में बड़े नेता होने के बावजूद भी अपने ही बेटे को राजद कोटे से एमएलसी बनाने का काम किया था. जिसका विरोध होने पर कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया था.

लोजपा परिवार की पार्टी
लोजपा पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव युवा अध्यक्ष और लोजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है. इससे पहले चिराग पासवान के पिता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस सांसद है और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. कुल मिलाकर बात करें तो लोजपा परिवार की पार्टी बनकर रह गई है. लोजपा विधायक राजू तिवारी की माने तो लोजपा पार्टी परिवार की तरह है. चिराग पासवान जैसा बिहार में इस वक्त को युवा नेता नहीं है, जो जनता के सुख-दुख की चिंता रखता होगा.

पेश है खास रिपोर्ट

चिराग पासवान के नेतृत्व में झारखंड में लड़ा था चुनाव
चिराग पासवान ने बिहारी फर्स्ट बिहार फर्स्ट का स्लोगन दिया है. चिराग पासवान का मानना है कि बिहारी अगर कहीं जाए तो आदरपूर्वक उस का नाम लिया जाए. बिहार की विकास लॉयन ऑर्डर शिक्षा स्वास्थ्य के साथ अनेकों ऐसे मुद्दे हैं, जिसके साथ लोजपा विधानसभा चुनाव में जाने का काम करेगी. लोजपा इस वक्त बूथ स्तर की समस्याओं से अवगत हो रही है. हालांकि झारखंड विधानसभा चुनाव चिराग पासवान के नेतृत्व में लड़ी गई थी और उनके नेतृत्व को करारी हार भी मिली थी. उनका खाता भी झारखंड में नहीं खुल पाया था.

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भाई वीरेंद्र राजद प्रवक्ता

सीएम वंशवादी राजनीति के खिलाफ
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही वंशवादी राजनीति के खिलाफ मुखर लड़ाई लड़ी हो. लेकिन इन दिनों उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड में सदस्यों को शामिल करवाने में इसे नजरअंदाज करते नजर आ रहे हैं. 2009 में जब 18 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए, तब नीतीश ने तमाम दबाव के बावजूद जदयू नेताओं और सांसदों के रिश्तेदारों को टिकट देने से इंकार कर दिया था.

राजद और लोजपा परिवार की पार्टी
नीतीश कुमार ने 2017 में जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव जिन्होंने राजद के साथ नाता तोड़ने का कड़ा विरोध किया था. उन पर भी तंज कसते हुए कहा था कि वह वंशवादी राजनीति को बढ़ावा देने वाले बन गए हैं. जदयू विगत दिनों राजद के 3 विधायकों का औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल किया है यह सभी राजनीतिक परिवार से आते हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय भी शामिल हैं. हालांकि राजद और लोजपा के नेता यह मानने को बिल्कुल तैयार नहीं है कि राजद और लोजपा परिवार की पार्टी है. राजद विधायक और मुख्य प्रवक्ता भाई बिरेंद्र की माने तो डॉक्टर के बेटा का डॉक्टर बन सकता है, तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता है.

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