पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में अभी कई ऐसे प्रखंड हैं, जहां विकास के नाम पर लोगों को सिर्फ और सिर्फ धोखा मिला है. प्रखंड के कई गांव सड़क, पानी, बिजली समेत कई सरकारी योजनाओं (Government Scheme) के लिए तरस रहे हैं. कुछ ऐसे ही हालात धनरूआ प्रखंड के सबसे बड़े सांडा पंचायत (Sanda Panchayat) की है. सांडा पंचायत में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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बिहार में पंचायत चुनाव 2021 के आगाज होते ही गांव-गांव जनसंपर्क किया जा रहा है. साथ ही लोगों की समस्याओं को जानकर समाधान का आश्वासन दिया जा रहा है. लेकिन हर साल काम के नाम पर सिर्फ और सिर्फ ठेंगा दिखाया जाता रहा है. वहीं, ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम जब धनरूआ प्रखंड के सबसे बड़े पंचायत सांडा पहुंची, तो हकीकत का पता चला.
सांडा पंचायत में 15 हजार आबादी है. पांच महादलित टोला और 17 गांव हैं, लेकिन जितनी भी महादलित बस्ती है, वहां का विकास नहीं हो सका है. कई मूलभूत और बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. इस बस्ती में न ही गली बनी है और न ही किसी को आवास योजना का लाभ मिल सका है. किसी के घर में शौचालय तक की सुविधा नहीं है. यहां के लोग अब तक खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
'पांच साल में कुछ भी काम नहीं हुआ है. गरीबों को न तो राशन कार्ड और न ही आवास योजना का लाभ मिल सका है. यहां के पूर्व मुखिया और वर्तमान मुखिया दोनों ने मिलकर जिला कलेक्टर को पत्र लिख दिया है कि यहां पिछड़ी जाति वाले लोगों को आवास नहीं चाहिए. जिससे लोगों को आवास नहीं मिला. पैसा देने वाले लोगों को ही आवास योजना का लाभ मिलता है.' - शशिकांत चौधरी, स्थानीय
इन सभी समस्याओं को लेकर ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं. ग्रामीणों की मानें तो मुखिया ने विकास के नाम पर सिर्फ लूट खसोट की है. कहीं भी नली-गली, सड़क, आवास, शौचालय नहीं बना है. जो भी आवास योजना में पैसा दिया है या घूस दिया है, उसी को शौचालय मिला है. गरीबों को कुछ नहीं मिल पाता है. यहां सिर्फ अमीरों को ही विकास योजना का लाभ मिलता है.
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धनरूआ प्रखंड के सबसे बड़े पंचायत सांडा महादलित बस्ती में 1500 मतदाता हैं. इसके बावजूद भी यहां विकास अछूता है. जहां मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है. लेकिन इस बार ग्रामीणों ने विकास के नाम पर लूट करने वाले नेताओं को सबक सिखाने की कसम खाई है.