पटनाः दिवंगत नेता रामविलास पासवान ( Ramvilas Paswan ) जब अपने बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लोजपा (Lok Janshakti Party) की कमान सौंप रहे थे, तब राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पशुपति कुमार पारस ने ही दिया था. आज वही पशुपति पारस खुद चिराग पासवान से बगावत कर पांच सांसदों के समर्थन से खुद लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष बन गए हैं और चिराग पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं.
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कौन हैं पशुपति पारस?
पशुपति कुमार पारस अलौली से पांच बार विधायक रह चुके हैं. वो दिवंगत नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई और चिराग पासवान के चाचा हैं. उन्होंने जेएनपी उम्मीदवार के रूप में 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. तब से वे एलकेडी, जेपी और एलजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया. हाजीपुर से 2019 का संसदीय चुनाव जीता और संसद के सदस्य बने. इसके अलावा, वे लोक जनशक्ति पार्टी की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वे हाजीपुर से 2019 का संसदीय चुनाव जीतकर सांसद बने. अब लोजपा की कमान संभालने जा रहे हैं.
चिराग के फैसले से थी नाराजगी
इस फैसले के पीछे चिराग पासवान का वन मैन आर्मी वाला रवैया माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त ही चिराग पासवान के रुख से पार्टी के तमाम बड़े नेता और सांसद नाराज थे, ऐसे में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद रही सही कसर भी पूरी हो गई. चुनाव के नतीजों के बाद से ही किसी भी नेता को चिराग के नेतृत्व पर न तो भरोसा था और न ही पार्टी में कोई भविष्य दिख रहा था, ऐसे में सभी सांसद उनसे नाराज चल रहे थे. इसके बाद हुआ वही जिसका डर था.
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लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी मांग पत्र
लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा सिंह, चंदन सिंह और प्रिंस राज की चिराग से राहें जुदा हो गयी हैं. रविवार देर शाम तक चली लोजपा सांसदों की बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगी. इसके बाद पांचों सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ( Lok Sabha Speaker Om Birla ) को आधिकारिक मांग पत्र भी सौंप दिया.
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