पटनाः आज सुहाग का त्योहार वट सावित्री (Vat Savitri Pooja 2022) है. ज्योतिष गणना के अनुसार जेष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 30 मई को पड़ी है. इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा वट सावित्री का व्रत भी रखा जाता है. दिन सोमवार पड़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) भी कहा जाता है. इसी दिन सूर्य देव के पुत्र शनि देव का जन्म भी है इसे शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है. प्रातः काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग बन रहा है. 30 साल के बाद बनने वाले इस शुभ संयोग में की जाने वाली पूजा का अद्भुत लाभ प्राप्त होगा.
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पित्र दोष से प्राप्त होती है मुक्तिः मान्यता के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने से पित्र दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. कालसर्प दोष और पित्र दोष के लिए करें विशेष पूजा पाठ-जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है या पित्र दोष है उन्हें इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए. काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए तीन सूक्त का पाठ करवाना चाहिए भगवान विष्णु को विशेष अर्घ्य दे कर के पूजा करना चाहिए इससे इस दोष से मुक्ति मिल सकती है.
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क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्यः ज्योतिषाचार्य कमल दुबे बताते हैं कि कुंडली में राहु और केतु के बीच में यदि सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष बन जाता है और यदि कुंडली में राहु या केतु के साथ सूर्य/चंद्र या शनि के साथ सूर्य/चंद्र बारहों भाव में कहीं भी विराजमान होते हैं तो घोर पित्र दोष बनता है. इस दिन पूजा पाठ करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराने या किसी जरूरतमंद को दान देने से पित्र दोष समाप्त होता है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है.
वट सावित्री पूजा का शुभ मुहूर्त: पूजा का शुभ मुहूर्त (vat savitri vrat shubh muhurt) अमावस्या तिथि 29 मई को दिन में दोपहर 2:54 बजे से प्रारम्भ हो कर 30 मई को सांयकाल 4:59 बजे तक है. वट सावित्री व्रत के दिन काफी अच्छा संयोग बन रहा है. इस दिन शनि जयंती होने के साथ खास योग भी बन रहा है. इस दिन सुबह 7:12 से सर्वार्थ सिद्धि योग ( vat savitri vrat 2022 shubh muhurt ) शुरू होकर 31 मई सुबह 5:08 बजे तक रहेगा.
पित्र दोष दूर करने के उपायः प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में किसी नदी या सरोवर में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. अमावस्या के दिन पूजा पाठ करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं. किसी जरूरतमंद को दान देने से भी पित्र दोष समाप्त होता है. अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पितरों को प्रसन्न रखने के लिए पिंडदान करें. जेष्ठ मास की चिलचिलाती धूप में सोमवती अमावस्या व्रत के दिन जल से भरा हुआ कलश छाता खड़ाऊ, खीरा ककड़ी आदि गर्मी में काम आने वाली वस्तुओं का दान श्रेष्ठ माना जाता है. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख समृद्धि बढ़ाने का आशीर्वाद देते हैं. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इस दिन बरगद के पेड़ पर त्रिदेव का बास रहता है. इस पर ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देववास करते हैं, इनकी पूजा करने से पित्र दोष से मुक्ति प्राप्त होती है.
ऐसे करें वट सावित्री पूजा: सुहागिन महिलाओं को सुबह उठकर नित्य क्रिया से निपटकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद सोलह सिंगार कर सूर्य देवता को जलाभिषेक कर वट वृक्ष की पूजा अर्चना करें. वट वृक्ष के नीचे जाकर ब्रह्ना तथा सावित्री के पूजन के बाद सत्यवान और सावित्री की पूजा करके बरगद की जड़ में जल दें, मौली, रोली, कच्चा सूत, भींगा चना, फूल तथा धूप से पूजन करें. वट वृक्ष पूजन में तने पर कच्चा सूत लपेट कर 108 बार परिक्रमा का विधान है, किन्तु न्यूनतम सात बार, या तीन परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए.
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