पटना : बिहार में जोर-शोर से राजकीय पक्षी महोत्सव 'कलरव' की तैयारी चल रही है. जमुई जिले के नागी-नकटी पक्षी अभयारण्य में होने वाले राजकीय पक्षी महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. बिहार में प्रवासी पक्षियों की आवाजाही पिछले कुछ समय में बढ़ी है. जल, जीवन, हरियाली कार्यक्रम के कारण विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों के लिए बिहार फेवरेट डेस्टिनेशन बनता जा रहा है.
मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के सदस्य और पक्षियों के जानकार नवीन कुमार ने बताया कि बिहार में 400 से ज्यादा वैरायटी के पक्षी पाए जाते हैं, जबकि देशभर में 1 हजार 314 वैरायटी के पक्षियों अब तक पहचान हुई है. लेकिन पक्षियों के मामले में बिहार में अब तक उस तरह की जागरूकता नहीं है, जो अन्य राज्यों में है. इसके कारण अन्य राज्यों में बर्ड टूरिज्म राजस्व का एक बड़ा पर्याय बन चुका है. उन्होंने कहा कि बिहार में बाहर से आने वाले पक्षी सामान्य तौर पर नवंबर महीने में आना शुरू करते हैं और मार्च तक यहां रहते हैं क्योंकि यहां उनके अनुकूल वातावरण उपलब्ध होता है.
नवीन कुमार ने कहा कि हाल के दिनों में बिहार में जिस तरह से पक्षियों को लेकर काम हुआ है, वह काफी उत्साहजनक है. राजकीय पक्षी महोत्सव से पक्षियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी.
'राजकीय पक्षी महोत्सव से बढ़ेगा पक्षी प्रेमा'
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि प्रवासी पक्षियों की संख्या जिस तरह से बिहार में बढ़ रही है, वह काफी उत्साहजनक है. उन्होंने कहा कि जल, जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए हैं और जलाशयों का पुनरुद्धार किया गया है, जो पक्षियों को खासा आकर्षित करता है. दीपक कुमार सिंह ने बताया कि बिहार में भी पक्षियों के प्रति बच्चों और आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए राजकीय पक्षी महोत्सव का आयोजन जमुई में हो रहा है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से लोगों में पक्षियों के प्रति आकर्षण बढ़ेगा और पक्षियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी.
- कलरव की तिथि : 15 से 17 जनवरी
- स्थान : नागी-गकटी जमुई
बिहार के प्रमुख पक्षी अभ्यारण्य
- कांवर झील, बेगूसराय
- नागी-गकटी जमुई
- बरैला वैशाली
- कुशेश्वरस्थान दरभंगा
बिहार के सभी पक्षी अभयारण्य समेत पटना के राजधानी जलाशय, कटिहार के गोगाबिल और भागलपुर के गंगा दियारा में भी सरकार की ओर से कई प्रयास किए गए हैं. इसके अच्छे नतीजे भी सामने आ रहे हैं. बर्ड फेस्टिवल के जरिए विलुप्त होते बर्ड की प्रजातियों को भी बचाने का प्रयास हो रहा है. विशेष रूप से बिहार से जुड़े उत्तर प्रदेश की सीमा और बिहार से सटे अन्य राज्यों में पाए जाने वाली पक्षियों की प्रजातियों को लेकर बर्ड फेस्टिवल के जरिए लोगों को जागरूक किया जाएगा. उत्तर प्रदेश और विंध्य की पहाड़ी के साथ गंगा, गोमती, गंडक, घाघरा और सोन नदी के एरिया में भी वहां की राज्य सरकार स्थानीय पक्षियों के सर्वेक्षण का काम चला रही है, जो आगे मील का पत्थर साबित होगा.
बिहार में आने वाले माइग्रेटरी बर्ड्स
- कॉम्ब डक
- लालसर
- गैडवॉल
- पिनटेल
- पोंड हेरॉन
- व्हिसलिंग डक
- वागटेल्स
- कॉमन मूरहेन
- व्हाइट थ्रोट किंगफिशर
- लार्ज पाइड वैगटेल
इनमें से कई पक्षी साउथ अमेरिका, ब्राजील, ईरान,अफगानिस्तान, नॉर्थ अफ्रीका, रशिया, चाइना, तिब्बत और नॉर्थ यूरोप से आते हैं, जबकि कई अन्य पक्षी देश के विभिन्न हिस्सों से बिहार आते हैं.