पटना: बिहार के पटना हनुमान मंदिर के प्रमुख पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रेशेखर को रामचरितमानस पर दिए गए बयान (controversial Statement on Ramcharitmanas) पर बहस करने का निमंत्रण दिया है. किशोर कुणाल ने कहा की मंत्रीजी को हम बहस के लिए रविवार को समय देते हैं, ओ आएं और रामचरितमानस को गलत साबित करें.
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शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को रामचरितमानस पर बहस करने की चुनौती: किशोर कुणाल ने कहा कि किसी महापुरुष के बारे में इस तरह से बयानबाजी करना तथ्य से परे है. हम रविवार को इसको लेकर गोष्ठि कर रहे हैं. माननीय शिक्षा मंत्री अपनी बात पर अटल हैं, अच्छी बात है. इस गोष्ठि में आकर बोलें शोभा देगा, लेकिन दीक्षांत समारोह में ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था. दीक्षांत समारोह में क्या बोलना है उसकी परिपाटी बनी हुई थी. अलग से बोलते तो मुझे कोई एतराज नहीं था.
'दीक्षांत समारोह में ऐसा नहीं बोलना चाहिए था': किशोर कुणाल ने कहा कि सबको अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन दीक्षांत समारोह सही जगह नहीं थी. हमारी नजर में रामचरितमानस पारिवारिक प्रेम और सामाजिक सदभाव का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है. क्या सही है और क्या गलत है इसके लिए हमने सेमिनार रखा है. शिक्षा मंत्री को आकर इसमें बोलना चाहिए या अपने किसी प्रतिनिधी को भेजें.
'ढोल गंवार क्षुद्र पशु मारी सकल ताड़ना...': उन्होंने कहा कि सबसे पहली किताब रामचरितमानस की साल 1810 में कोलकाता से छपी थी. उसमें पाठ ढोल गंवार क्षुद्र पशु मारी सकल ताड़ना के अधिकारी है उसका मतलब कोई बदल दे तो क्या कर सकते हैं. क्षुद्र को शुद्र कर दे और पशुमारी को पशु नारी कर दे तो क्या करें. किसी का आंकलन करने से पहले देखना पड़ेगा कि वो मूल रूप में है या नहीं.
क्या कहा था शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने ?: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर बोलते हुए कहा था कि, 'रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. मनुस्मृति को बाबा साहब अंबेडकर ने इसलिये जलाया क्योंकि वह दलितों और वंचितों के हक छीनने की बातें करती है.' शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के इस बयान के बाद देश की राजनीति में बवाल मचा है.