पटना: बिहार के अन्नदाता (Bihar Farmers) को कभी कभी उनके फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता था, जल्दी खराब होने वाले सामान को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने में भी अधिक समय लगने से उत्पादन (Production) खराब हो जाता था. इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता था. बिहार के किसानों को आमदनी बढ़ाने को लेकर सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. जिसके लिए किसान रेल (Kisan Rail) मददगार साबित हो रही है.
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खेतों से बड़ी मंडियों तक किसानों के द्वारा उत्पादन पहुंचाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. उत्तर बिहार के किसान फल और सब्जियों का उत्पादन भरपूर मात्रा में करते हैं. उनको बड़े बाजार तक अपना उत्पादन पहुंचाने में काफी दिक्कत होती थी. रेलवे 'किसान रेल' के जरिए किसानों की सब्जी और फलों को अलग-अलग प्रदेशों में आसानी से भेजने का काम कर रही है. कोरोना काल में भी भारतीय रेल किसानों के लिए मददगार बनी रही. किसान रेल के जरिए बिहार के किसानों की उपज को बेहतर बाजार मिल रहा है.
सबसे पहले 'किसान रेल' दानापुर तक पहुंची थी. जिसमें अंडा, गोभी, मछली, प्याज और लहसुन जैसे खाद्य सामग्रियों को महाराष्ट्र से लाया गया था. लेकिन, रेलवे के द्वारा इस ट्रेन के परिचालन को और विस्तार करते हुए महाराष्ट्र देवलाली से मुजफ्फरपुर तक किया गया. बिहार से मखाना, मक्का और मसूर दाल को 'किसान रेल' से भेजा जा रहा है.
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पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि बरौनी और टाटानगर के लिए किसान स्पेशल ट्रेन से दूध भी भेजा जा रहा है. लगभग 46000 लीटर दूध किसान रेल से भेजा जा रहा है. जो बिहार के पशुपालकों के लिए काफी फायदेमंद हो रहा है. किसान रेल से बिहार के पशु पालक का उत्पादित दूध बरौनी, टाटा नगर, धनबाद, बोकारो भेजा जा रहा है.
आने वाले दिनों में बिहार से किसान रेल से स्ट्रॉबेरी, मखाना, परवल, मक्का, राइस और मीट अधिक मात्रा में दूसरे प्रदेश भेजने को लेकर पूर्व मध्य रेल ने तैयारी कर ली है. किसान रेल को और विस्तार करने को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है. किसान रेल का ठहराव छोटे बड़े स्टेशनों पर भी शुरू कराने की तैयारी है.
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''पूर्व मध्य रेल माल ढुलाई बेहतर तालमेल के लिए बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट का भी गठन किया गया है. इसका एकमात्र मकसद परिवहन में हिस्सेदारी और मजबूत करने के साथ-साथ कम मात्रा में विविध प्रकार के उत्पादों के परिवहन क्षेत्र में मजबूती के साथ कार्य योजना बनाकर बिजनेस डेवलपमेंट का गठन किया गया है और बिचौलियों से किसानों को मुक्ति मिल सकें.''- राजेश कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल
राजेश कुमार ने बताया कि पहले रेल सिर्फ कोयला लदान के लिए जाना जाता था, लेकिन 'किसान रेल' से किसानों के द्वारा उत्पादित फल, सब्जियों को भी अच्छे बाजारों तक पहुंचाने को लेकर प्रयास किया जा रहा है. बता दें कि किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर रेलवे प्रशासन ने 'किसान रेल' में किसानों को भाड़े में 50% की छूट भी देती है.
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अब महाराष्ट्र से भी फल और उत्पाद सस्ती कीमत पर बिहार पहुंच रहा है, सबसे खास बात ये है कि ट्रेन चलती फिरती कोल्ड स्टोरेज है. इसमें फल, सब्जी, दूध, मछली जल्दी खराब होने वाले सामानों को सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा रहा है और किसान रेल की सहायता से किसान अपनी उपज को ऐसी जगह पहुंचा सकता है जहां पर उस सामान की कीमत अधिक हो, मांग अधिक हो, जहां उसे अच्छा मुनाफा हो सकें.
अगर बात करें तो पहले किसानों को सिर्फ सड़क परिवहन पर ही आश्रित होना पड़ता था. सड़क मार्ग से सामान पहुंचाने में अधिक समय के साथ-साथ अधिक किराया भी लगता था, किसान रेल के शुरू होने से किसानों को काफी लाभ मिल रहा है.