पटना: बिहार की राजनीति में उलटफेर के संकेत हैं. जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष और वाम नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) कांग्रेस के दरवाजे बिहार की राजनीति में दस्तक देने को तैयार हैं. कन्हैया कुमार की एंट्री से बिहार के राजनीतिक दलों में बेचैनी है. कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक ने एनडीए और राजद के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है.
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बिहार में एनडीए को महागठबंधन के युवा नेताओं (तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और कन्हैया कुमार) से चुनौती मिलेगी. वहीं, महागठबंधन के युवा नेताओं के बीच नेतृत्व को लेकर प्रतिस्पर्धा हो सकती है. महागठबंधन का नेतृत्व वर्तमान में राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के हाथ में है. कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से तेजस्वी की डगर आसान नहीं होगी.
बिहार में क्षेत्रीय दलों के ताकतवर होने के साथ ही कांग्रेस की जमीन खिसकती चली गई. पार्टी क्षेत्रीय दलों पर निर्भर हो गई. तीन दशक से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने का हिम्मत नहीं दिखा सकी. आज बिहार जैसे बड़े राज्य में कांग्रेस के सिर्फ एक सांसद हैं. बिहार में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों पर से निर्भरता कम करना चाहती है. ऐसे में पार्टी को युवा नेता की तलाश है. कन्हैया कुमार पर कांग्रेस ने दाव लगाने का फैसला किया है.
बता दें कि कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान कन्हैया ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से दो-दो हाथ किया था. चुनाव में कन्हैया को हार मिली थी. सीपीआई नेता कन्हैया कुमार महागठबंधन का हिस्सा हैं. वह मोदी विरोध के प्रतीक बन गए हैं. कांग्रेस को ऐसा लग रहा है कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ वह कन्हैया कुमार को भुना सकती है. कन्हैया के बहाने कांग्रेस बिहार में खोई हुई जातिगत और पारंपरिक वोट बैंक भी हासिल करना चाहेगी.
एनडीए के नेताओं को कन्हैया कुमार राजनीतिक तौर पर चुनौती नहीं दिख रहे हैं. उनका कहना है कि पिछले दो चुनाव में कन्हैया महागठबंधन का हिस्सा थे और दोनों चुनाव में एनडीए की जीत हुई. वामदलों में कन्हैया कुमार की उपस्थिति से उम्मीद जगी थी. वाम नेता कन्हैया कुमार को लेकर खासे उत्साहित हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से कन्हैया कुमार और सीपीआई के बीच कई मुद्दों पर मतभेद उभरकर सामने आए. कन्हैया को पार्टी की ओर से चेतावनी भी दी गई. हैदराबाद अधिवेशन के बाद से कन्हैया का पार्टी से मोहभंग होता चला गया.
बिहार में 3 युवा नेता (तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और कन्हैया कुमार) हैं. इन्हें सुनने के लिए भीड़ जमा होती है. कन्हैया कुमार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बन सकते हैं. तेजस्वी यादव भी कन्हैया कुमार को लेकर बहुत सकारात्मक नहीं रहते हैं. बेगूसराय सीट को लेकर राजद और वाम नेताओं के बीच बात नहीं बन पाई थी. राजद की ओर से बेगूसराय लोकसभा सीट पर उम्मीदवार दिया गया था.
"कन्हैया कुमार के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी. बिहार में महागठबंधन भी मजबूत होगा. महागठबंधन में अगर 3-3 युवा नेता होंगे तो भाजपा के लिए मुश्किलें होंगी."- राजेश राठौर, प्रवक्ता, कांग्रेस
"कन्हैया कुमार महागठबंधन का हिस्सा थे और उनके कांग्रेस पार्टी में आने से तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर कोई संशय नहीं है. तेजस्वी यादव आज की तारीख में बिहार में यूथ आइकन हैं. कन्हैया कुमार भी बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही काम करेंगे."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राजद
"कांग्रेस के पास अब कोई रास्ता नहीं है. वैसे नेताओं को पार्टी में शामिल कराया जा रहा है, जिनपर देशद्रोह के आरोप हैं. कांग्रेस को जवाब देना होगा. कन्हैया के कांग्रेस में आने से एनडीए की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बिहार की जनता कन्हैया कुमार को खारिज कर चुकी है."- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, भाजपा
"कन्हैया कुमार बिहार की राजनीति की दिशा मोड़ सकते हैं. एक ओर कन्हैया कुमार तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बन सकते हैं तो दूसरी तरफ एनडीए के लिए भी राहें आसान नहीं होंगी."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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