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'बिहार में भूमि संघर्ष' पुस्तक का विमोचन, आजादी से अब तक हुए भूमि संघर्षों का है जिक्र - बिहार में भूमि संघर्ष पुस्तक का विमोचन

आंकड़ों बताते हैं कि बिहार में ज्यादातर लोगों की हत्या जमीन विवाद की वजह से हुई है. आज पटना के कालिदास रंगालय में हसन इमाम की लिखी पुस्तक ‘बिहार में भूमि संघर्ष’ का विमोचन किया गया.

बिहार में भूमि संघर्ष
बिहार में भूमि संघर्ष
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Published : Mar 21, 2021, 10:47 PM IST

पटना : कालिदास रंगालय में हसन इमाम की लिखी पुस्तक ‘बिहार में भूमि संघर्ष’ का विमोचन किया गया. पुस्तक का विमोचन पटना ‘टीस’ के चेयरपर्सन पुष्पेंद्र, जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बिजू कृष्णन, सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, पोलितब्यूरो सदस्य अरुण कुमार मिश्रा ने किया.

पटना 'टीस' के चेयरपर्सन पुष्पेंद्र ने बताया कि इस पुस्तक में किसी पार्टी या किसी समुदाय को फोकस नहीं किया गया बल्कि यह पुस्तक आजादी से पहले और आजादी के बाद के भूमि संघर्षों को दर्शाता है. भूमि संघर्ष में शामिल महिलाएं ,छात्र, विभिन्न संगठन, राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की भूमिकाओं को दिखाता है.

ये भी पढ़ें- इंस्टॉलेशन स्कल्पचर कार्यशाला का आयोजन, किलकारी के बच्चों ने प्रकृति और मानव के बीच के संबंध को जाना

पुस्तक में जातीय उत्पीड़न भूमि संघर्ष को भी रेखांकित किया गया है. पुस्तक में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरीके से पहले भूमि संघर्ष की लड़ाई होती थी. जिसमें जातीय उत्पीड़न काफी अधिक होता था. हालांकि अभी भी भूमि संघर्ष जारी है.

पटना : कालिदास रंगालय में हसन इमाम की लिखी पुस्तक ‘बिहार में भूमि संघर्ष’ का विमोचन किया गया. पुस्तक का विमोचन पटना ‘टीस’ के चेयरपर्सन पुष्पेंद्र, जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बिजू कृष्णन, सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, पोलितब्यूरो सदस्य अरुण कुमार मिश्रा ने किया.

पटना 'टीस' के चेयरपर्सन पुष्पेंद्र ने बताया कि इस पुस्तक में किसी पार्टी या किसी समुदाय को फोकस नहीं किया गया बल्कि यह पुस्तक आजादी से पहले और आजादी के बाद के भूमि संघर्षों को दर्शाता है. भूमि संघर्ष में शामिल महिलाएं ,छात्र, विभिन्न संगठन, राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की भूमिकाओं को दिखाता है.

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पुस्तक में जातीय उत्पीड़न भूमि संघर्ष को भी रेखांकित किया गया है. पुस्तक में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरीके से पहले भूमि संघर्ष की लड़ाई होती थी. जिसमें जातीय उत्पीड़न काफी अधिक होता था. हालांकि अभी भी भूमि संघर्ष जारी है.

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