पटना: पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल लगातार पांचवें दिन भी जारी रही. ऐसे में अस्पताल में इलाज की व्यवस्था काफी चरमराई हुई है. जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं और उनका कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मानती है या फिर जब तक सरकार की तरफ से कोई लिखित आश्वासन नहीं मिलता है. वो हड़ताल पर बने रहेंगे.
बिहार जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों और इंटर्न्स की हड़ताल के वजह से इलाज की व्यवस्था काफी बुरी तरह प्रभावित हुई है. मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि इस स्थिति के लिए सरकार जिम्मेदार है क्योंकि जूनियर डॉक्टर पहले भी अपनी मांगों को लेकर कई बार सरकार के पास जा चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने उनसे मिलने का समय भी नहीं दिया है. ऐसे में लाचार और विवश होकर जूनियर डॉक्टरों को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि पीएमसीएच की अगर बात करें तो यहां लगभग 700 के करीब जूनियर डॉक्टर और इंटर्न है.
'जनता के साथ फरेब कर रही सरकार'
सेक्रेटरी ने बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए सरकार ने जो 50 चिकित्सकों की मांग की है. वह सरासर बिहार की जनता के साथ फरेब है. उन्होंने कहा कि 700 के करीब जूनियर डॉक्टर और इंटर्न के कार्य को 50 चिकित्सक नहीं कर सकते हैं और जो 50 चिकित्सक मंगाए गए हैं. वो भी प्रदेश के ही किसी पीएससी और अन्य अस्पतालों से बुलाए गए हैं, ऐसे में वह डॉक्टर जहां पर कार्यरत थे. वहां डॉक्टर की कमी हो गई है और मरीजों को परेशानी बढ़ गई है.
डॉ. कुंदन सुमन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में पीएमसीएच में मीडिया कर्मियों के साथ मारपीट की कुछ घटनाएं सामने आई हैं और अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मिस लीड किया जा रहा है कि यह सब हरकत जूनियर डॉक्टरों के इशारे पर हुई है जो कि सरासर गलत है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा जूनियर डॉक्टरों को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हड़ताल की वजह से अस्पताल की सभी सेवा पूरी तरह से बाधित है ऐसे में अगर मीडिया कर्मी यह सच्चाई दिखाना चाह रहे हैं तो अस्पताल प्रबंधन अपनी छवि बदनाम होने के डर से इस प्रकार का कार्य कर रहा है.
'सरकार का तुगलकी फरमान गलत है'
पीएमसीएच जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ट्रेजरर डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि सरकार जिद पर अड़ी हुई है कि वह जूनियर डॉक्टरों की बात नहीं मानेंगे, जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि जूनियर डॉक्टरों की मांग जायज है और इस पर स्वास्थ्य विभाग को संज्ञान लेना चाहिए मगर स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई पहल नहीं हुई है. इसके ठीक विपरीत जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल को दबाने के लिए विभाग की तरफ से कई तुगलकी फरमान भी जारी किए जा रहे हैं जो सरासर अनुचित है.
उन्होंने कहा कि सरकार का अगर कोई प्रतिनिधि आकर उनसे बातचीत करता है और लिखित में कुछ आश्वासन देता है तो वह अविलंब हड़ताल तोड़ कर वापस कार्य में लग जाएंगे क्योंकि उन्हें भी बहुत कष्ट हो रहा है. जिस प्रकार से मरी परेशान हो रहे हैं और इलाज के अभाव में मरीजों का दम टूट रहा है. उन्होंने कहा कि वह भी चिकित्सीय धर्म निभाना चाहते हैं. लेकिन सरकार के कुछ आला अधिकारियों ने उन्हें इस कदर मजबूर कर दिया है कि जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल जैसा कठोर फैसला लेना पड़ा है.