पटना: बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सदा ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर मुसहर समाज को बदनाम करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मांझी जी अमित शाह से मिलने जाते हैं तो उनका चप्पल उतरवा दिया जाता है. वहीं नीतीश कुमार ने मांझी जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था. जीतन राम मांझी जान लें कि भाजपा की ओर से कभी उन्हें सम्मान मिलने वाला नहीं है.
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"भाजपा और अमित शाह का जीतन राम मांझी और संतोष मांझी को डर है. संतोष मांझी, नीतीश कुमार के सामने तो कभी चप्पल उतार कर नहीं बैठते थे और चप्पल पहन कर बराबरी में कुर्सी पर बैठा करते थे. संतोष मांझी डर से ऐसा बोल रहे हैं कि संस्कार के कारण वह चप्पल पहन कर अंदर नहीं गए"- रत्नेश सदा, मंत्री
पूरे मुसहर समाज को सम्मान दिया: बता दें कि 21 जून को जीतन राम मांझी ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस मुलाकात की जो तस्वीर आयी थी उसमें जीतन राम मांझी, उनके पुत्र संतोष सुमन और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय चप्पल-जूता नहीं पहने थे. वहीं अमित शाह चप्पल में नजर आ रहे थे. रत्नेश सदा ने कहा कि नीतीश कुमार के ऊपर दलित विरोधी का आरोप लगाने वाले जीतन राम मांझी को खुद समझ होना चाहिए कि नीतीश कुमार ने उन्हें कितना सम्मान दिया. दशरथ मांझी और पूरे मुसहर समाज को नीतीश कुमार ने सम्मान दिया है.
मुसहर समाज बदनाम हुआ: रत्नेश सदा ने कहा कि जीतन राम मांझी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं. नीतीश कुमार ने उन्हें कितना सम्मान दिया इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्हें कुर्सी पर बैठाया जबकि बीजेपी ने उनका चप्पल उतरवाने का काम किया. उनके इस आचरण से मुसहर समाज बदनाम हुआ है. मुकेश साहनी हो चाहे जीतन राम मांझी, सभी समाज की मुख्यधारा से अलग हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा का वोट जदयू और महागठबंधन के साथ है.