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बिहार विधान परिषद की 7 सीटों पर NDA और महागठबंधन दोनों तरफ से फंसेगा पेंच, जानें पूरा समीकरण - बिहार विधान परिषद

बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council Elections) की 7 सीटों पर 20 जून को वोटिंग और काउंटिंग है. तमाम पार्टियों में इस चुनाव से पहले माथा-पच्ची शुरू हो गयी है क्योंकि सभी दलों में दावेदारों की कमी नहीं है. वही कैलकुलेशन के हिसाब से जदयू को सीटों का नुकसान हो सकता है तो महागठबंधन को फायदा होता दिख रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Election to seven seats of Bihar Legislative Council
Election to seven seats of Bihar Legislative Council
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Published : May 27, 2022, 7:52 PM IST

पटना: राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक हलचल बिहार में बनी हुई है और अब अगले महीने हो रहे विधान परिषद के चुनाव में भी एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमे में विवाद बढ़ने वाला है. खाली हो रहे विधान परिषद के 7 सीटों (Election to seven seats of Bihar Legislative Council) में से 5 सीट फिलहाल जदयू के हैं और 2 सीट बीजेपी खेमे के हैं लेकिन विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के हिसाब से केवल 4 सीट ही अब एनडीए को मिलेगी और 3 सीट महागठबंधन खेमे में जाना तय माना जा रहा है.

पढ़ें- बिहार में 4 IAS अधिकारियों का तबादला.. 14 अधिकारी बने उप विकास आयुक्त

बिहार विधान परिषद की सात सीटों पर चुनाव: संख्या बल के हिसाब से बीजेपी आरजेडी को दो-दो सीट और जदयू को एक सीट आसानी से मिलेगी. शेष बचे 2 सीट पर होने वाले दावेदारी से विवाद बढ़ना तय है. ऐसे विधान परिषद के 7 सीटों के चुनाव में जदयू को नुकसान होगा तो ही आरजेडी को लाभ मिलने वाला है. बिहार में राज्यसभा के 5 सीटों पर चुनाव के बाद विधान परिषद के 7 सीटों के होने वाले चुनाव पर भी सियासत तेज होना तय है. विधान परिषद के एक सीट के लिए 31 सदस्यों का होना जरूरी है.

समझे MLC चुनाव का गुना गणित: फिलहाल बीजेपी के 77 विधायक हैं. 2 सीट मिलने के बाद भी 15 विधायक का वोट शेष बचेगा तो वहीं जदयू के 45 और एक निर्दलीय की बात करें तो कुल 46 विधायक हैं. ऐसे में जदयू को भी एक विधान परिषद की सीट आसानी से मिल जाएगी और उसके बाद भी 15 विधायकों का वोट बचा रह जाएगा. एनडीए में जीतन राम मांझी के भी 4 विधायक हैं और मांझी भी एक सीट पर दावेदारी कर रहे हैं. लेकिन जदयू के 5 सीट अभी वर्तमान में हैं इसलिए जदयू सहयोगी बीजेपी से कम से कम 1 सीट और देने का आग्रह करेगी.

1 सीट पर जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत: लेकिन बीजेपी तैयार नहीं हुई तो विवाद बढ़ना तय है. दूसरी तरफ आरजेडी के 76 विधायक हैं. ऐसे में 2 सीट आसानी से आरजेडी को मिल जाएगी और उसके बाद भी 14 विधायकों का वोट शेष बचेगा. महागठबंधन खेमे में वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं और कांग्रेस के 19 विधायक अब आरजेडी को तय करना है कि एक सीट कांग्रेस को दें या फिर वामपंथी दलों को. हाल के दिनों में कांग्रेस से आरजेडी की दूरियां बढ़ी है. ऐसे में यह अंदेशा है कि वामदलों को ही आरजेडी 1 सीट ऑफर कर सकता है. ऐसे में कांग्रेस की तरफ से दावेदारी होने पर विवाद बढ़ेगा.

इन सदस्यों को हो रहा कार्यकाल समाप्त: जिन सात सदस्यों का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है उसमें जदयू के गुलाम रसूल बलियावी, सीपी सिन्हा, कमर आलम, रणविजय सिंह, रोजिना नाजिम, बीजेपी के अर्जुन सहनी और वीआईपी के मुकेश सहनी भी शामिल हैं. मुकेश सहनी को बीजेपी ने अपने कोटे से ही विधान परिषद भेजा था लेकिन अब बीजेपी के साथ मुकेश सहनी का संबंध खराब हो चुका है और नीतीश मंत्रिमंडल से भी मुकेश सहनी बाहर हो चुके हैं.

जदयू को नुकसान के आसार: इसमें कमर आलम और कुमार रणविजय सिंह राजद से जदयू में आए थे. ऐसे तो तनवीर अख्तर भी कांग्रेस से जीतकर जदयू में शामिल हुए थे लेकिन उनके निधन के बाद उनकी पत्नी रोजिना नाजिम को जदयू ने फिर से विधान परिषद भेजा था. अब उनका भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है इसलिए जदयू के लिए इन तीनों में से रिपीट करना आसान नहीं होगा क्योंकि पहले से ही पार्टी में कई दावेदार हैं. ऐसे बीजेपी और जदयू नेताओं का कहना है की पार्टी नेतृत्व मिल बैठकर फैसला लेगा. पहले भी गठबंधन के नेता मिलकर फैसला लेते रहे हैं.

"पार्टी सही समय पर फैसला लेगी. अंतिम रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष ही इस पर निर्णय लेंगे. हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय चुनाव समिति बैठक करेगी. 31 मई और 1 जून को यह बैठक होगी. कहीं कोई समस्या नहीं होगी. पहले भी मिल बैठकर फैसला हम लोग लेते रहे हैं."- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

"विधान परिषद के 7 सीटों पर चुनाव होना है. विधानसभा में संख्या बल के आधार पर तय होना है, सीधे जनता इसे नहीं चुनेगी. 5 सदस्य हमारे रिटायर्ड हो रहे हैं तो हमारा शीर्ष नेतृत्व इसे देख रहा है. एनडीए को कैसे अधिक से अधिक सीट मिले इसका प्रयास पार्टी और गठबंधन कर रहा है. जदयू को जहां तक नुकसान की बात है तो नीतीश कुमार वोट की चिंता नहीं करते हैं वोटरों की चिंता करते हैं."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

"हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही फैसला लेने के लिए अधिकृत किया गया है. 3 सीट आरजेडी और सहयोगियों को विधान परिषद चुनाव में मिलेगा. 2 सीट आरजेडी के पास रहेगा और एक सीट किस सहयोगी को दिया जाएगा इसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ही फैसला लेंगे. कांग्रेस उपचुनाव के समय ही महागठबंधन से अलग हो गई थी और अभी तक अलग है. ऐसे हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही कह रखा है कि केंद्रीय स्तर पर हम कांग्रेस को मजबूत करेंगे लेकिन बिहार में आरजेडी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी अब फैसला कांग्रेस को करना है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी

2 जून से नामांकन शुरू: फिलहाल सभी दल की नजर राज्यसभा के उम्मीदवारों पर लगी है लेकिन 2 जून से विधान परिषद के 7 सीटों पर नॉमिनेशन शुरू हो रहा है और 9 जून तक नॉमिनेशन चलेगा. वहीं 20 जून को वोटिंग होगी. तय है विधान परिषद सीटों को लेकर जल्द ही मंथन शुरू हो जाएगा क्योंकि सभी दलों में विधान परिषद के लिए दावेदारों की लंबी सूची है. ऐसे में सभी दल के लिए चुनौती बढ़ेगी. खासकर जदयू की परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि 5 सदस्यों का जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनकी तो दावेदारी होगी ही साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेजने के बाद उम्मीद जगी है. दूसरी तरफ बीजेपी में भी कई दावेदार हैं और लंबे समय से विधानसभा जाने की आस लगाए बैठे हैं.

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पटना: राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक हलचल बिहार में बनी हुई है और अब अगले महीने हो रहे विधान परिषद के चुनाव में भी एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमे में विवाद बढ़ने वाला है. खाली हो रहे विधान परिषद के 7 सीटों (Election to seven seats of Bihar Legislative Council) में से 5 सीट फिलहाल जदयू के हैं और 2 सीट बीजेपी खेमे के हैं लेकिन विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के हिसाब से केवल 4 सीट ही अब एनडीए को मिलेगी और 3 सीट महागठबंधन खेमे में जाना तय माना जा रहा है.

पढ़ें- बिहार में 4 IAS अधिकारियों का तबादला.. 14 अधिकारी बने उप विकास आयुक्त

बिहार विधान परिषद की सात सीटों पर चुनाव: संख्या बल के हिसाब से बीजेपी आरजेडी को दो-दो सीट और जदयू को एक सीट आसानी से मिलेगी. शेष बचे 2 सीट पर होने वाले दावेदारी से विवाद बढ़ना तय है. ऐसे विधान परिषद के 7 सीटों के चुनाव में जदयू को नुकसान होगा तो ही आरजेडी को लाभ मिलने वाला है. बिहार में राज्यसभा के 5 सीटों पर चुनाव के बाद विधान परिषद के 7 सीटों के होने वाले चुनाव पर भी सियासत तेज होना तय है. विधान परिषद के एक सीट के लिए 31 सदस्यों का होना जरूरी है.

समझे MLC चुनाव का गुना गणित: फिलहाल बीजेपी के 77 विधायक हैं. 2 सीट मिलने के बाद भी 15 विधायक का वोट शेष बचेगा तो वहीं जदयू के 45 और एक निर्दलीय की बात करें तो कुल 46 विधायक हैं. ऐसे में जदयू को भी एक विधान परिषद की सीट आसानी से मिल जाएगी और उसके बाद भी 15 विधायकों का वोट बचा रह जाएगा. एनडीए में जीतन राम मांझी के भी 4 विधायक हैं और मांझी भी एक सीट पर दावेदारी कर रहे हैं. लेकिन जदयू के 5 सीट अभी वर्तमान में हैं इसलिए जदयू सहयोगी बीजेपी से कम से कम 1 सीट और देने का आग्रह करेगी.

1 सीट पर जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत: लेकिन बीजेपी तैयार नहीं हुई तो विवाद बढ़ना तय है. दूसरी तरफ आरजेडी के 76 विधायक हैं. ऐसे में 2 सीट आसानी से आरजेडी को मिल जाएगी और उसके बाद भी 14 विधायकों का वोट शेष बचेगा. महागठबंधन खेमे में वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं और कांग्रेस के 19 विधायक अब आरजेडी को तय करना है कि एक सीट कांग्रेस को दें या फिर वामपंथी दलों को. हाल के दिनों में कांग्रेस से आरजेडी की दूरियां बढ़ी है. ऐसे में यह अंदेशा है कि वामदलों को ही आरजेडी 1 सीट ऑफर कर सकता है. ऐसे में कांग्रेस की तरफ से दावेदारी होने पर विवाद बढ़ेगा.

इन सदस्यों को हो रहा कार्यकाल समाप्त: जिन सात सदस्यों का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है उसमें जदयू के गुलाम रसूल बलियावी, सीपी सिन्हा, कमर आलम, रणविजय सिंह, रोजिना नाजिम, बीजेपी के अर्जुन सहनी और वीआईपी के मुकेश सहनी भी शामिल हैं. मुकेश सहनी को बीजेपी ने अपने कोटे से ही विधान परिषद भेजा था लेकिन अब बीजेपी के साथ मुकेश सहनी का संबंध खराब हो चुका है और नीतीश मंत्रिमंडल से भी मुकेश सहनी बाहर हो चुके हैं.

जदयू को नुकसान के आसार: इसमें कमर आलम और कुमार रणविजय सिंह राजद से जदयू में आए थे. ऐसे तो तनवीर अख्तर भी कांग्रेस से जीतकर जदयू में शामिल हुए थे लेकिन उनके निधन के बाद उनकी पत्नी रोजिना नाजिम को जदयू ने फिर से विधान परिषद भेजा था. अब उनका भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है इसलिए जदयू के लिए इन तीनों में से रिपीट करना आसान नहीं होगा क्योंकि पहले से ही पार्टी में कई दावेदार हैं. ऐसे बीजेपी और जदयू नेताओं का कहना है की पार्टी नेतृत्व मिल बैठकर फैसला लेगा. पहले भी गठबंधन के नेता मिलकर फैसला लेते रहे हैं.

"पार्टी सही समय पर फैसला लेगी. अंतिम रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष ही इस पर निर्णय लेंगे. हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय चुनाव समिति बैठक करेगी. 31 मई और 1 जून को यह बैठक होगी. कहीं कोई समस्या नहीं होगी. पहले भी मिल बैठकर फैसला हम लोग लेते रहे हैं."- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

"विधान परिषद के 7 सीटों पर चुनाव होना है. विधानसभा में संख्या बल के आधार पर तय होना है, सीधे जनता इसे नहीं चुनेगी. 5 सदस्य हमारे रिटायर्ड हो रहे हैं तो हमारा शीर्ष नेतृत्व इसे देख रहा है. एनडीए को कैसे अधिक से अधिक सीट मिले इसका प्रयास पार्टी और गठबंधन कर रहा है. जदयू को जहां तक नुकसान की बात है तो नीतीश कुमार वोट की चिंता नहीं करते हैं वोटरों की चिंता करते हैं."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

"हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही फैसला लेने के लिए अधिकृत किया गया है. 3 सीट आरजेडी और सहयोगियों को विधान परिषद चुनाव में मिलेगा. 2 सीट आरजेडी के पास रहेगा और एक सीट किस सहयोगी को दिया जाएगा इसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ही फैसला लेंगे. कांग्रेस उपचुनाव के समय ही महागठबंधन से अलग हो गई थी और अभी तक अलग है. ऐसे हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही कह रखा है कि केंद्रीय स्तर पर हम कांग्रेस को मजबूत करेंगे लेकिन बिहार में आरजेडी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी अब फैसला कांग्रेस को करना है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी

2 जून से नामांकन शुरू: फिलहाल सभी दल की नजर राज्यसभा के उम्मीदवारों पर लगी है लेकिन 2 जून से विधान परिषद के 7 सीटों पर नॉमिनेशन शुरू हो रहा है और 9 जून तक नॉमिनेशन चलेगा. वहीं 20 जून को वोटिंग होगी. तय है विधान परिषद सीटों को लेकर जल्द ही मंथन शुरू हो जाएगा क्योंकि सभी दलों में विधान परिषद के लिए दावेदारों की लंबी सूची है. ऐसे में सभी दल के लिए चुनौती बढ़ेगी. खासकर जदयू की परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि 5 सदस्यों का जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनकी तो दावेदारी होगी ही साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेजने के बाद उम्मीद जगी है. दूसरी तरफ बीजेपी में भी कई दावेदार हैं और लंबे समय से विधानसभा जाने की आस लगाए बैठे हैं.

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