पटना: राज्यपाल कोटे से 12 विधान परिषद सदस्य का मनोनयन आज हो गया. खुद का मनोनयन नहीं होने पर जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए इसे जाति से जोड़ दिया. अपनी ही पार्टी नेतृत्व के खिलाफ राजीव रंजन ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि मनोनयन में जाति विशेष की उपेक्षा हुई है और समावेशी विकास के दावे खोखले साबित हुए हैं.
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राजीव रंजन का छलका दर्द
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि एक समाज को धीरे-धीरे हाशिये पर पहुंचा दिया गया है. नीतीश कुमार से अपेक्षाएं इसलिए ज्यादा है, क्योंकि वो समावेशी विकास के पक्षधर रहे हैं. सभी को साथ में लेकर चलते हैं. लेकिन पिछले दिनों जो भी निर्णय हुए चाहे वो विधान परिषद, राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभा की टिकटों को लेकर फैसला हो सभी से निराशा ही मिली है.
''जिस जाति ने कभी इस देश की अगुवाई की और विश्व को गौरवांन्वित होने का अवसर दिया, उसे लेकर पार्टी नेतृत्व का नजरिया हैरत में डालने वाला है. मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं और पार्टी के लिए कार्य करता रहूंगा. लेकिन ये अन्यायपूर्ण मनोनयन हुआ है''- राजीव रंजन, जेडीयू प्रवक्ता
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'सीएम के सामने रखूंगा अपनी पीड़ा'
उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री मिलना चाहेंगे तो मैं उनसे जरूर मिलूंगा. अपनी वेदना को उनके सामने जरूर रखूंगा. लेकिन, ये फैसला पार्टी नेतृत्व को करना है कि उनके पास हमसे मिलने का समय है या नहीं है. अब ये महसूस हो गया है कि राजनीतिक दलों को स्वीकार्य नहीं है कि इस जाति के लोगों को भी सम्मानजनक जगह मिल सकती है. ये बेहद दुखद है.