पटनाः नागरिकता संशोधन अधिनियम पर केरल सरकार की तरफ से की गई अपील को जेडीयू ने ठुकरा दिया है. जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया कि बिल के समर्थन में पार्टी संसद में सरकार का साथ दे चुकी है. ऐसे में अब इस पर विचार करने का सवाल ही नहीं है. हालांकि विपक्ष के आशंको को दूर करने के लिए केंद्र सरकार से जरुर मांग की है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पर कई राज्य सरकार अपनी आपत्ति दर्ज करा रही है. वाम दलों के शासन वाला राज्य केरल लीडर की भूमिका में दिख रहा है. केरल ने सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर अपने राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू नहीं करने को लेकर प्रतिबद्ध दिख रही है. केरल के सीएम ने कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर भी समर्थन मांगा है. बिहार के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा गया है लेकिन जेडीयू ने केरल के प्रस्ताव को एक सिरे से खारिज कर दिया है.
केंद्र सरकार से जेडीयू ने किया अनुरोध
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि उनकी पार्टी ने बिल का समर्थन किया है और जेडीयू नागरिकता संशोधन अधिनियम के पक्ष में है. केरल की सरकार ने भले ही पत्र लिखा है लेकिन उसका कोई मतलब नहीं है. हालांकि उन्होंने केंद्र सरकार से कुछ बिंदुओं को लकेर अनुरोध भी किया. उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक पार्टियां या राज्य सरकार अगर किसी बिंदु पर आपत्ति जता रही है तो उस पर सहमति बनाने की कोशिश की जानी चाहिए.
कानून के विरोध में आरेजडी
दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर आरजेडी लगातार विरोध दर्ज करा रही है. इसके खिलाफ पार्टी बिहार बंद का आयोजन भी कर चुकी है. आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी भाजपा के तरीकों पर सवाल खड़े कर रहे हैं. केरल में प्रस्ताव पारित कर विरोध जताने के तरीके पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर बात करनी चाहिए. राज्य सरकार और विपक्ष से बात कर सहमति बनाने की कोशिश करनी चाहिए. शिवानंद तिवारी ने एतराज जताते हुए कहा कि बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जनता को धमकी दे रहे हैं और बदले की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने इसे लोकतंत्र में जायज नहीं बताया है.
बीजेपी कर रही पुरजोर समर्थन
वहीं बिहार बीजेपी ने सीएए का पुरजोर समर्थन किया है. प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने कहा कि संघीय ढांचे में केंद्र के विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है. उस कानून को राज्यों को मानना अनिवार्य होता है.