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बैंड बाजे के साथ जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह का पार्टी कार्यालय में स्वागत

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह पहली बार पटना पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया है. वहीं पार्टी कार्यालय में स्वागत के लिए बैंड बाजे अभी से ही बजने लगे हैं.

ललन सिंह पहुंचे पटना
ललन सिंह पहुंचे पटना
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Published : Aug 6, 2021, 4:03 PM IST

पटना : जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह (Lalan Singh) पहली बार पटना पहुंच चुके हैं. एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया है. जदयू कार्यलाय में जश्न की पूरी तैयारी की गई् है. पार्टी कार्यालय (JDU Office) के बाहर बैंड बैंड के साथ जबरदस्त स्वागत की तैयारी शुरु हो चुकी है. वहीं कहीं-कहीं उनके स्वागत में फूलों की बारिश भी होगी. जहानाबाद के पार्टी नेताओं की ओर से खास इंतजाम किया गया है.

ये भी पढ़ें : पटना पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, JDU में जश्न

ललन सिंह के स्वागत के लिए राजधानी पटना में जगह-जगह पोस्टर बैनर और होर्डिंग लगाए गए हैं. पार्टी कार्यालय के बाहर बैंड बाजा अभी से ही बजने लगे हैं. कुछ देर में ललन सिंह पार्टी कार्यालय पहुंचने वाले हैं. कर्पूरी सभागार में ललन सिंह का भव्य स्वागत होगा. स्वागत के लिए जहानाबाद से विशेष रूप से बैंड बाजा मंगाया गया है. ढोल बज रहे हैं.

देखें वीडियो

बता दें कि ललन सिंह के स्वागत के लिए पिछले कई दिनों से तैयारी चल रही है. पार्टी कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है. पूरा पटना पोस्टर बैनर होर्डिंग से पट चुका है.जदयू की ओर से पूरे कार्यक्रम का विभिन्न सोशल मीडिया और जदयू के प्लेटफार्म से लाइव भी किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें : पटना एयरपोर्ट पर ललन सिंह का जोरदार स्वागत, कहा- यह जोश जरूरी है

बता दें कि, आरसीपी सिंह के बाद नीतीश के यदि कोई करीबी हैं तो वह ललन सिंह हैं. इतना ही नहीं, जेडीयू के 18 साल के इतिहास में ललन सिंह पहले सवर्ण अध्यक्ष हैं. इससे पहले तीनों अध्यक्ष ओबीसी से थे. इस फैसले नीतीश की कोशिश सवर्ण वोटरों और खासकर भूमिहार मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की है. राजनीतिक जानकारों की माने तो इसका सीधा असर कहीं न कहीं बीजेपी की रणनीति पर पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सवर्ण खासकर भूमिहार मतदाताओं को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. यही वजह है कि नीतीश ने अहम रणनीति के तहत अपने सिपहसालार ललन सिंह को पार्टी की कमान सौंपी है.

दरअसल, ललन सिंह मुंगेर से सांसद हैं. ललन सिंह 2005 में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बने थे. जब नीतीश ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा था तो उन्होंने पार्टी के समर्पित वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह और केसी त्यागी को दरकिनार कर आरसीपी सिंह को कमान सौंपी थी. उस समय नीतीश ने समाजवाद की जगह जातिवाद को बढ़ावा दिया था.

पटना : जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह (Lalan Singh) पहली बार पटना पहुंच चुके हैं. एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया है. जदयू कार्यलाय में जश्न की पूरी तैयारी की गई् है. पार्टी कार्यालय (JDU Office) के बाहर बैंड बैंड के साथ जबरदस्त स्वागत की तैयारी शुरु हो चुकी है. वहीं कहीं-कहीं उनके स्वागत में फूलों की बारिश भी होगी. जहानाबाद के पार्टी नेताओं की ओर से खास इंतजाम किया गया है.

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ललन सिंह के स्वागत के लिए राजधानी पटना में जगह-जगह पोस्टर बैनर और होर्डिंग लगाए गए हैं. पार्टी कार्यालय के बाहर बैंड बाजा अभी से ही बजने लगे हैं. कुछ देर में ललन सिंह पार्टी कार्यालय पहुंचने वाले हैं. कर्पूरी सभागार में ललन सिंह का भव्य स्वागत होगा. स्वागत के लिए जहानाबाद से विशेष रूप से बैंड बाजा मंगाया गया है. ढोल बज रहे हैं.

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बता दें कि ललन सिंह के स्वागत के लिए पिछले कई दिनों से तैयारी चल रही है. पार्टी कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है. पूरा पटना पोस्टर बैनर होर्डिंग से पट चुका है.जदयू की ओर से पूरे कार्यक्रम का विभिन्न सोशल मीडिया और जदयू के प्लेटफार्म से लाइव भी किया जा रहा है.

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बता दें कि, आरसीपी सिंह के बाद नीतीश के यदि कोई करीबी हैं तो वह ललन सिंह हैं. इतना ही नहीं, जेडीयू के 18 साल के इतिहास में ललन सिंह पहले सवर्ण अध्यक्ष हैं. इससे पहले तीनों अध्यक्ष ओबीसी से थे. इस फैसले नीतीश की कोशिश सवर्ण वोटरों और खासकर भूमिहार मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की है. राजनीतिक जानकारों की माने तो इसका सीधा असर कहीं न कहीं बीजेपी की रणनीति पर पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सवर्ण खासकर भूमिहार मतदाताओं को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. यही वजह है कि नीतीश ने अहम रणनीति के तहत अपने सिपहसालार ललन सिंह को पार्टी की कमान सौंपी है.

दरअसल, ललन सिंह मुंगेर से सांसद हैं. ललन सिंह 2005 में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बने थे. जब नीतीश ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा था तो उन्होंने पार्टी के समर्पित वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह और केसी त्यागी को दरकिनार कर आरसीपी सिंह को कमान सौंपी थी. उस समय नीतीश ने समाजवाद की जगह जातिवाद को बढ़ावा दिया था.

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