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Bihar Politics: हरिवंश को जदयू कार्यकारिणी में जगह नहीं, ललन सिंह ने इशारों में पीएम मोदी पर फोड़ा ठीकरा

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 24, 2023, 4:08 PM IST

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर दिया गया. लेकिन, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को इस टीम में जगह नहीं मिलने से विवाद शुरू हो गया है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने हरिवंश के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए तंज कसा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें पार्टी की बैठक में शामिल होने से मना किया हो. वहीं भाजपा ने इसे जदयू का अंदरूनी मामला बताया. कहा- बीजेपी और प्रधानमंत्री पर ठीकरा फोड़ना हास्यासपद है. पढ़ें विस्तार से.

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन
ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू.

पटना: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने नीतीश कुमार की सलाह पर जंबो राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी को सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता बनाया गया है. पार्टी ने एक उपाध्यक्ष, एक कोषाध्यक्ष और 22 महासचिव और सचिव के साथ नई जंबो टीम बनायी है. लेकिन, इस कार्यकारिणी की सबसे अधिक चर्चा राज्यसभा के उपसभापति और जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश का नाम नहीं होने पर हो रही है. कयास लगाये जाने लगा है कि हरिवंश जदयू के अगले आरसीपी सिंह साबित होंगे.

इसे भी पढ़ें- JDU National Executive: CM नीतीश की नई टीम से हरिवंश की छुट्टी!.. जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन, 98 सदस्यों की टीम

हरिवंश को लेकर जदयू में सब ठीक नहींः जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने हरिवंश जी को शामिल नहीं करने पर सफाई देते हुए कहा कि 9 अगस्त 2022 से एनडीए से अलग होने के बाद से हरिवंश पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे. यहां तक की संसदीय दल की बैठक में भी नहीं आ रहे थे. ललन सिंह ने यह भी कहा कि हरिवंश जी को सभापति बनने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दल के नेताओं से खुद बात की थी क्योंकि बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत नहीं है. ललन सिंह ने इस बात के संकेत दिये कि हरिवंश को लेकर जदयू में सब ठीक नहीं है.

"9 अगस्त 2022 से एनडीए से अलग होने के बाद से हरिवंश जी पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे. यहां तक की संसदीय दल की बैठक में भी नहीं आ रहे थे. वैसे टेक्निकल रूप से जदयू से अभी अलग नहीं हैं. लेकिन, वह जदयू में हैं कि नहीं यह तो वही बताएंगे. संभव है प्रधानमंत्री ने उनको पार्टी की बैठक में शामिल होने से मना किया हो."- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन.

विवाद में रहे हैं हरिवंशः जदयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश पिछले कुछ दिनों से कंट्रोवर्सी में रहे हैं. कई मौके पर ऐसा लगा कि वह जदयू के पूर्व राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह की तरह भाजपा के करीबी हो गये हैं. पार्टी की गाइडलाइन से हटकर वे नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे. इस कारण पार्टी की ओर से नाराजगी भी जताई गई थी. पार्टी ने राज्यसभा में दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक के विरोध में मतदान के लिए पार्टी ने व्हिप भी जारी किया था.

मुख्यमंत्री से की थी मुलाकातः ऐसे पिछले महीने जब नीतीश कुमार पार्टी के सांसदों और विधायकों से एक-एक कर मुलाकात कर रहे थे तो हरिवंश जी भी पटना आए थे. मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार से आधे घंटे तक मुलाकात की थी. लेकिन लगता है उसके बाद भी जदयू नेताओं की नाराजगी दूर नहीं हुई है. ललन सिंह के बयान पर भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने निशाना साधा है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह जदयू का अंदरूनी मामला है. यदि उनके सांसद हरिवंश उनकी पार्टी की बैठक में नहीं आते हैं, इग्नोर करते हैं उसमें बीजेपी और प्रधानमंत्री कहां है. इसलिए इस मामले में बीजेपी और प्रधानमंत्री पर ठीकरा फोड़ना हास्यास्पद है.



नीतीश कुमार की नाराजगीः राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है हरिवंश को कार्यकारिणी में स्थान नहीं देने से साफ हो जाता है कि पार्टी के अंदर उनके प्रति नाराजगी है. उन्होंने कहा कि कार्यकारिणी में जगह नहीं देने का कारण संवैधानिक पद का मामला नहीं है. यदि ऐसा होता तो विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं दी जाती. पहले भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरिवंश को जगह मिलती रही है. उन्होंने कहा कि जब से संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हरिवंश शामिल हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ी है तब से नीतीश कुमार की नाराजगी दिख रही है.


सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश: जदयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया है 98 सदस्य वाले जम्बो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आधा दर्जन कुशवाहा नेताओं को जगह दी गई है उसके अलावा पिछड़ा और अति पिछड़ा नेताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है दलित और अपर कास्ट के नेताओं को भी जगह दी गई है सभी सांसद पूर्व सांसद और विभिन्न प्रदेश में जदयू के अध्यक्ष या संयोजक को भी स्थान दिया गया है कुल मिलाकर नीतीश कुमार ने अपने सोशल इंजीनियरिंग के तहत सामाजिक समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है लेकिन हरिवंश जी के कारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची विवादों में आ गया है।

ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू.

पटना: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने नीतीश कुमार की सलाह पर जंबो राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी को सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता बनाया गया है. पार्टी ने एक उपाध्यक्ष, एक कोषाध्यक्ष और 22 महासचिव और सचिव के साथ नई जंबो टीम बनायी है. लेकिन, इस कार्यकारिणी की सबसे अधिक चर्चा राज्यसभा के उपसभापति और जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश का नाम नहीं होने पर हो रही है. कयास लगाये जाने लगा है कि हरिवंश जदयू के अगले आरसीपी सिंह साबित होंगे.

इसे भी पढ़ें- JDU National Executive: CM नीतीश की नई टीम से हरिवंश की छुट्टी!.. जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन, 98 सदस्यों की टीम

हरिवंश को लेकर जदयू में सब ठीक नहींः जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने हरिवंश जी को शामिल नहीं करने पर सफाई देते हुए कहा कि 9 अगस्त 2022 से एनडीए से अलग होने के बाद से हरिवंश पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे. यहां तक की संसदीय दल की बैठक में भी नहीं आ रहे थे. ललन सिंह ने यह भी कहा कि हरिवंश जी को सभापति बनने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दल के नेताओं से खुद बात की थी क्योंकि बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत नहीं है. ललन सिंह ने इस बात के संकेत दिये कि हरिवंश को लेकर जदयू में सब ठीक नहीं है.

"9 अगस्त 2022 से एनडीए से अलग होने के बाद से हरिवंश जी पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे. यहां तक की संसदीय दल की बैठक में भी नहीं आ रहे थे. वैसे टेक्निकल रूप से जदयू से अभी अलग नहीं हैं. लेकिन, वह जदयू में हैं कि नहीं यह तो वही बताएंगे. संभव है प्रधानमंत्री ने उनको पार्टी की बैठक में शामिल होने से मना किया हो."- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन.

विवाद में रहे हैं हरिवंशः जदयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश पिछले कुछ दिनों से कंट्रोवर्सी में रहे हैं. कई मौके पर ऐसा लगा कि वह जदयू के पूर्व राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह की तरह भाजपा के करीबी हो गये हैं. पार्टी की गाइडलाइन से हटकर वे नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे. इस कारण पार्टी की ओर से नाराजगी भी जताई गई थी. पार्टी ने राज्यसभा में दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक के विरोध में मतदान के लिए पार्टी ने व्हिप भी जारी किया था.

मुख्यमंत्री से की थी मुलाकातः ऐसे पिछले महीने जब नीतीश कुमार पार्टी के सांसदों और विधायकों से एक-एक कर मुलाकात कर रहे थे तो हरिवंश जी भी पटना आए थे. मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार से आधे घंटे तक मुलाकात की थी. लेकिन लगता है उसके बाद भी जदयू नेताओं की नाराजगी दूर नहीं हुई है. ललन सिंह के बयान पर भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने निशाना साधा है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह जदयू का अंदरूनी मामला है. यदि उनके सांसद हरिवंश उनकी पार्टी की बैठक में नहीं आते हैं, इग्नोर करते हैं उसमें बीजेपी और प्रधानमंत्री कहां है. इसलिए इस मामले में बीजेपी और प्रधानमंत्री पर ठीकरा फोड़ना हास्यास्पद है.



नीतीश कुमार की नाराजगीः राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है हरिवंश को कार्यकारिणी में स्थान नहीं देने से साफ हो जाता है कि पार्टी के अंदर उनके प्रति नाराजगी है. उन्होंने कहा कि कार्यकारिणी में जगह नहीं देने का कारण संवैधानिक पद का मामला नहीं है. यदि ऐसा होता तो विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं दी जाती. पहले भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरिवंश को जगह मिलती रही है. उन्होंने कहा कि जब से संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हरिवंश शामिल हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ी है तब से नीतीश कुमार की नाराजगी दिख रही है.


सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश: जदयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया है 98 सदस्य वाले जम्बो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आधा दर्जन कुशवाहा नेताओं को जगह दी गई है उसके अलावा पिछड़ा और अति पिछड़ा नेताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है दलित और अपर कास्ट के नेताओं को भी जगह दी गई है सभी सांसद पूर्व सांसद और विभिन्न प्रदेश में जदयू के अध्यक्ष या संयोजक को भी स्थान दिया गया है कुल मिलाकर नीतीश कुमार ने अपने सोशल इंजीनियरिंग के तहत सामाजिक समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है लेकिन हरिवंश जी के कारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची विवादों में आ गया है।

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