ETV Bharat / state

Bihar politics : नागालैंड चुनाव में मिली हार ने जेडीयू के मंसूबे पर पानी फेरा - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

तीन राज्यों के आए चुनाव परिणाम को लेकर बिहार में सबसे ज्यादा किसी राज्य की चर्चा है, तो वो नागालैंड की हैं, जहां नीतीश की जेडीयू को बड़ा झटका लगा है. कहा जा रहा है कि नागालैंड में जेडीयू का ये हाल उनके घोर विरोधी रहे चिराग पासवान की पार्टी लोकजन शक्ति पार्टी आर के कारण ही हुआ है. जहां चिराग की पार्टी को 2 सीटें मिली वहीं जेडीयू को सिर्फ 1 सीट पर संतोष करना पड़ा.

नागालैंड चुनाव में मिली हार ने जेडीयू के मंसूबे पर पानी फेरा
नागालैंड चुनाव में मिली हार ने जेडीयू के मंसूबे पर पानी फेरा
author img

By

Published : Mar 3, 2023, 2:23 PM IST

पटनाः नागालैंड चुनाव से पहले जेडीयू इस बात को लेकर उत्साहित थी कि इस बार के चुनाव में यदि 6 फीसदी वोट भी प्राप्त कर लेते हैं तो जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा मिला जाएगा. इसके लिए पार्टी के कई नेताओं को नागालैंड भेजा भी गया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद नजर बनाए हुए थे. नेताओं और कार्यकर्ताओं को लग रहा था नागालैंड चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद भी जायेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नीतीश कुमार के बिना किसी चुनावी सभा किये जेडीयू नागालैंड में अपनी किस्मत आजमाई और सिर्फ एक विधायक किसी तरह तो चुनाव जीत पाये लेकिन ओवरऑल वोटिंग परसेंटेज 0.06 फीसदी ही रहा.


ये भी पढ़ेंः Nagaland Assembly Election : चिराग का दिखा दम, 2 सीटों पर जमाया कब्जा, RJD का नहीं खुला खाता

चुनाव से पहले चिराग ने दिया था झटकाः नागालैंड चुनाव से पहले उत्साहित जेडीयू को चिराग पासवान से तब झटका दिया जब जेडीयू के दर्जनों नेताओं ने चिराग की पार्टी का दामन लिया. इन नेताओं में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल रहे. बिहार में नीतीश कुमार और चिराग के बीच वर्ष 2020 के चुनाव से अनबन की स्थिति रही है. जेडीयू का अक्सर आरोप रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी की वजह से जेडीयू 43 की संख्या पर सिमटी थी.

राष्ट्रीय पार्टी बनाने की चाहत के पीछे था नीतीश का चेहराः जब से नीतीश कुमार को पार्टी के कुछ नेताओं ने पी एम मटेरियल धोषित किया तब से पार्टी की चाहत थी कि जेडीयू राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित हो।इसके लिए पार्टी ने कई राज्यों के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाया लेकिन ज्यादातर राज्यों में तो खाता भी नहीं खुले और कुछ राज्यों में चुनाव जीते भी तो ज्यादातर विधायकों को बीजेपी ने तोड़ लिया।महांगठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करने की चाहत जगी और सामने तीन राज्यों का चुनाव था।जेडीयू को लगा कि यदि नागालैंड में बेहतर प्रदर्शन कर लेंगे तो पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा भी मिल जाएगा और जो क्षेत्रीय पार्टी के राष्ट्रीय नेता का टैग लगा है उससे भी मुक्ति मिल जाएगी.

क्या सोचते हैं राजनीति के जानकारः बिहार के जाने माने राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार की माने तो कोई भी क्षेत्रीय पार्टी की कोशिश होती है कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले और यदि पार्टी ने नेता की महत्वाकांक्षा प्रबल हो को खुद को राष्ट्रीय पटल स्थापित करने की चाह तो पार्टी कोशिशें तेज हो जाती है।नीतीश कुमार इसका जीता जागता उदाहरण है।वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं।अरुण पाण्डेय की माने तो नीतीश कुमार की शुुरु से राष्ट्रीय पार्टी स्थापित करने की चाह थी और पी एम मटेरियल घोषित किए जाने के बाद उनकी चाहत प्रबल हो गयी है.

हार के बाद जेडीयू के निशाने पर चिराग और बीजेपीः जेडीयू के प्रवक्ता डॉ सुनील सिंह ने अपनी हार का ठीकरा चिराग पासवान पर फोड़ कर बीजेपी पर निशाना साधा है. सुनील सिंह ने आरोप लगाया है कि नागालैंड की हार की वजह बीजेपी की बी टीम चिराग पासवान है जो पहले उनकी पार्टी के नेताओं अपने पाले में लिया और बाद में जेडीयू के वोट की सेंधमारी की. जेडीयू के आरोपों को बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह से सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने नीतीश कुमार के अवसरवादी होना उनकी हार की मुख्य वजह बताया है. उन्होंने खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे का आरोप लगाया है.

'नीतीश कुमार का जनाधार हुआ शून्य': वहीं चिराग की पार्टी के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि हम लोग ने तो बीजेपी की बी टीम हैं न हीं किसी को हराने गये थे. हमलोग जीतने के लिए गये और नागालैंड में 9 फीसदी वोट पाकर दो सीटें जीती हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार का जनाधार शून्य हो गया है और जनता को भरोसा समाप्त हो जाना उनकी हार की वजह है.

जेडीयू में हार को लेकर मंथन शुरूः बहरहाल सबका अलग अलग तर्क है लेकिन नागालैंड में जेडीयू की हार ने एक बार फिर राष्ट्रीय पार्टी बनने के उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया है. पार्टी के अंदर इस बात को लेकर मंथन शुरू हो गया है. सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले कुछ राज्यों के चुनाव में जेडीयू एक बार फिर से किस्मत आजमा कर राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश करेगी. लेकिन ये कोशिश कब रंग लाएगी ये तो आने वाले समय में पता चल पाएगा.

पटनाः नागालैंड चुनाव से पहले जेडीयू इस बात को लेकर उत्साहित थी कि इस बार के चुनाव में यदि 6 फीसदी वोट भी प्राप्त कर लेते हैं तो जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा मिला जाएगा. इसके लिए पार्टी के कई नेताओं को नागालैंड भेजा भी गया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद नजर बनाए हुए थे. नेताओं और कार्यकर्ताओं को लग रहा था नागालैंड चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद भी जायेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नीतीश कुमार के बिना किसी चुनावी सभा किये जेडीयू नागालैंड में अपनी किस्मत आजमाई और सिर्फ एक विधायक किसी तरह तो चुनाव जीत पाये लेकिन ओवरऑल वोटिंग परसेंटेज 0.06 फीसदी ही रहा.


ये भी पढ़ेंः Nagaland Assembly Election : चिराग का दिखा दम, 2 सीटों पर जमाया कब्जा, RJD का नहीं खुला खाता

चुनाव से पहले चिराग ने दिया था झटकाः नागालैंड चुनाव से पहले उत्साहित जेडीयू को चिराग पासवान से तब झटका दिया जब जेडीयू के दर्जनों नेताओं ने चिराग की पार्टी का दामन लिया. इन नेताओं में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल रहे. बिहार में नीतीश कुमार और चिराग के बीच वर्ष 2020 के चुनाव से अनबन की स्थिति रही है. जेडीयू का अक्सर आरोप रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी की वजह से जेडीयू 43 की संख्या पर सिमटी थी.

राष्ट्रीय पार्टी बनाने की चाहत के पीछे था नीतीश का चेहराः जब से नीतीश कुमार को पार्टी के कुछ नेताओं ने पी एम मटेरियल धोषित किया तब से पार्टी की चाहत थी कि जेडीयू राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित हो।इसके लिए पार्टी ने कई राज्यों के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाया लेकिन ज्यादातर राज्यों में तो खाता भी नहीं खुले और कुछ राज्यों में चुनाव जीते भी तो ज्यादातर विधायकों को बीजेपी ने तोड़ लिया।महांगठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करने की चाहत जगी और सामने तीन राज्यों का चुनाव था।जेडीयू को लगा कि यदि नागालैंड में बेहतर प्रदर्शन कर लेंगे तो पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा भी मिल जाएगा और जो क्षेत्रीय पार्टी के राष्ट्रीय नेता का टैग लगा है उससे भी मुक्ति मिल जाएगी.

क्या सोचते हैं राजनीति के जानकारः बिहार के जाने माने राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार की माने तो कोई भी क्षेत्रीय पार्टी की कोशिश होती है कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले और यदि पार्टी ने नेता की महत्वाकांक्षा प्रबल हो को खुद को राष्ट्रीय पटल स्थापित करने की चाह तो पार्टी कोशिशें तेज हो जाती है।नीतीश कुमार इसका जीता जागता उदाहरण है।वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं।अरुण पाण्डेय की माने तो नीतीश कुमार की शुुरु से राष्ट्रीय पार्टी स्थापित करने की चाह थी और पी एम मटेरियल घोषित किए जाने के बाद उनकी चाहत प्रबल हो गयी है.

हार के बाद जेडीयू के निशाने पर चिराग और बीजेपीः जेडीयू के प्रवक्ता डॉ सुनील सिंह ने अपनी हार का ठीकरा चिराग पासवान पर फोड़ कर बीजेपी पर निशाना साधा है. सुनील सिंह ने आरोप लगाया है कि नागालैंड की हार की वजह बीजेपी की बी टीम चिराग पासवान है जो पहले उनकी पार्टी के नेताओं अपने पाले में लिया और बाद में जेडीयू के वोट की सेंधमारी की. जेडीयू के आरोपों को बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह से सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने नीतीश कुमार के अवसरवादी होना उनकी हार की मुख्य वजह बताया है. उन्होंने खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे का आरोप लगाया है.

'नीतीश कुमार का जनाधार हुआ शून्य': वहीं चिराग की पार्टी के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि हम लोग ने तो बीजेपी की बी टीम हैं न हीं किसी को हराने गये थे. हमलोग जीतने के लिए गये और नागालैंड में 9 फीसदी वोट पाकर दो सीटें जीती हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार का जनाधार शून्य हो गया है और जनता को भरोसा समाप्त हो जाना उनकी हार की वजह है.

जेडीयू में हार को लेकर मंथन शुरूः बहरहाल सबका अलग अलग तर्क है लेकिन नागालैंड में जेडीयू की हार ने एक बार फिर राष्ट्रीय पार्टी बनने के उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया है. पार्टी के अंदर इस बात को लेकर मंथन शुरू हो गया है. सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले कुछ राज्यों के चुनाव में जेडीयू एक बार फिर से किस्मत आजमा कर राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश करेगी. लेकिन ये कोशिश कब रंग लाएगी ये तो आने वाले समय में पता चल पाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.