पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार जदयू का रिजल्ट पिछले 15 सालों में सबसे खराब रहा है. अभी तक जदयू नीतीश कुमार के चेहरे के बूते ही अपना झंडा बुलंद करती रही थी, लेकिन अब पार्टी गांधी, लोहिया, जेपी, अंबेडकर और कर्पूरी के शरण में जाते दिख रही है. नीतीश कुमार से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह तक महापुरुषों के सिद्धांत की ही चर्चा करते दिख रहे हैं. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी इसे दिखावा बताते हैं, लेकिन पार्टी के नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार महापुरुषों के बताए रास्ते पर ही काम करते आ रहे हैं.
विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बदली रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को केवल 43 सीट मिली. पिछले 15 सालों में एनडीए में रहे हुए जदयू का इतना खराब परफॉर्मेंस पहले नहीं रहा. इसलिए जदयू में कई बदलाव हो रहे हैं. संगठन स्तर पर जहां पार्टी लव-कुश समीकरण पर जोर दे रही है, वहीं, सिद्धांतों को लेकर पार्टी अब महापुरुषों के शरण में जा रही है. पार्टी का नया सभागार नामकरण कपूरी के नाम पर हुआ है और अब पार्टी जिला स्तर पर जितने भी कार्यालय का निर्माण करेगी कर्पूरी के नाम पर ही होगा.
सभागार के अंदर भी नीतीश कुमार की जगह पर गांधी, लोहिया, जेपी, अंबेडकर और कर्पूरी के फोटो दिखते हैं. पार्टी कार्यालय के बाहर भी नीतीश ने महात्मा गांधी के सिद्धांतों को बड़े अक्षर में लिखवा दिया है. पार्टी का मुखपत्र भी अब इन्हीं महापुरुषों के चेहरे वाली पहचान की होगी. पार्टी के कार्यक्रमों में भी नीतीश कुमार से लेकर आरसीपी सिंह तक महापुरुषों के सिद्धांत की ही चर्चा कर रहे हैं.
आरजेडी ने बोला हमला
पार्टी के बदले रूप पर कभी नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी का कहना है 'यह सब कुछ दिखावे के लिए है. सत्ता बचा रहे, उसी के लिए सब कुछ हो रहा है.'
हालांकि जदयू नेता और पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है 'पार्टी नीतीश के चेहरे के बूते ही चल रही है. पार्टी हमेशा से महापुरुषों के बताए सिद्धांत पर ही काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी.'
बीजेपी पर रही बचाव
'सभी पार्टी को महापुरुषों के सिद्धांत पर ही चलना चाहिए. नीतीश कुमार जेडीयू के नेता है. साथ ही बिहार में एनडीए के भी नेता है. वे शुरू से महापुरुषों के सिद्धांतों को मानने वाले रहे हैं.' - अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
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पार्टी कार्यालय के पोस्टर में गांधी के सिद्धांत
नीतीश कुमार पिछले कई सालों से गांधी के सिद्धांतों की चर्चा तो जरूर करते रहे हैं और उनके सिद्धांतों को हर जगह लिखवा भी रहे हैं. लेकिन पार्टी में जिस प्रकार से महापुरुषों के चेहरे दिख रहे हैं. उनके सिद्धांतों की बात होने लगी है. साफ लग रहा है नीतीश पहले से कमजोर हुए हैं. विधानसभा चुनाव में जो रिजल्ट आया उससे भी आहत हैं और पार्टी लव-कुश समीकरण के साथ महापुरुषों के बूते अपना जनाधार फिर से बढ़ाना चाहती है.