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Sunil Kumar Singh के बयान से CM नीतीश परेशान, पशोपेश में JDU.. क्या दबाव की राजनीति कर रहा RJD?

क्या लालू परिवार के वफादार सुनील सिंह बीजेपी ज्वाइन करेंगे? अगर हां तो आरजेडी उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती. अगर नहीं तो फिर जेडीयू नेताओं के खिलाफ उनकी बयानबाजी का क्या मतलब है? इन सवालों का स्पष्ट जवाब कोई नहीं दे रही है लेकिन इन सब के बीच आरजेडी-जेडीयू के बीच दूरी बढ़ने लगी है. भले ही बड़े नेता ऑल इज वेल के दावे कर रहे हों लेकिन सुनील सिंह लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं.

आरजेडी विधान पार्षद सुनील सिंह
आरजेडी विधान पार्षद सुनील सिंह
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Published : Jul 31, 2023, 7:52 PM IST

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार और ट्रांसफर-पोस्टिंग विवाद ने आरजेडी और जेडीयू के बीच दूरियां बढ़ा दी है. इन सब के बीच आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के बेहद करीबी और विधान पार्षद सुनील सिंह सिलसिलेवार तरीके से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से वह लगातार निशाना साधते रहते हैं. नाम भले ही वह किसी का भी नहीं लेते हैं, लेकिन सियासत की थोड़ी सी भी समझ रखने वाले समझ सकते हैं कि उनके निशाने पर कौन है.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: '76 घाट का चरणामृत पिया हुआ व्यक्ति मुझे निष्ठा की पाठ पढ़ाता है..', किसकी तरफ सुनील सिंह का इशारा?

लालू के 'हनुमान' के निशाने पर नीतीश: अभी हाल में ही आरजेडी विधान पार्षद सुनील सिंह ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल पर लिखा था, 'मुझे हैरानी तब होती है जब 76 घाट का चरणामृत दिया हुआ व्यक्ति मुझे प्रतिबद्धता और निष्ठा का पाठ पढ़ाता है.' वहीं अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मुझे वही नसीहत दे जो लगातार 27 वर्षों तक किसी एक पार्टी में प्रतिबद्धता एवम निष्ठा के साथ हो. अन्यथा पिंगल पढ़ना बन्द करे.'

सीएम की बजाय राज्यपाल से की मुलाकात: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुनील सिंह के रिश्ते कितने खराब हो गए हैं, इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि उन्होंने सहकारी से जुड़ी समस्याओं को लेकर सीएम की बजाय राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से मुलाकात की. खुद ट्वीट कर बताया कि 'मैं 32 सहकारी नेताओं के साथ महामहिम राज्यपाल से मिलने तो आज गया था, परंतु पोर्टल वालों के डर से फोटो पोस्ट नहीं कर रहा हूं.' तस्वीर को लेकर उनका ये पोस्ट इसलिए भी खास है, क्योंकि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात पर नीतीश कुमार ने सवाल उठाए थे.

नीतीश के खिलाफ पहले सुधाकर, अब सुनील: सरकार में साथ होने के बावजूद आरजेडी के कई नेता नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार बयान देते रहते हैं. सुनील सिंह से पहले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी रोज सवाल उठाते थे. उनके तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं. कटिहार गोलीकांड को भी सुधाकर ने प्रशासनिक विफलता बताया. उन्होंने सरकार के मुखिया पर भी सवाल उठा दिया. अधिकतर हर मुद्दे पर सुधाकर सिंह विपक्ष की भूमिका में ही दिखते हैं.

आखिर एक्शन क्यों नहीं लेता नेतृत्व?: सुधाकर सिंह को लेकर जेडीयू नेताओं ने जब आक्रामक रुख दिखाया और आरजेडी पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया, तब उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया गया लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद सुधाकर पर कार्रवाई नहीं हो पाई है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने जब से नीतीश कुमार के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है, तब से आरजेडी नेताओं के तेवर काफी तल्ख हो गए हैं. सुनील सिंह और सुधाकर सिंह सरीखे नेता भी इसी वजह से आक्रामक दिख रहे हैं.

जेडीयू ने की कार्रवाई की मांग: सुनील सिंह के बयानों को लेकर जेडीयू प्रवक्ता डॉ. सुनील कुमार के मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल की ओर से नीतिगत निर्णय लिया गया है कि बड़े नेताओं के बारे में तेजस्वी यादव और लालू यादव को छोड़कर कोई नहीं बोलेगा. पार्टी के निर्देश के बावजूद अगर कोई नेता ऐसा कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

'सुनील सिंह के बयान का कोई मतलब नहीं': उधर, आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि सरकार मजबूती से चल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम लोग बेहतर काम कर रहे हैं. कुछ लोग बयानबाजी कर रहे हैं लेकिन उनके बयान का कोई मतलब नहीं है. पार्टी की ओर से वैसे नेताओं पर लगाम लगाने के लिए कई बार संकेत भी दिए गए हैं.

जेडीयू पर आरजेडी की दबाव की राजनीति: वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि महागठबंधन में वैसे तो सब कुछ ठीक-ठाक दिखता है लेकिन जिस तरीके से बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं, उससे संकेत मिल रहा है कि अंदरखाने सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. ऐसा लगता है कि बयानों से एक-दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश है. सुनील सिंह और सुधाकर सिंह ऐसे नेता हैं, जो बगैर बड़े नेताओं की सहमति के कुछ नहीं बोल सकते. यह सब कुछ दबाव की राजनीति का हिस्सा हो सकता है.

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार और ट्रांसफर-पोस्टिंग विवाद ने आरजेडी और जेडीयू के बीच दूरियां बढ़ा दी है. इन सब के बीच आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के बेहद करीबी और विधान पार्षद सुनील सिंह सिलसिलेवार तरीके से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से वह लगातार निशाना साधते रहते हैं. नाम भले ही वह किसी का भी नहीं लेते हैं, लेकिन सियासत की थोड़ी सी भी समझ रखने वाले समझ सकते हैं कि उनके निशाने पर कौन है.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: '76 घाट का चरणामृत पिया हुआ व्यक्ति मुझे निष्ठा की पाठ पढ़ाता है..', किसकी तरफ सुनील सिंह का इशारा?

लालू के 'हनुमान' के निशाने पर नीतीश: अभी हाल में ही आरजेडी विधान पार्षद सुनील सिंह ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल पर लिखा था, 'मुझे हैरानी तब होती है जब 76 घाट का चरणामृत दिया हुआ व्यक्ति मुझे प्रतिबद्धता और निष्ठा का पाठ पढ़ाता है.' वहीं अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मुझे वही नसीहत दे जो लगातार 27 वर्षों तक किसी एक पार्टी में प्रतिबद्धता एवम निष्ठा के साथ हो. अन्यथा पिंगल पढ़ना बन्द करे.'

सीएम की बजाय राज्यपाल से की मुलाकात: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुनील सिंह के रिश्ते कितने खराब हो गए हैं, इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि उन्होंने सहकारी से जुड़ी समस्याओं को लेकर सीएम की बजाय राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से मुलाकात की. खुद ट्वीट कर बताया कि 'मैं 32 सहकारी नेताओं के साथ महामहिम राज्यपाल से मिलने तो आज गया था, परंतु पोर्टल वालों के डर से फोटो पोस्ट नहीं कर रहा हूं.' तस्वीर को लेकर उनका ये पोस्ट इसलिए भी खास है, क्योंकि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात पर नीतीश कुमार ने सवाल उठाए थे.

नीतीश के खिलाफ पहले सुधाकर, अब सुनील: सरकार में साथ होने के बावजूद आरजेडी के कई नेता नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार बयान देते रहते हैं. सुनील सिंह से पहले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी रोज सवाल उठाते थे. उनके तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं. कटिहार गोलीकांड को भी सुधाकर ने प्रशासनिक विफलता बताया. उन्होंने सरकार के मुखिया पर भी सवाल उठा दिया. अधिकतर हर मुद्दे पर सुधाकर सिंह विपक्ष की भूमिका में ही दिखते हैं.

आखिर एक्शन क्यों नहीं लेता नेतृत्व?: सुधाकर सिंह को लेकर जेडीयू नेताओं ने जब आक्रामक रुख दिखाया और आरजेडी पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया, तब उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया गया लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद सुधाकर पर कार्रवाई नहीं हो पाई है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने जब से नीतीश कुमार के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है, तब से आरजेडी नेताओं के तेवर काफी तल्ख हो गए हैं. सुनील सिंह और सुधाकर सिंह सरीखे नेता भी इसी वजह से आक्रामक दिख रहे हैं.

जेडीयू ने की कार्रवाई की मांग: सुनील सिंह के बयानों को लेकर जेडीयू प्रवक्ता डॉ. सुनील कुमार के मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल की ओर से नीतिगत निर्णय लिया गया है कि बड़े नेताओं के बारे में तेजस्वी यादव और लालू यादव को छोड़कर कोई नहीं बोलेगा. पार्टी के निर्देश के बावजूद अगर कोई नेता ऐसा कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

'सुनील सिंह के बयान का कोई मतलब नहीं': उधर, आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि सरकार मजबूती से चल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम लोग बेहतर काम कर रहे हैं. कुछ लोग बयानबाजी कर रहे हैं लेकिन उनके बयान का कोई मतलब नहीं है. पार्टी की ओर से वैसे नेताओं पर लगाम लगाने के लिए कई बार संकेत भी दिए गए हैं.

जेडीयू पर आरजेडी की दबाव की राजनीति: वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि महागठबंधन में वैसे तो सब कुछ ठीक-ठाक दिखता है लेकिन जिस तरीके से बयानों के तीर चलाए जा रहे हैं, उससे संकेत मिल रहा है कि अंदरखाने सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. ऐसा लगता है कि बयानों से एक-दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश है. सुनील सिंह और सुधाकर सिंह ऐसे नेता हैं, जो बगैर बड़े नेताओं की सहमति के कुछ नहीं बोल सकते. यह सब कुछ दबाव की राजनीति का हिस्सा हो सकता है.

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