पटना: नीतीश सरकार ने आज ही के दिन साल 2012 में 88 साल पहले 1924 में बने जेल मैन्युअल में परिवर्तन किया किया था. मंत्रिमंडल ने 11 सितंबर 2012 को जेल मैन्युअल 2012 को मंजूरी दी थी. नया मैन्युअल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सुझाया गया था और 12 दिसंबर 2012 को अधिसूचित की गई थी. जेल मैन्युअल में बदलाव के बाद बिहार सरकार ने कैदियों के खानपान, स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया था. राज्यभर के जेलों में बंदी दरबार आयोजन करने का फैसला लिया गया था. जेल मैन्युअल 2012 के मुताबिक सभी जिलों के डीएम को 2 महीने में एक बार कैदियों के लिए बंदी दरबार का आयोजन करने का निर्देश दिया गया था.
माना जा रहा है कि जिला अधिकारी स्तर पर बंदी दरबार का आयोजन करने वाला बिहार, देश का पहला राज्य है. इसका उद्देश जेल में खाद्य, स्वास्थ्य और अन्य नागरिक सुविधाओं से संबंधित शिकायतों को ऑन द स्पॉट दूर करना है. इसके तहत कहा गया था कि जिला मजिस्ट्रेट पुराने और असहाय कैदियों की पहचान भी इस बंदी दरबार के दौरान करेंगे और उन्हें शीघ्र रिहाई के लिए कानूनी सहायता भी प्रदान करेंगे. साथ ही जल्दी रिहाई के लिए गंभीर बीमारियों से पीड़ित कैदियों के मामले की भी समीक्षा की जाएगी. सरकार ने फैसला लिया था कि पूरी कार्रवाई का वीडियो ग्राफी की जाएगी और रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज किया जाएगा.
जेलों में शिकायत पेटी अनिवार्य
2012 में बने नए जेल मैन्युअल के मुताबिक, एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था. सभी जेलों में एक शिकायत पेटी रखी जाएगी, जिसमें कैदी किसी भी तरह की समस्याओं से जुड़े मामले की पर्ची शिकायत पेटी में डाल सकते हैं. बॉक्स की चाबी जिला मजिस्ट्रेट के पास होगी. जो बंदी दरबार के लिए अपनी यात्रा के दौरान इसे खोलेंगे. शिकायत पेटी को जेल के अधीक्षक को भी खोलने की अनुमति नहीं दी गई है. कैदी अपने जेल के अधीक्षक के खिलाफ भी शिकायत आसानी से पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी तक पहुंचा सकते हैं. फिलहाल बिहार में कुल 59 जेल हैं. इन जिलों में कुल 44,000 कैदियों को रखा जा सकता है. बिहार में कुल 8 सेंट्रल जेल, 32 डिस्टिक जेल, 17 सब जेल हैं. इसके अलावा एक खुला जेल है और महिला कैदियों के लिए भी एक जेल है.